Bihar News: कोरोना काल में काम आ रहा बेलसड़ की महिलाओं का हुनर, यहां की अगरबत्ती यूपी तक बिखेर रही खुशबू
Bihar News कोरोना काल में गाेपालगंज के बेलसड़ की कुछ महिलाएं अगरबत्ती बना कर आत्मनिर्भर हो गईं हैं। उनसे प्रेरित होकर अन्य महिलाएं भी आगे आ रहीं हैं।
गोपालगंज, जेएनएन। कोरानो के इस संकट काल में यहां की महिलाओं का हुनर उनकी जीविका चलाने के काम आ रहा है। महिलाएं अब किसी की मोहताज नहीं हैं। न ही पहले की तरह गरीबी का रोना रोती हैं। बरौली प्रखंड के नया टोला बेलसड़ की महिलाएं खुद अच्छा खासा कारोबार कर रही हैं। पांच हजार रुपया से शुरू किया गया अगरबत्ती बनाने का कारोबार 18 लाख तक पहुंच गया है। यहां की अगरबत्ती सीमावर्ती उत्तर प्रदेश में भी अपनी खुशबू बिखेर रही है। इन महिलाओं की इस पहल का असर आसपास के गांवों में भी दिखने लगा है। नया टोला बेलसड़ की महिलाओं से प्रेरणा लेकर अब आसपास की महिलाएं भी समूह बनाकर अपने पैर पर खड़ी होने लगी हैं।
मुश्किल से होता था दो जून की रोटी का जुगाड़
बरौली प्रखंड का नया टोला बेलसड़ पिछले इलाके में गिना जाता है। यहां के अधिकांश लोग खेती बार कर अपने परिवार की जीविका चलाते हैं। पहले परिवार के पुरूष सदस्य खेत में पसीना बहाते थे और महिलाएं घर तक ही सिमटी रहती थीं। काफी मुश्किल से दो जून की रोटी का जुगाड़ हो पाता था।
पांच हजार से शुरू किया अगरबत्ती बनाने का काम
इस बीच भी जीविका की पहल पर इस गांव की निवासी संजय राम की पत्नी 21 वर्षीय गुड्डी देवी ने सुमन जीविका समूह को गठन किया। इस समूह में शामिल 12 महिलाओं ने जीविका के माध्यम से प्रशिक्षण लेकर साल 2015 मे पांच हजार रुपया से अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया। जीविका कार्यक्रम के तहत इनके समूह को अगरबत्ती बनाने की मशीन खरीदने के लिए 35 हजार रुपया की मदद दी गई।
आज 18 लाख तक पहुंच गया कारोबार
इस समूह की अध्यक्ष गुड्डी देवी बताती हैं कि पहले अगरबत्ती बेचने में काफी परेशानी होती थी। जिसे देखते हुए समूह में शामिल महिलाएं नकटो भवानी मंदिर सहित आसपास में मंदिर में जाकर अगरबत्ती बेचने लगीं। धीरे-धीरे इनकी बनाई अगरबत्ती की खुशबू लोगों को भाने लगीं। उत्तर प्रदेश के तमकुही राज से लेकर सिवान जिले के महेंद्रनाथ मंदिर तक नया बेलसड़ में बनी अगरबत्ती अपनी खुशबू बिखेर रही है। पांच हजार रुपये से शुरू किया गया अगरबत्ती बनाने का कारोबार सालाना 18 लाख तक पहुंच गया है।
महिलाओं को प्रतिमाह 15 हजार की आय
गुड्डी देवी बताती हैं कि सावन, छठ, दशहरा जैसे पर्व के समय प्रति महीने दो लाख रुपये तक की अगरबत्ती की खपत हो जाती है। अन्य महीने में 80-90 हजार रुपये की अगरबत्ती बिकती है। सालाना 18 लाख रुपये तक कारोबार पहुंच जाने से इस समूह में शामिल महिलाओं को प्रतिमाह 15 हजार रुपये की आय हो जाती है। महिला समूह बनाकर अगरबत्ती बनाने का काम शुरू करने वाली गुड्डी देवी की झोपड़ी की जगह पक्का मकान बन गया है। इस समूह में शामिल सरिता देवी, मालती देवी, विधवा सुगंधी कुंवर सहित अन्य महिलाओं के घर में भी खुशहाली दस्तक दे रही है।
आसपास के गांवों में भी दिखने लगा पहल का असर
इन महिलाओं की इस पहल का असर आसपास के गांवों में भी दिखने लगा है। नया टोला बेलसड़ की महिलाओं से प्रेरणा लेकर आसपास की महिलाएं भी समूह बनाकर अपना काम धंधा शुरू करने के लिए आगे आने लगी हैं। गुड्डी देवी कहती हैं कि कोरोना के संकट काल में इस गांव की महिलाओं का हुनर उनके काम का रहा है। इस महामारी के समय कारोबार पर कुछ असर पड़ा है। फिर भी इस कारोबार से जुड़ी महिलाओं की घर गृहस्थी मजे से चल रही है।
सरकार कर रही पूरा सहयोग
जीविका के सामुदायिक समन्वयक रंजन कुमार कहते हैं कि नया टोला बेलसड़ की महिलाओं की सफलता का असर आसपास के गांवों की महिलाओं में भी देखने को मिल रहा है। महिलाएं जीविका से प्रशिक्षण लेकर अपना काम धंधा करने के लिए आगे आ रही हैंं। नया टोला बेलसड़ की महिलाओं की अगरबत्ती बनाने का धंधा और आगे बढ़े, इसके लिए उन्हें पूरा सहयोग दिया जा रहा है।