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बिहार में जंगलराज की वापसी का खतरा बताकर लोगों को गोलबंद कर रही भाजपा, तारणहार की भूमिका में आ गए हैं सुशील मोदी

Bihar Politics बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जंगलराज की वापसी का खतरा बताकर लोगों को भारतीय जनता पार्टी गोलबंद करने में लगी है। जंगलराज को मुद्दा बनाकर लालू को शिकस्त पहले भी दी गई थी।

By Rahul KumarEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2022 05:32 PM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2022 07:16 PM (IST)
बिहार में जंगलराज की वापसी का खतरा बताकर लोगों को गोलबंद कर रही भाजपा,  तारणहार की भूमिका में आ गए हैं सुशील मोदी
लालू, सीएम नीतीश और बीजेपी सुशील मोदी। फाइल फोटो

अरुण अशेष, पटना। नीतीश कुमार के अलग होने के बाद अब बिहार भाजपा जंगलराज के सहारे सत्ता में वापसी की रणनीति बना रही है। भाजपा के सभी बड़े नेता राज्य में जंगलराज पर बोल रहे हैं। उसकी वापसी की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। 1995 के विधानसभा चुनाव में अपराजेय बन कर उभरे लालू प्रसाद सिर्फ जंगलराज के नाम पर सत्ता से विदा हो गए।

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1995 से 2005 के बीत राज्य की विपक्षी पार्टियां लालू प्रसाद के कथित जंगलराज से मुक्ति दिलाने के नाम पर ही जनता को गोलबंद कर पाई थी। उसे विकास से भी जोड़ा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जंगलराज से मुक्ति के लिए ही सुशासन का नारा दिया था। बीते 17 वर्षों में राज्य की राजनीति में बहुत कुछ बदला। एक मुद्दा नहीं बदला-जंगलराज। इन वर्षों में सभी चुनाव प्रचार की शुरुआत विकास होती रही है। मगर समापन जंगलराज की वापसी के डर से ही होता है। 

इधर राजद के सहयोग से नीतीश कुमार की सरकार बनी, भाजपा ने जंगलराज का राग अलापना शुरू कर दिया। विश्वासमत हासिल करने से पहले ही नीतीश के डिप्टी रहे तारकिशोर प्रसाद ने कुछ आपराधिक घटनाओं का हवाला देते हुए कहा-यह जंगलराज पार्ट-2 की शुरुआत है। भाजपा को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कुछ आपराधिक और दबंग छवि के सदस्य भी अवसर दे रहे हैं।

कुल 17 मंत्रियों पर अपराध के छोटे-बड़े मामले चल रहे हैं। राज्यसभा सदस्य और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अपराध की घटनाओं पर न सिर्फ नजर रख रहे हैं, बल्कि आपराधिक छवि के मंत्रियों का ब्यौरा भी मीडिया को दे रहे हैं। उनके मुताबिक सबसे अधिक मामले सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव पर दर्ज हुए थे। विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीति से सुनियोजित ढंग से अलग कर दिए गए सुशील मोदी अचानक भाजपा के तारणहार की भूमिका में आ गए हैं।

घटनास्थल का दौरा

13 साल तक सत्ता में रहने के भाजपा सुस्त हो गई थी। अब यह खत्म हो रही है। कहीं भी अपराध की घटना होती है, भाजपा के नेता सक्रिय हो जाते हैं। घटनास्थल पर जाकर जोर से बोलने लगते हैं-आ गया। जंगलराज आ गया। तीन दिन पहले समस्तीपुर में भाजपा समर्थक एक स्वर्ण व्यवसायी की हत्या हो गई। विपक्ष के नेता विजय सिन्हा लाव लश्कर के साथ वहां गए।

जिले के एसपी को फोन पर हड़काया और सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष की घोषणा की। सिन्हा को विपक्ष के नेता का पद इसलिए दिया भी गया है कि वे अपराध के मामले में सरकार पर हमलावर रहेंगे। समस्तीपुर के शीर्ष पुलिस अधिकारी को उन्होंने कहा-हम दो दिन बाद पूछेंगे। इस मामले में क्या कार्रवाई हुई। भाजपा ने विधान परिषद में अपना नेता आक्रामक छवि के सम्राट चौधरी को बनाया है। 

विकास पर बोल नहीं सकते

भाजपा नेताओं की मजबूरी है कि वे विकास के नाम पर सरकार को नहीं घेर सकते, क्योंकि 2014 से ही भाजपा राज्य में जबर्दस्त विकास का दावा कर रही है। 2015-17 के 18 महीने को छोड़ दें तो वह डबल इंजन की सरकार से निकलने वाली विकास परियोजनाओं की अगवानी करती रही है।राज्य सरकार के भ्रष्टाचार पर भी वह बोलने की हालत में नहीं है, क्योंकि ट्रांसफर-पोस्टिंग से कमाने का आरोप उसके मंत्रियों पर भी लगा है। सो, ले-देकर वह अपराध पर बोल कर लोगों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की कोशिश कर रही है।


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