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रोजगार के अवसरों के मामले में बिहार ने झारखंड व राजस्‍थान को पीछे छोड़ा, सितंबर के आंकड़े उत्‍साह बढ़ाने वाले

कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ ही रोजगार के अवसरों में मामूली ही सही बढ़ोत्तरी हो रही है। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानामी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बिहार में भी बेरोजगारी दर में कमी आई है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 12:50 PM (IST)
रोजगार के अवसरों के मामले में बिहार ने झारखंड व राजस्‍थान को पीछे छोड़ा, सितंबर के आंकड़े उत्‍साह बढ़ाने वाले
बिहार में बढ़े रोजगार के अवसर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ ही रोजगार के अवसरों में मामूली ही सही, बढ़ोत्तरी हो रही है। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानामी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बिहार में भी बेरोजगारी दर में कमी आई है। इस साल सितंबर में राज्य में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत थी। यह इस साल के मई महीने की तुलना में चार प्रतिशत कम है। यानी इस समय काम करने वाले 10 प्रतिशत श्रम बल को रोजगार नहीं मिल रहा है। हालांकि, देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार की स्थिति अपेक्षाकृत ठीक कही जा सकती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बेरोजगारी दर 16.8 प्रतिशत है।

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बिहार की तुलना में दिल्‍ली में रोजगार के अवसर अधिक

बिहार की तुलना में दिल्‍ली में रोजगार के अवसर अधिक हैं। कोरोना के पहले दौर में दिल्ली से श्रमिकों का पलायन हुआ था। धीरे-धीरे श्रमिक लौट रहे हैं तो काम की कमी हो रही है। मालूम हो कि दिल्ली के श्रम बल में बिहार की अच्छी भागीदारी है। यही हाल दिल्ली के बगल के राज्य हरियाणा का है। वहां सितम्बर में बेरोजगारी दी 20.3 प्रतिशत है। हरियाणा में उद्योग-धंधे के अलावा कृषि क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

राज्‍य में झारखंड से बेहतर हालत

बिहार की तुलना में कारोबार और उद्योग धंधे के लिहाज से बेहतर पड़ोसी राज्य झारखंड में बेरोजगारी दर 13.5 प्रतिशत है। समग्रता में देखें तो केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। यह 21.6 प्रतिशत है। हाल की आतंकी घटनाओं का कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। राजस्थान में बेरोजगारी दर 17. 9 प्रतिशत है, जो मध्य प्रदेश के 3.2 प्रतिशत की तुलना में बहुत अधिक है। कोरोना से सबसे अधिक पीडि़त केरल की स्थिति अच्छी कही जा सकती है। क्योंकि केरल में सितम्बर महीने में बेरोजगारी दर महज 8. 9 प्रतिशत दर्ज है। पश्चिम बंगाल की हालत कमोवेश ठीक कही जा सकती है। वहां बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत है।

पिछले सितंबर के मुकाबले इस बार सुखद स्थिति

राज्य के लिए यह इसलिए सुखद है क्योंकि पिछले साल सितम्बर महीने में बेरोजगारी दर 33.8 प्रतिशत थी। उस समय तीन में से सिर्फ  दो कामकाजी लोगों को काम मिल पाता था। वह  विधानसभा चुनाव का समय था। रोजगार चुनावी मुद्दा बना। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था। जवाब में एनडीए ने 20 लाख रोजगार देने की घोषणा कर दी।


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