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बिहारः हर घर नल का जल योजना में गड़बड़ी के आरोप में काली सूची में डाली गई एजेंसियां हो रहीं सफेद

एक एजेंसी पर आरोप लगा था कि टंकी से पानी नहीं गिरा उससे बदले टंकी ही गिर गई। यह फरवरी की घटना है। उस समय खूब हंगामा हुआ था। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने जांच पड़ताल के बाद पाया कि टंकी निर्माणाधीन अवस्था में गिरी थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 07:04 PM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 07:04 PM (IST)
बिहारः हर घर नल का जल योजना में गड़बड़ी के आरोप में काली सूची में डाली गई एजेंसियां हो रहीं सफेद
हर घर नल का जल योजना में गड़बड़ी करने वाली कंपनियां काली सूची से सफेद में बदल जा रही हैं।

राज्य ब्यूरो, पटना : हर घर नल का जल योजना में सुस्ती एवं गड़बड़ी की शिकायतों के आरोप में काली सूची में डाली गईं निजी एजेंसियां तेजी से दोषमुक्त हो रही हैं। एक एजेंसी पर आरोप लगा था कि टंकी से पानी नहीं गिरा, उससे बदले टंकी ही गिर गई। यह फरवरी की घटना है। उस समय खूब हंगामा हुआ था। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने जांच पड़ताल के बाद पाया कि टंकी निर्माणाधीन अवस्था में गिरी थी। इसमें एजेंसी का दोष नहीं है। यह मामला खगड़िया जिला के अलौली प्रखंड के हरिपुर पंचायत के वार्ड नम्बर 11 का है। इस साल के दो फरवरी की घटना है। सात दिन बाद ही निर्माण एजेंसी को काली सूची में डाल दिया गया। करीब नौ महीने की जांच पड़ताल के बाद एजेंसी को पाक साफ घोषित कर दिया गया। 

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मोकामा की एक एजेंसी को समय पर काम पूरा न होने के कारण सितंबर 2019 में काली सूची में डाला गया। उस पर सात साल पहले आवंटित काम को पूरा न करने का आरोप था। अब वह एजेंसी काली सूची से बाहर है। आरा की एक एजेंसी को नल जल योजना का काम दिया गया था। काम समय पर पूरा नहीं हुआ। पिछले साल के अगस्त में एजेंसी को विभाग में काम करने से मना कर दिया गया। इधर उसे काम करने की इजाजत मिल गई है। 

विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस साल चार दर्जन से अधिक एजेंसियों को काली सूची से बाहर किया गया है। नल जल योजना के शुरू होने के बाद से अब तक आठ सौ से अधिक एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अधिसंख्य एजेंसियां अब भी काली सूची से बाहर निकलने के लिए हाथ पैर मार रही हैं।

जल्दी में रहते हैं अधिकारी

किसी योजना में देर होती है। सवाल उठता है तो पर्यवेक्षण अधिकारी सबसे पहले अपना बचाव करते हैं। एजेंसियों पर तुरंत असर पड़ता है। मामूली जांच पड़ताल के बाद एजेंसी को काली सूची में डाल दिया जाता है। मामला ठंडा होने के बाद गंभीरता से जांच होती है। एजेंसियों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है। कई एजेंसियां काली सूची से बाहर निकलने के लिए हाईकोर्ट का सहारा लेती हैं।  


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