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दहेज व बाल विवाह मिटाने को हाथ थाम गरजा पूरा बिहार

दहेज और बाल विवाह की कुप्रथा के खिलाफ रविवार को बिहार के लोगों ने विश्‍व की सबसे लंबी मानव श्रृंखला बनाई। 14.19 हजार किमी लंबी इस श्रृंखला में करीब साढ़े चार करोड़ लोग शामिल हुए।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 21 Jan 2018 08:15 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 08:15 PM (IST)
दहेज व बाल विवाह मिटाने को हाथ थाम गरजा पूरा बिहार
दहेज व बाल विवाह मिटाने को हाथ थाम गरजा पूरा बिहार

पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार के करोड़ों लोगों ने रविवार को एक दूसरे का हाथ पकड़कर दहेज और बाल विवाह उन्मूलन का संकल्प लिया। साल भर पहले आज ही के दिन प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक लोगों ने नशे के खिलाफ सामूहिक संघर्ष के लिए मानव श्रृंखला बनाई थी। इस बार दहेज और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ पूरा प्रदेश और प्रतिबद्ध दिखा।

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मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने राज्य भर से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर दावा किया कि रविवार को साढ़े चार करोड़ से ज्यादा लोगों ने 14.19 हजार किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाकर इस सामाजिक बदलाव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

गांधी मैदान से गांव कस्बों तक बनी श्रृंखला

राजधानी से लेकर गांव-कस्बों में कतारों में खड़े करोड़ों लोगों की प्रतिबद्धता को प्रकृति का भी साथ मिला। महीने भर से जारी कड़ाके की ठंड के तेवर नरम थे। कोहरा कट गया था। धूप खिली। इससे सामाजिक न्याय के संकल्प को नई ऊर्जा मिल रही थी।

दोपहर 12 बजने के पहले ही एक-दूसरे का हाथ थामे लोगों की कतारें दिखने लगीं। राजधानी में इस महा आयोजन का साक्षी बना ऐतिहासिक गांधी मैदान। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील मोदी, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर, कृषि मंत्री प्रेम कुमार, राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर, मेयर सीता साहू, विधायक अरुण सिन्हा समेत तमाम नेताओं, अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के मजबूत इरादों ने मानव श्रृंखला को अनुमान से ज्यादा लंबा कर दिया।

मुख्यमंत्री ने गुब्बारे उड़ाकर बाल विवाह एवं दहेज को ना कहने की अपील की। ड्रोन कैमरों ने उस क्षण को गर्व-गौरव के साथ बार-बार कैद किया, जब संकल्प की दृढ़ता के आगे बड़े-छोटे का भाव सिमट गया था। आम के साथ खास और मुलाजिमों के साथ अधिकारी हाथ में हाथ डाले खड़े थे।

गांवों-कस्बों, खेतों-खलिहानों में जो जहां था, उसने वहीं पर खड़ा होकर कुरीतियों पर प्रहार की शपथ ली। आपसी मतभेद खत्म करके तरक्की की बुनियाद रखी।

समाज को मिलेगी नई दिशा

प्रकाश पर्व की अंतरराष्ट्रीय ख्याति और शराबबंदी अभियान के बाद सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध महायुद्ध से समाज को नई दिशा मिलना तय है। जागरूकता के जरिए वर्तमान एवं भविष्य को सुंदर बनाने के लिए बिहार ने जो पहल की, वैसा पहले कभी किसी देश-प्रदेश ने नहीं किया। सामाजिक सुधार के संकल्प की कतारें राजधानी से लेकर जिलों, प्रखंडों, गांवों एवं टोलों की सड़कों एवं पगडंडियों से होकर गुजरी। प्रदेश में उत्साह व उत्सव जैसा माहौल था।

आधा घंटा थम गया बिहार

बिहार ने 30 मिनट तक सड़कों, मैदानों एवं खेतों में खड़े होकर अपने इरादे का इजहार किया...न दहेज लेंगे न देंगे। बाल विवाह से परहेज करेंगे। स्कूलों-कालेजों के विद्यार्थी सड़कों पर उतरे। अन्य मंत्री एवं अधिकारियों ने अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में इसका नेतृत्व किया। पिछले साल 21 जनवरी को शराबबंदी के समर्थन में बनी मानव श्रृंखला ने कीर्तिमान बनाया था। 12,760 किमी लंबी श्रृंखला में तीन करोड़ से अधिक लोग कतार में खड़े हुए थे। इसे लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में सबसे लंबी मानव श्रृंखला के रूप में दर्ज किया गया है।

इस बार भी मिलेगा लिम्का बुक में स्थान

बीते वर्ष शराबबंदी के समर्थन में बनाई गई मानव श्रृंखला को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने अपनी किताब में जगह दी। इस बार बनाई गई श्रृंखला को लिम्का रिकॉर्ड में शामिल करने के लिए लिम्का के अधिकारियों को आमंत्रण दिया था। मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा सरकार को उम्मीद है हम इस बार मानव श्रृंखला में नया कीर्तिमान कायम करेंगे और उसे लिम्का बुक में निश्चित रूप से शामिल किया जाएगा।


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