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Bihar Panchayat Chunav: बिहार में पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल चुनाव तक बढ़ाने की उठी मांग

Bihar Panchayat Chunav 2021 सरकार ने मान लिया है कि पंचायत चुनाव समय पर नहीं होगा। ऐसी स्थिति में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्‍म होते ही सारी शक्तियां अधिकारियों को देने की तैयारी है। लेकिन बिहार की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी इस फैसले के खिलाफ खड़ी हो गई है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 03:18 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 03:18 PM (IST)
Bihar Panchayat Chunav: बिहार में पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल चुनाव तक बढ़ाने की उठी मांग
बिहार में पंचायत चुनाव का समय पर होना संभव नहीं। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Panchayat Chunav 2021: बिहार में कोरोना के गंभीर प्रसार को देखते हुए पंचायत चुनाव का टलना तय हो गया है। पंचायतों का कार्यकाल खत्‍म होने से पहले प्रक्रिया को खत्‍म करने के लिए अब तक चुनाव शुरू हो जाना चाहिए था। सरकार ने मान लिया है कि पंचायत चुनाव समय पर नहीं होगा। ऐसी स्थिति में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्‍म होते ही सारी शक्तियां अधिकारियों को देने की तैयारी है। लेकिन बिहार की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी इस फैसले के खिलाफ खड़ी हो गई है। भाकपा माले ने लगातार कई बार बयान जारी कर कहा है कि पंचायतों को नौकरशाही के हवाले करने का फैसला स्‍वीकार नहीं होगा।

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चुनाव टालने के पक्ष में है भाकपा माले

भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि कोविड के प्रकोप को देखते हुए पंचायत चुनाव को छह महीने तक टाल दिया जाना चाहिए। इसे नौकरशाही के हवाले कर देने की साजिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। माले नेता ने कहा कि यह लोकतंत्र विरोधी कदम होगा। बिहार में पहले भी विशेष परिस्थितियों में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाया जा चुका है। ऐसे भी संकट काल में जनप्रतिनिधि ही आम लोगों के बीच सही तरीके से राहत अभियान चला सकते हैं, क्योंकि वे प्रत्यक्ष तौर पर जनता से जुड़े होते हैं।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री से मांगा इस्‍तीफा

कुणाल ने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि मंगल पांडेय के खिलाफ जनता में जर्बदस्त आक्रोश है। छपरा में एंबुलेंस विवाद पर कुणाल ने कहा कि भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी का वह बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि ड्राइवर नहीं होने के कारण एंबुलेंस बंद पड़े हैं, भाजपाइयों के विकास की हकीकत को व्यक्त करता है। संकट के इस दौर में कुछ ड्राइवरों की व्यवस्था करना असंभव नहीं था। लाखों युवा बेरोजगार बैठे हैं, उनमें से बहाली भी हो सकती थी।


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