बिहार: आतंकी फरहान मलिक को फर्जी पासपोर्ट देने वाले को 15 साल में सजा नहीं दिला सकी पुलिस, एके 47 से पांच लोगों की थी हत्या
Bihar News कोलकाता में 2002 में एके 47 से गोलीबारी कर हुजी के आतंकी फरहान मलिक उर्फ आफताब अंसारी ने चार सिपाही व एक अन्य गार्ड की हत्या कर दी थी। कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी।
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ । कोलकाता में 2002 में अमेरिकी सूचना केंद्र पर एके-47 से गोलीबारी कर चार सिपाहियों व एक निजी सुरक्षा गार्ड की हत्या और 20 लोगों को जख्मी करने के मामले में फांसी की सजा पाए हुजी (हरकत उल जिहाद अल इस्लामी) के आतंकी फरहान मलिक उर्फ आफताब अंसारी को आज तक पुलिस फर्जी पासपोर्ट मामले में सजा नहीं दिला सकी है। न ही इतने खतरनाक आतंकी को फर्जी पासपोर्ट उपलब्ध कराने वाले रैकेट का उद्भेदन किया जा सका है, जबकि उस वक्त मामले में आतंकी संगठन को मदद पहुंचाने वाले स्लीपर सेल की भूमिका की आशंका जताई गई थी।
कोलकाता में हमला करने के बाद भाग गया था दुबई
पुलिस सूत्रों ने बताया था कि फरहान मलिक को समाज में सफेदपोश की तरह रह रहे किसी व्यक्ति ने फर्जी पासपोर्ट मुहैया कराने में मदद की थी। फर्जी पासपोर्ट मामले में 2002 में ही बिहारशरीफ में पदस्थापित रहे सेवानिवृत्त पुलिस उप निरीक्षक राम राजराम, नोटरी पटना के एक वकील व पासपोर्ट कार्यालय के एक बिचौलिए को गिरफ्तार किया गया। परंतु पुलिस इनके खिलाफ न्यायालय में ठोस साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सकी, इस कारण सभी रिहा कर दिए गए। फरहान ने भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के लाहौर से भी फरवरी 2000 में शफीक मोहम्मद राणा के नाम से पासपोर्ट बनवाया था। वह भारत में बने फर्जी पासपोर्ट के सहारे ही कोलकाता हमले को अंजाम देकर दुबई भाग गया था, हालांकि दूसरे ही दिन उसे दुबई में इंटरपोल की मदद से पकड़ लिया गया। फरहान कोलकाता के एक जूता व्यवसायी पार्थ प्रतिम राय बर्मन के फिरौती के लिए अपहरण मामले में भी वांछित था।
15 साल में 70 से अधिक तिथियां गुजरीं
बहरहाल, फरहान मलिक पर बिहारशरीफ कोर्ट में फर्जी पासपोर्ट का मामला अभी तक लंबित है। 2007 के बाद उसे बिहारशरीफ व्यवहार न्यायालय में पेश नहीं किया जा सका। फरहान मलिक के पासपोर्ट केस की पैरवी कर रहे वकील महेंद्र कुमार ने बताया कि 2007 में फरहान मलिक की पेशी कोर्ट में हुई थी। उसे कोलकाता से हवाई जहाज से लाया गया था। उसे लाने के लिए तत्कालीन नालंदा एसपी खुद पटना एयरपोर्ट गये थे। मुकदमें में 15 साल में करीब 70 से अधिक तिथियां पार कर चुकी हैं। उसकी पेशी नहीं होने के कारण सजा के बिंदु पर अब तक फैसला नहीं हो सका है।