धान खरीद में 48 घंटे में भुगतान की चुनौती: सहकारिता मंत्री ने पूछा—क्या सिस्टम तैयार है?
खरीफ विपणन मौसम 2025-26 में धान खरीद को लेकर सरकार सक्रिय है। सहकारिता मंत्री ने 36.85 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया है। किसानों को 48 घंटे में भुगतान करने की प्राथमिकता दी गई है, जिसके लिए मजबूत सिस्टम बनाने पर जोर है। 'हर थाली में बिहारी तरकारी' अभियान को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि स्थानीय सब्जी उत्पादन बढ़ाया जा सके।

धान की खरीदारी तेज
डिजिटल डेस्क, पटना। खरीफ विपणन मौसम 2025–26 में धान खरीदारी को लेकर अब सरकार पूरी तरह एक्शन मोड में है। इसी कड़ी में सहकारिता मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार ने सोमवार को तिरहुत और पूर्णिया प्रमंडल के जिलों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस समीक्षा में धान खरीद की प्रगति, भुगतान व्यवस्था और वेजफेड की कार्ययोजनाओं का विस्तृत आकलन किया गया।
बैठक में मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया कि 36.85 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य हर हाल में पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को भुगतान 48 घंटों के भीतर उनके बैंक खातों में भेजना सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन इसके लिए जिला स्तर पर मजबूत और निर्बाध सिस्टम तैयार करना अनिवार्य है। मंत्री का यह सवाल 'किसानों को 48 घंटे में पैसा… क्या सिस्टम तैयार है?' बैठक का सबसे अहम बिंदु रहा। उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि भुगतान में किसी भी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सहकारिता मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि किसानों की शिकायतें तुरंत दर्ज हों और उनका समाधान निर्धारित समय के भीतर हो। इसके साथ ही धान खरीद कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर हो, ताकि किसान भ्रमित न हों और निर्धारित केंद्रों पर आसानी से अपनी उपज बेच सकें। बैठक में निबंधक, सहकारिता समितियों के अधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला अंकेक्षण पदाधिकारी, जिला सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक और बीएसएफसी के अधिकारी मौजूद रहे।
'हर थाली में बिहारी तरकारी' अभियान पर मंत्री सख्त
बैठक में वेजफेड के कार्यों की समीक्षा भी की गई, जिसमें मंत्री ने 'हर थाली में बिहारी तरकारी' अभियान को मिशन मोड में आगे बढ़ाने के लिए कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य स्थानीय सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इसके लिए प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समितियों (PVCS) को मजबूत बनाना होगा।
मंत्री ने PVCS की सदस्यता बढ़ाने, किसानों को नई कृषि तकनीकों से जोड़ने, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में तेजी लाने और सब्जी उत्पादक समूहों को बाज़ार से बेहतर तरीके से जोड़ने पर जोर दिया। प्याज भंडारण सुविधा, कोल्ड चेन संरचना और नए तरकारी आउटलेट्स के निर्माण की प्रगति पर असंतोष जताते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि इन आधारभूत ढांचों की गति और गुणवत्ता दोनों पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होंने कहा कि समयबद्ध तरीके से कोल्ड स्टोरेज और स्टोरेज यूनिट्स तैयार होंगे, तभी सब्ज़ी किसानों को वास्तविक लाभ मिलेगा और मिशन को सफलता मिलेगी।
कुल मिलाकर, बैठक में धान खरीद से लेकर सब्ज़ी प्रसंस्करण तक दो बड़े अभियानों पर सरकार की गंभीरता साफ दिखी। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला स्तर पर सिस्टम कितनी तेजी से तैयार होता है और किसान को समय पर भुगतान मिलता है या नहीं।

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