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बिहार सरकार ने श्मशान, चर्च और वक्फ की जमीन की अवैध रजिस्ट्री करनेवाले को जबरन किया रिटायर,

शिवहर के जिला अवर निबंधक प्रमोद कुमार सिंह जबरन रिटायर करा दिए गए हैं। उनपर लगे आरोप दिलचस्‍प हैं। उनपर लगे आठ में से छह आरोप प्रमाणित हुए। दो में भी उन्‍हें आंशिक दोषी पाया गया। उनकी सफाई को लोक सेवा आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 08:39 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 05:02 PM (IST)
बिहार सरकार ने श्मशान, चर्च और वक्फ की जमीन की अवैध रजिस्ट्री करनेवाले को जबरन किया रिटायर,
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग का लोगो, साभार फेसबुक पेज, बिहार सरकार।

पटना, राज्य ब्यूरो। कई आरोपों से घिरे शिवहर के जिला अवर निबंधक (District Additional Registrar)  प्रमोद कुमार सिंह जबरन रिटायर (forced retirement) करा दिए गए। विभाग के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल (cabinet) और बिहार लोक सेवा आयोग (Bihar Public Service Commission) से पहले ही स्वीकृति मिल चुकी थी। बुधवार (23 दिसंबर) को मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग (Prohibition, Excise and Registry Department) ने अधिसूचना भी जारी कर दी।

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अवैध रजिस्‍ट्री करने के कई आरोप

सिंह पर लगे आरोप दिलचस्प हैं। चर्च, कैसरे हिंद, वक्फ, श्मशान घाट और रेलवे की जमीन की अवैध रजिस्ट्री (illegal Registration) करने जैसे आरोप उन पर लगे। जांच में ये सब प्रमाणित (proved) भी हुए। उनपर मार्टिन रेलवे की जमीन की गलत तरीके से रजिस्ट्री करने का आरोप भी लगा। उन्होंने यह सब भोजपुर जिला के अवर निबंधक की हैसियत से किया। श्मशान की जिस जमीन का उनपर अवैध रजिस्ट्री का आरोप लगा, उसका रकबा एक बीघा है। जबकि बीबी जान वक्फ की 12 बीघा जमीन की गलत रजिस्ट्री का आरोप है। एक दिलचस्प आरोप यह भी कि उन्होंने एक ही पत्र के जरिए दो अलग-अलग प्रस्ताव विभाग को दिए।

आठ में छह आरोप प्रमाणित हुए

विभागीय अधिसूचना के मुताबिक उन पर लगे आरोपों की जांच का फैसला 25 जनवरी 2018 को हुआ। विभागीय जांच शुरू हुई। जांच आयुक्त ने उन पर लगे कुल आठ आरोपों की जांच की। दो को छोड़ सभी छह आरोप प्रमाणित हुए। दो में भी उन्हें आंशिक तौर पर दोषी पाया गया। आरोपों पर सिंह की राय मांगी गई।

जांच पदाधिकारी ने उनकी सफाई को खारिज कर दिया। कहा कि आरोपी पदाधिकारी का दावा तार्किक एवं साक्ष्य आधारित नहीं है। पूरे मामले को बिहार लोकसेवा आयोग की राय के लिए भेजा गया। आयोग ने जांच रिपोर्ट पर सहमति जाहिर की। फिर यह मामला मंत्रिमंडल में गया। मंत्रिमंडल की 15 दिसम्बर को हुई बैठक में पदाधिकारी को जबरन रिटायर कराने के विभागीय प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। जबरन रिटायर करने की अधिसूचना जारी होने के साथ ही शिवहर के जिला अवर निबंधक के खिलाफ पहले से चल रही कार्रवाई भी समाप्त हो गई। 


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