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बिहार में जिला परिषद से डीडीसी और पंचायत समिति से बीडीओ किए गए बेदखल

Bihar Panchayat News डीडीसी को अलग कर नए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की तैनाती से जुड़ा विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पास हो गया। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि नए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की बहाली जल्द होगी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 09:37 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 09:37 PM (IST)
बिहार में जिला परिषद से डीडीसी और पंचायत समिति से बीडीओ किए गए बेदखल
बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना : जिला परिषद के कामकाज से डीडीसी को अलग कर नए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की तैनाती से जुड़ा विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पास हो गया। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि नए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की बहाली जल्द होगी। पंचायती राज और सामान्य प्रशासन विभाग आपसी समन्वय से तय करेगा कि इस पद पर किस संवर्ग के अधिकारी बहाल होंगे।

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मंत्री ने कहा कि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पास जिला परिषद के संचालन और उसकी संपत्तियों की देखरेख के अलावा कोई और काम नहीं रहेगा। डीडीसी पर पहले से ही काम का बोझ रहता है। ऐसे में जिला परिषद के लिए पूर्णकालिक मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की जरूरत महसूस की जा रही थी। उन्होंने कहा कि जिला परिषद के पास काफी संपत्ति है। 

पंचायती राज संशोधन विधेयक के जरिए प्रखंड स्तरीय पंचायत समिति के कामकाज से बीडीओ को भी अलग कर दिया गया है। वे कार्यपालक पदाधिकारी की भूमिका में होते थे। नए कानून के तहत अब प्रखंडों में तैनात पंचायती राज पदाधिकारी ही पंचायत समिति का पूरा कामकाज देखेंगे। चुनाव न होने के कारण त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल बढ़ाने वाले संशोधन अध्यादेश को भी विधानसभा में कानूनी मान्यता मिल गई है।

चौधरी ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम है। कोरोना के चलते पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव समय पर नहीं हुए। राज्य सरकार ने परामर्शी समितियों के जरिए निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही चुनाव तक काम करने का अधिकार दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में राज्य सरकार ने जन प्रतिनिधियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का संरक्षण किया। इसके लिए 2006 के पंचायत राज अधिनियम की धारा-14 में संशोधन किया गया है। 

अध्यादेश के कानून बनने के बाद भविष्य में भी इसका उपयोग हो सकेगा। जब कभी पांच साल की अवधि पूरी होने के पहले किसी कारण से पंचायत समितियों का निर्वाचन नहीं होता है, राज्य सरकार आदेश के जरिए परामर्शी समिति का गठन कर सकती है। यह ग्राम पंचायत के साथ ग्राम कचहरी पर भी लागू होगा। यह व्यवस्था त्रिस्तरीय पंचायती राज पर लागू होगी। 


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