बिहार के मगध विवि के कुलपति राजेंद्र सिंह कभी भी हो सकते हैं गिरफ्तार, अग्रिम जमानत खारिज
कुलपति डा. राजेंद्र सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका निगरानी कोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे कुलपति की गिरफ्तारी के आसार बढ़ गए हैं। सोमवार को निगरानी के विशेष जज मनीष द्विवेदी की अदालत में आरोपित कुलपति की अग्रिम जमानत पर सुनवाई पूरी हुई।
न्यायालय संवाददाता, पटना: बिहार के गया स्थित मगध विश्वविद्यालय में बीस करोड़ रुपये के घोटाले मामले में फंसे कुलपति डा. राजेंद्र सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका निगरानी कोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे कुलपति की गिरफ्तारी के आसार बढ़ गए हैं। सोमवार को निगरानी के विशेष जज मनीष द्विवेदी की अदालत में आरोपित कुलपति की अग्रिम जमानत पर सुनवाई पूरी हुई। 21 जनवरी को अदालत ने कुलपति के अधिवक्ता की ओर से दायर अग्रिम जमानत मामले में वर्चुअल सुनवाई की थी। विजिलेंस के अधिवक्ता आनंदी सिंह ने अग्रिम जमानत का विरोध किया था। उन्होंने कोर्ट का बताया था कि डा. राजेन्द्र प्रसाद इस मामले के मुख्य आरोपित हैं।
करोड़ों रुपये का घपला करने के आरोपित हैं डा. राजेंद्र
विश्वविद्यालय में आपसी षड्यंत्र कर ओएमआर शीट, प्रश्नपत्र और बुक्स की खरीद में करोड़ों का घपला किया है। निगरानी ने इनके पैतृक आवास गोरखपुर से एक करोड़, 82 लाख, 75 हजार रुपये नकद बरामद किया था। इसके अलावा, 42 लाख, 84 हजार 247 रुपये का सोना, एक लाख, 93 हजार 620 रुपये की चांदी के गहने और विदेशी मुद्रा बरामद की थी। इस मामले में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जितेन्द्र कुमार सहित कई अन्य आरोपित हैं। जितेन्द्र कुमार की अग्रिम जमानत याचिका अदालत में लंबित है। वीर कुंवर विश्वविद्यालय के वित्तीय अधिकारी ओमप्रकाश भी आरोपित हैं।
मामले में इन लोगों को भी भेजा जा चुका है जेल
निगरानी ने कांड संख्या 02/ 2021 भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम आइपीसी की धारा 120 (बी), 420 सहित अन्य अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया है। अदालत इस मामले में आरोपित एमयू के रजिस्ट्रार डा. पुष्पेंद्र कुमार वर्मा, प्राक्टर जयनंदन प्रसाद सिंह, पुस्तकालय प्रभारी विनोद सिंह, कुलपति के निजी सचिव सुबोध कुमार को 20 दिसंबर को जेल भेज चुकी है। अब मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राजेंद्र सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद उनपर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।