बिहार के नए उद्यमियों की हसरतों का हब ‘स्टार्ट’ तो हुआ पर हो न सका ‘अप’ Patna News
राजधानी के बिस्कोमान टावर की नौवीं और तेरहवीं मंजिल पर धूम-धड़ाके से शुरू किया गया ‘स्टार्टअप हब’ खड़ा करने का सपना अब तक आकार नहीं ले सका है। जानें क्या हो गई इसकी हालत।
श्रवण कुमार, पटना। नए उद्यमियों की हसरतों को हौसलों का पंख लगाकर ‘स्टार्टअप हब’ खड़ा करने का सपना अब तक आकार नहीं ले सका है। बीस माह पूर्व राजधानी के बिस्कोमान टावर की नौवीं और तेरहवीं मंजिल पर धूम-धड़ाके से शुरू किए गए स्टार्टअप हब पर सन्नाटा पसरा है। जिन 31 उद्यमियों और कंपनियों को हब में कार्यस्थल मुहैया कराया गया था, उनमें से 24 का अब कोई अता-पता ही नहीं है। सात स्टार्ट अप हब में कार्यस्थल का उपयोग तो कर रहे हैं, पर इनमें से भी अधिसंख्य समस्याओं का रोना रो रहे हैं।
प्रोत्साहित करने का प्रयास जारी
हालांकि उद्यमियों के हौसलों की उड़ान भले ही अधूरी रह जा रही हो, शासन के स्तर पर अब भी स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के प्रयास जारी हैं। इसी प्रयास के तहत बिस्कोमान टावर स्थित सातवीं, आठवीं, नौवीं, ग्यारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं फ्लोर को अधिग्रहित किया गया है। इसके अतिरिक्त डाकबंगला चौराहा, बिहटा और राजगीर में भी भूमि का अधिग्रहण कर पीपीपी मोड में आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ है। राज्य के पहले स्टार्टअप हब का उद्घाटन बिस्कोमान भवन में 17 मार्च 2018 को किया गया।
कई तरह की सुविधाएं कराई जाती हैं मुहैया
स्टार्टअप हब में नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए मुफ्त या रियायती दर पर कार्यस्थल सहित कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। आइटी उत्पाद व साफ्टवेयर, बिजनेस प्रोसेस, नॉलेज प्रोसेस और लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिग, कॉल सेंटर, डिजिटल कंटेंट डेवलपमेंट, स्मार्ट टेक्नॉलाजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डाटा सेंटर टेक्नॉलाजी के कार्य करने वालों को प्राथमिकता के आधार पर कार्यस्थल आवंटित किया जाना है।
इन स्टार्टअप को मिली थी जगह
रेड्स टेक्नो इंटरटेनमेंट, माइक्रो एक्स लैब, आर्ट एन क्रॉफ्ट टू ट्रेड, ग्रीन ड्रीम अर्थ, एब्सोल्यूट क्षइमेंशन, राजन कुमार, संजय कुमार झा, दुर्गेश कुमार, एसके इनोवेशन, स्ट्राटम ओकमोंट, परफेसिस्ट टेक्नोलॉजी, एमफोर इंडिया सोल्यूशंस, इंडिया एप सोल्यूशंस, प्रोसपीरिटा मेडी360 , अनुज कुमार, इंफो एरा ऑफ्टवेयर सर्विस, मयूरायन कर्स ऑटो सर्विस, सर्वजीत कुमार, ओलाप्स टेक्नॉलॉजी, एइबीट सिस्टम , विनकिट टेक्नॉलॉजी एंड सर्विस, एक्सपर्ट सॉल्यूशन यूएसए, अस्कॉमिनी एकेडमिक डेवलपर्स, स्योन टेक्नॉलाजी, नेक्स्ट इंटरटेनमेंट, आमात्या मीडिया इंफो, केरांट टेक्नालॉजी, अविनाश कुमार, कुमार गौरव, सॉफ्ट क्ल्यूक टेक्नॉलाजी और सनसाइन आर्ट स्टूडियो।
अब सिर्फ ये ही क्रियाशील
रेड्स टेक्नो इंटरटेनमेंट, एब्सोल्यूट डायमेंशन, दुर्गेश कुमार का सैनेटिक सॉफ्टवेयर, परफेसिस्ट टेक्नॉलाजी(पॉलीट्रापिक), एमफोर इंडिया, इंडिया एप और एइबीट सिस्टम।
रद नहीं किया गया आवंटन
सूचना व प्रावैद्यिकी विभाग के सचिव राहुल सिंह ने कहा, स्टार्टअप के वक्त यह नहीं कहा जा सकता कि कौन सफल होंगे, कौन असफल। स्टार्टअप हब से जो उद्यमी अलग हुए हैं उनका आवंटन रद नहीं किया गया है, पर अब नई नीति के अनुसार नए सिरे से आवंटन होगा। शीघ्र ही स्टार्टअप को प्रमोट करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
पड़ा है उथल-पुथल का असर
सूचना व प्रावैद्यिकी विभाग के प्रधान परामर्शी सुनील कालरा ने कहा, स्टार्टअप का जो कांसेप्ट है उसमें अगर सफलता दर पांच फीसद भी है तो उसे नकारात्मक नहीं कहा जा सकता। कई लोग आइडिया पर स्टार्टअप शुरू करते हैं। जिनका आइडिया सफल नहीं होता वे ड्रॉप कर लेते हैं। यूएस ओर यूरोप की उथल-पुथल का असर भी पड़ा है।
प्राइवेसी का है संकट
पॉलीट्रापिक अनन्या कहती हैं, स्टार्टअप हब में आइटी से संबंधित वर्क के लिए पांच लोगों के बैठने की जगह मिली है, पर केबिन नहीं दिया गया है। इस वजह से प्राइवेसी नहीं रह पाती, जिससे समस्या उत्पन्न होती है।
क्लाइंट तक पहुंचने में होती है परेशानी
दुर्गेस कहते हैं, स्टार्ट अप अब में शुरू में कहा गया था कि बोर्ड लगवाया जाएगा। पर बोर्ड लगाने की अनुमति नहीं दी जा रही। न अलग से केबिन है। इससे क्लाइंट को तो पहुंचने में दिक्कत होती ही है, बात के समय गोपनीयता भी नहीं रह पाती। इन सबके कारण भी दिक्कत होती है।