Bihar liquor ban: शराबबंदी के बावजूद शराब पीने और बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी
Bihar liquor ban बिहार में शराबबंदी पर सवाल उठाने वाले नेताओं को उन इलाकों में अभियान चलाना चाहिए जहां अवैध शराब की शिकायतें मिलती हैं। उस वर्ग को समझाना चाहिए जो तमाम मनाही के बावजूद शराब पी रहा है।
पटना, राज्य ब्यूरो। जहरीली शराब से नालंदा जिले में 12 लोगों की मौत ने एक बार फिर यह बता दिया है कि शराबबंदी का फैसला कितना उचित है। शराब पीना कितना नुकसानदेह है, यह घटना यही बताती है। शराब पीने से शरीर को कई तरह की बीमारियां घेरती हैं। जहीरीली शराब मौत देती है। शराब के नशे में सामाजिक और पारिवारिक हिंसा बढ़ती है। सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। यह तो सभी जानते हैं। यही वजह है कि शराबबंदी पर सवाल उठाने वाले नेता भी यही कहते हैं कि शराबबंदी को ठीक से लागू किया जाए।
ऐसी व्यवस्था बने कि शराब बेचने का अवैध धंधा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। शराब तस्करी में लिप्त लोगों को सजा मिले। व्यवस्था इतनी चुस्त हो कि शराब बिके ही नहीं। नहीं बिकेगी तो कुछ लोग जो चोरी-छिपे पी रहे, वे भी अपनी आदतें छोड़ेंगे। केस-मुकदमे भी कम होंगे। शराबबंदी के बाद राज्य में एक ऐसा वर्ग तैयार हो गया है जो इस कानून को तरह-तरह से ठेंगा दिखा रहा। इस वर्ग में अवैध उत्पादक, तस्कर, कुछ पुलिस वाले और विक्रेता हैं। शराबबंदी के बावजूद राज्य में अवैध रूप से शराब की बिक्री के पीछे सबसे अधिक दोषी कोई है, तो वह पुलिस है। सैकड़ों पुलिस वाले निलंबित हो चुके हैं। कुछ नौकरी गंवा चुके हैं, लेकिन अभी भी लोग शराब से अवैध कमाई में लिप्त हैं।
ग्रामीण इलाकों में देसी शराब के निर्माण और बिक्री में लगे लोगों के बारे में स्थानीय थाने को कैसे महीनों तक कोई जानकारी नहीं मिलती, यह आश्चर्य का विषय है? उस गांव के हर व्यक्ति को पता रहता है कि फलां जगह शराब मिलती है, लेकिन पुलिस को उसकी जानकारी नहीं रहती। दरअसल पुलिस की वहीं से कमाई होती है। इसलिए इसपर रोक नहीं लग पा रही। शराब और बालू पुलिस और परिवहन विभाग के एक बड़े भ्रष्ट वर्ग की अवैध कमाई का जरिया हो चुका है। इनके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई जरूरी है। शराबबंदी पर सवाल उठाने वाले नेताओं को उन इलाकों में अभियान चलाना चाहिए, जहां अवैध शराब की शिकायतें मिलती हैं। उस वर्ग को समझाना चाहिए, जो तमाम मनाही के बावजूद शराब पी रहा है। शराबबंदी पर सवाल उठाने से अच्छा है कि इसे फेल करने वालों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाए। राज्य के हित में यही अच्छा है।