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विधान परिषद सदस्यों ने खड़ा किया सवाल, शिक्षकों को मजदूरों की तरह कॉपी जांच में न लगाएं हुजूर

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की कॉपी जांच टाइम-टेबल को लेकर विधान परिषद में बुधवार को शिक्षक सदस्यों ने शून्यकाल में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। शिक्षा मंत्री व संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी की मौजूदगी में शिक्षक विधान पार्षदों ने दो पालियों में कॉपी जांच कराने पर सख्त आपत्ति जताई।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 08:39 AM (IST)
विधान परिषद सदस्यों ने खड़ा किया सवाल, शिक्षकों को मजदूरों की तरह कॉपी जांच में न लगाएं हुजूर
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की तस्वीर। - -

राज्य ब्यूरो, पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की कॉपी जांच टाइम-टेबल को लेकर विधान परिषद में बुधवार को शिक्षक सदस्यों ने शून्यकाल में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। शिक्षा मंत्री व संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी की मौजूदगी में शिक्षक विधान पार्षदों ने दो पालियों में कॉपी जांच कराने पर सख्त आपत्ति जताई। भाकपा के संजय कुमार सिंह ने शून्यकाल में सदन को बताया कि सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक और दोपहर तीन बजे से रात दस बजे तक कॉपी जांच कराने पर सवाल खड़ा किया।

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शिक्षकों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार पर सवाल

उन्होंने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष विद्यालय को फैक्ट्री और शिक्षक को मजदूर बनाने पर आमादा है। विधान पार्षदों ने एकजुट होकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा शिक्षकों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार पर सवाल खड़ा किया। कहा परीक्षा समिति शिक्षकों की स्थिति बदतर बनाने पर आमादा है। कोरोना काल में इस तरह अमानवीय तरीके से कॉपी जांच कराने की कौन सी जल्दबाजी है। परीक्षा समिति के इस अमानवीय फरमान से महिला शिक्षकों को सर्वाधिक परेशानी झेलनी होगी। रात दस बजे बाद कैसे घर लौटेंगी और सुबह आठ बजे फिर कैसे मूल्यांकन केंद्र पहुंचेंगी।

कॉपी जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाए

अगर परीक्षा समिति के सामने कोई मजबूरी है तो वह कॉपी जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाए। इस तरह का अमानवीय आदेश पहली बार परीक्षा समिति ने जारी किया है। शिक्षक सदस्यों ने कहा कि अध्यक्ष शाबाशी लेने के लिए शिक्षक को मजदूर बनाने पर तुले हैं। केदार नाथ पांडेय, संजीव कुमार सिंह और संजीव श्याम सिंह के अलावा अन्य शिक्षक विधान पार्षदों ने एकजुट होकर सदन का ध्यान आकृष्ट किया। कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने पूरे मामले को गंभीर बताया। उन्होंने इसे ध्यानाकर्षण के जरिए लाने का नियमन दिया। उन्होंने कहा कि कई सदस्य इस विषय पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं। ऐसे में समय के अभाव को देखते हुए सभी सदस्यों को ध्यानाकर्षण के जरिए इस विषय को सदन में लाना चाहिए।


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