बिहार : नालंदा के थरथरी में एक दिन बाद जलाई होलिका, चिंगारी से खलिहान में लगी आग
बिहार के नालंदा स्थित थरथरी में एक पंडा ने होलिका दहन के अगले दिन होलिका जलाई। इस दौरान चिंगारी से पास के खलिहान में आग लग गई। ग्रामीणों ने तत्परता से आग पर काबू पा लिया। घटना के बाद से आरोपित फरार हो गया है।
नालंदा, जागरण संवाददाता। देशभर में जहां रविवार की शाम से रात तक होलिका जलायी गई, वहीं बिहार के नालंदा जिले के थरथरी प्रखण्ड के कान्धु पीपर गांव में एक दिन बाद ऐसा नजारा दिखा। सोमवार को नालंदा के इंदौत (हिलसा) में एक पंडा वीरमणि यादव ने जैसे ही होलिका फूंकी कि आग बेकाबू होकर सड़क के किनारे स्थित एक खेत तक फैल गई। देखते-देखते पूरा खेत धू-धूकर जलन लगा। हालांकि, वहां रखी खेसारी व मसूर की सुखाई जा रही फसल बचा ली गई। ग्रामीणों की तत्परता से आग को काबू में कर लिया। ग्रामीणों ने सबमर्सिबल पंप सेटों एवं नल-जल आपूर्ति करने वाला मोटर पंप से पानी जुटाकर होलिका की अग्नि एवं खलिहान की आग बुझाई गई। यदि उस समय बिजली कटी होती तो कई घर भी जल जाते।
गांव के होलिका दहन में नहीं आया
थरथरी और हिलसा के बीच कान्धु पीपर गांव स्थित है। यहां हिलसा-नूरसराय सड़क पर ही होलिका जलायी जाती है। रविवार शाम तक ग्रामीणों ने जलावन का अंबार लगा रखा था। लोग होलिका फूंकने के लिए वीरमणि का इंतजार करते रहे, लेकिन वह नहीं आया।
क्यों जली एक दिन बाद होलिका
ग्रामीणों ने बताया कि यहां ससुराल में आकर वसने वाले वीरमणि यादव होलिका फूंकते हैं। पहले इनके ददससुर फूंका करते थे। वीरमणि जान बूझकर पिछले चार सालों से चैत्र की पहली तिथि को होलिका जला रहे हैं।
इस साल ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर निर्णय लिया कि जब शुभ मुहूर्त में होलिका नहीं जली तो दूसरे दिन जलाने का कोई मतलब नहीं रह जाता, इसलिए नहीं जलाई जाए। लेकिन वीरमणि नहीं माने। उनका इरादा गांव वालों के विचार एवं धार्मिक परम्पराओं से हटकर कार्य करना था, ताकि दबदबा रहे। अनहोनी की आशंका से दूसरे परिवार के सदस्य होलिका फूंक भी नहीं सकते, इसी का नाजायज फायदा वीरमणि चार साल से उठाता आ रहा है। लेकिन इस बार दुर्घटना हो गई।
घटना के बाद से आरोपित फरार
अगलगी की घटना के बाद वीरमणि एवं उसके द्वारा लाये गए भाड़े का पंडा फरार हो गए थे। इस घटना को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी देखी गई।