Bihar Panchayat Chunav 2021: पहले चरण में 72 पदों के लिए नहीं भरे गए पर्चे, दोबारा होगा नोटिफिकेशन
Bihar Panchayat Chunav 2021 पहले चरण में वार्ड पंच के 71 व वार्ड सदस्य के पद के एक पद पर नहीं हुआ कोई नामांकन। इसे जनता का बड़ा संदेश माना जा रहा है। इन पद के लिए दोबारा कार्यक्रम घोषित करना होगा।
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Panchayat Chunav 2021: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम कहचरियों के वार्ड पंच पद के लिए 71 और ग्राम पंचायत सदस्य के एक पद के लिए एक भी पर्चा नहीं भरा गया है। इनमें सिर्फ एक प्रखंड बेलागंज के 23 वार्डों में पंच पद का एक भी दावेदार सामने नहीं आया। इसी तरह औरंगाबाद में 12, जहानाबाद के काको में आठ, कैमूर के कुदरा में तीन, नवादा के गोविंदपुर में सात पद खाली रह गए हैं। वहीं, मुंगेर के तारापुर प्रखंड में तीन, अरलव जिले के सोनभद्र-वंशी-सूर्यपुर प्रखंड में छह वार्ड में कोई नामांकन नहीं हुआ है। इस तरह पहले चरण के चुनाव वाले क्षेत्रों में कुल 72 पदों के लिए एक भी पर्चा नहीं भरा गया है। पंचायत चुनाव के प्रति लोगों की उपेक्षा के कई मायने हैं। अब 72 पदों पर फिर से आयोग को चुनाव का नए सिरे से कार्यक्रम घोषित करना होगा।
रसूख व मानदेय से भी मोह हुआ भंग
वार्ड पंचों को दिए संवैधानिक अधिकार फाइलों से बाहर नहीं निकले और पंचायतों में मुखिया व सरपंच के अलावा पुलिस द्वारा तवज्जो नहीं देने की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। अहम बात यह है कि सरकार प्रतिमाह पांच सौ रुपये पंच को भत्ता भी देती है। इसी तरह वार्ड सदस्य को करीब पांच हजार रुपये प्रतिमाह पगार के रूप में कमाई का प्रबंध सरकार ने कर दिया है। इसमें पांच सौ रुपये भत्ता के अलावा नल-जल योजना में अनुरक्षक पर दो हजार मानदेय मिलेंगे। इसके अलावा उपभोक्ताओं से प्रतिमाह 30 रुपये वसूले जाने वाले शुल्क की आधी राशि भी अनुरक्षक को देने प्रविधान किया गया है। औसतन एक वार्ड में 200 घर हैं, जिसके हिसाब से छह हजार शुल्क की वसूली होगी। इस तरह तीन हजार अनुरक्षक को मिलेंगे।
ग्राम कचहरी के साथ सौतेलापन हो समाप्त
पंच-सरपंच संघ, बिहार के अध्यक्ष आमोद निराला कहते हैं कि सरकार को सजग होने के जरूरत है। प्रशासनिक स्तर पर ग्राम कचहरियों के साथ सौतेला व्यवहार को समाप्त किया जाए। विश्व का इकलौता राज्य बिहार है जहां न्याय व्यवस्था में सुधार को लेकर ग्राम कचहरी का प्रबंध किया गया है। लेकिन वार्ड से लेकर पंचायत और थानों की उपेक्षा का करण लोगों के बीच निराशा की स्थिति उत्पन्न हो रही है। पंचों को सही अधिकार मिलने से जिला और अनुमंडल न्यायालय के साथ थानों पर मुकदमों का बोझ का काफी कम हो जाएगा।