बिहार के दौरे पर 15वें वित्त आयोग की टीम, राज्य को अधिक राशि की उम्मीद
15वें वित्त आयोग की टीम आजकल बिहार के दौरे पर है। एेसे में बिहार को पहले से अधिक राशि मिलने की उम्मीद है।
पटना [एसए शाद]। 15वें वित्त आयोग ने राशि आवंटित करने के लिए 1971 की जनगणना की जगह 2011 की जनगणना को आधार बनाने का फैसला किया है जिससे बिहार को पहले से अधिक राशि मिलने की उम्मीद है। यह उम्मीद भी है कि प्रदेश के दौरे पर आई वित्त आयोग की टीम प्रति व्यक्ति आय और सीडी रेशियो का भी ध्यान रखेगी।
1971 की तुलना में अभी राज्य की आबादी में काफी इजाफा हो चुका है, मगर इसके बावजूद जनसंख्या के ताजा आंकड़े को वित्त आयोग आधार नहीं बना रहा था।
आंकड़े बताते हैं कि पहले से सातवें वित्त आयोग ने आबादी के मापदंड को 90 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जबकि 8वें आयोग ने मात्र 25 फीसद। उसके पश्चात किसी भी वित्त आयोग ने 28 प्रतिशत से कम 'वेटेज' इसे नहीं दिया। 2011 जनगणना के आंकड़ों का संज्ञान 14वें वित्त आयोग ने भी लिया था, मगर दस प्रतिशत ही। 15वें वित्त आयोग द्वारा 2011 को कट आफ इयर मान लेने से प्रदेश की अपेक्षा बढ़ी है।
बिहार में इस समय प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 68 प्रतिशत कम है, जबकि सीडी रेशियो 45 है। राज्य की अपेक्षा है कि वित्त आयोग इस बात का संज्ञान ले कि बिहार के बैंकों में जमा होने वाली राशि का लाभ दक्षिण भारत के राज्यों और महाराष्ट्र को जाता है।
राशि आवंटन के लिए केंद्रीय संसाधनों में हिस्सेदारी का अनुपात 11वें वित्त आयोग के 29.5 प्रतिशत से बढ़कर 14वें वित्त आयोग में 42 प्रतिशत हुआ है। मगर, यह भी एक विडंबना है कि कुल राशि का 11.5 प्रतिशत जहां बिहार को 11वें वित्त आयोग में मिला था, वह प्रतिशत 14वें वित्त आयोग में घटकर 9.66 प्रतिशत पर आ गया। अपेक्षा इस विषमता को दूर किए जाने की भी है।
बिहार में हर साल बाढ़ से होने वाले नुकसान को भी राशि आवंटन का आधार बनाने के लिए अनुरोध किया जाएगा। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को आपदा प्रबंधन के लिए मात्र 2,591 करोड़ आवंटित किए थे, जबकि महाराष्ट्र को 8,195 करोड़ रुपये मिले थे।
केंद्रीय संसाधन में हिस्सेदारी की दर
आयोग ---- प्रतिशत
11वां ----- 29.5
12वां ----- 30.5
13वां ----- 32.0
14वां ----- 42.0
कुल राशि का बिहार को प्रतिशत
आयोग ---- प्रतिशत
11वां ----- 11.5
12वां ----- 11.0
13वां ---- 10.91
14वां ----- 9.66