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बिहार में कोरोना संक्रमण खत्म होने पर ही पंचायत चुनाव, 20 मई तक इंतजार करेगा आयोग

बिहार में समय पर पंचायत चुनाव की संभावना खत्म हो रही है। चुनाव पर विचार करने के लिए आयोग ने 21 अप्रैल को 15 दिनों का समय लिया था। लेकिन नौ दिन बीत जाने के बाद कोरोना की रफ्तार कम होने के बदले बढ़ गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 29 Apr 2021 05:53 PM (IST)Updated: Thu, 29 Apr 2021 05:53 PM (IST)
बिहार में कोरोना संक्रमण खत्म होने पर ही पंचायत चुनाव, 20 मई तक इंतजार करेगा आयोग
बिहार में समय पर पंचायत चुनाव होने की उम्मीद खत्म होती जा रही है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

अरुण अशेष, पटना: राज्य निर्वाचन आयोग की पूरी तैयारी के बावजूद समय पर पंचायत चुनाव की संभावना खत्म हो रही है। चुनाव पर विचार करने के लिए आयोग ने 21 अप्रैल को 15 दिनों का समय लिया था। उम्मीद थी कि इन दिनों में कोरोना की रफ्तार कम होगी। लेकिन, नौ दिन बीत जाने के बाद कोरोना की रफ्तार कम होने के बदले बढ़ गई है। लिहाजा, आयोग मान कर चल रहा है कि अगले छह-सात दिनों में भी हालात इस कदर नहीं सुधरेंगे  कि चुनाव की घोषणा की जा सके। 

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अधिक से अधिक 20 मई तक इंतजार

आयोग के सूत्रों ने बताया कि वह अधिक से अधिक 20 मई तक इंतजार कर सकता है। इस दौर में संक्रमण की दर में भारी गिरावट आई तो चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। तब दो या तीन चरणों में मतदान कराए जा सकते हैं। इसके लिए अधिक इवीएम की जरूरत होगी। क्योंकि कहीं और चुनाव नहीं है, इसलिए दूसरे राज्यों में बड़ी संख्या में मशीनें मंगाई जा सकती हैं। तीन चरणों में चुनाव कराने के लिए सुरक्षा का इंतजाम भी हो सकता है। मगर, 20 मई के बाद आयोग चुनाव कराने का जोखिम नहीं उठाएगा। इसलिए भी कि जून के पहले सप्ताह में मानसून का प्रवेश हो जाएगा। बरसात के दिनों में उत्तर और पूर्वी बिहार में चुनाव कराने की स्थिति नहीं रहती है। 

एक साथ दोनों विकल्पों पर विचार कर रही सरकार 

जिला परिषद सदस्य, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, पंच और वार्ड सदस्यों के करीब ढाई लाख पदों के लिए चुनाव होना है। पंचायती संस्थाओं के वर्तमान प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है। राज्य सरकार एक साथ दोनों विकल्पों पर विचार कर रही है। चुनाव और चुनाव न होने की हालत में पंचायतों के अधिकार किसे दिया जाएगा। नई व्यवस्था के लिए अध्यादेश लाना होगा। 

क्या है विकल्प 

समय पर पंचायत चुनाव न हो तो पंचायती राज संस्थाओं के अधिकार किसे दिए जाएं, बिहार पंचायती राज अधिनियम में इसका कोई उल्लेख नहीं है। लिहाजा वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार को अध्यादेश लाना होगा। विचार इस पर भी किया जा सकता है कि पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल का विस्तार किया जाए। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव टला था। अध्यादेश जारी हुआ। पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल नहीं बढ़ा। प्रशासक बहाल कर दिए गए। यह स्थिति विधानसभा की तरह है, जब कार्यकाल पूरा होने तक अगर चुनाव नहीं हुए तो राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है। 

कठिन समय है: सम्राट

पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि चुनाव कब होंगे, इसका फैसला आयोग करेगा। राज्य सरकार फंड और अन्य इंतजाम करती है। सरकार वह काम कर चुकी है। कह सकते हैं कि हम सब कठिन दौर से गुजर रहे हैं। आज की तारीख में चुनाव कराना संभव नहीं लग रहा है। अगले कुछ दिनों में स्थितियां बदल जाए तो अलग बात है। 

कोर्ट का है डर

तमिलनाडू में कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी से राज्य सरकार डरी हुई है। ऐसे में वह चुनाव की घोषणा कर हाई कोर्ट की नाराजगी झेलने का साहस नहीं जुटा पा रही है। संभावना है कि कोई व्यक्ति कोर्ट चला जाए और मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर चुनाव स्थगन की मांग करे। इसकी संभावना भी है। इसलिए राज्य सरकार चुनाव के मामले में सबकुछ राज्य निर्वाचन आयोग पर छोड़ रही है। 


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