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बिहार के मंत्री मुकेश सहनी ने संजय निषाद के नाम लिखा खुला खत, लगाए कई बड़े आरोप

मुकेश सहनी ने डाक्टर संजय निषाद के नाम खुला पत्र लिखकर परिवारवाद का आरोप लगाया है। मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि आपको जब-जब मौका मिला है आपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ समझौता कर निषादों को बेचने का काम किया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 06:55 PM (IST)
बिहार के मंत्री मुकेश सहनी ने संजय निषाद के नाम लिखा खुला खत, लगाए कई बड़े आरोप
बिहार के मंत्री मुकेश सहनी। जागरण आर्काइव।

जागरण टीम, पटना: राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने डाक्टर संजय निषाद के नाम खुला पत्र लिखकर परिवारवाद का आरोप लगाया है। मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि आपको जब-जब मौका मिला है आपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ समझौता कर निषादों को बेचने का काम किया है। इसके एवज में अपने पुत्र को सांसद बनाया और स्वयं एमएलसी बन गए। यह सारी करतूतें निषाद समाज देख रहा है, जिसका खामियाजा आपको अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। वीआइपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा कि मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि मैं मुंबई छोड़कर बिहार एवं यूपी में समाज को एकजुट करने के लिए आया था। उस दिशा में निरंतर प्रयासरत हूं। बिहार में बहुत हद तक इसके लिए सफलता भी मिली है।

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निषाद समाज को एकजुट करने के लिए सीएम-पीएम से करें आग्रह

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी यह पद्धति दोहराने वाली है, लेकिन आप जैसे अवसरवादी एवं सुविधा भोगी लोगों के कारण निषाद समाज हमेशा ठगा जाता रहा है। ऐसे में आपसे आग्रह है कि निषाद समाज को एकजुट करने एवं उनके अधिकारों को दिलाने के लिए आप योगी आदित्यनाथ एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र के माध्यम से जो संदेश भेजा है, वह कतई पर्याप्त नहीं है।

नेताओं ने नहीं दिया मुख्यधारा में आने का मौका

उन्होंने कहा कि निषाद समाज हमेशा पिछड़ा रहा है, जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है पिछले पांच वर्षों में निषादों की उतनी प्रगति नहीं हो पाई है जितनी समाज के लिए अपेक्षित था। इसके पूर्व के नेताओं ने भी निषादों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का मौका नहीं दिया। ऐसे में हमारी और आपकी जिम्मेदारी है कि निषादों को एकजुट कर उनके अधिकारों की रक्षा करें ताकि निषाद समाज भविष्य में विकास का मार्ग स्वयं तय कर सकें।


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