सघन बागवानी से दोगुनी होगी फलों की पैदावार, एक हेक्टेयर में लगाए जाएंगे पांच हजार पौधे
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के विज्ञानियों ने विकसित की बागवानी की नई तकनीक अब एक हेक्टेयर में 500 की बजाय लगाए जाएंगे पांच हजार पौधे ज्यादा उत्पादन और ज्यादा आमदनी से किसान होंगे खुशहाल बिहार में शुरू होगा प्रयोग
पटना, नीरज कुमार। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आइसीएआर) के विज्ञानियों ने बागवानी की नई तकनीक विकसित की है, जिससे फलों की दोगुनी पैदावार होगी। पिछले तीन वर्षों के अनुसंधान के बाद अब इस तकनीक को किसानों के बीच लाया जाएगा। नई तकनीक का नाम 'सघन बागवानी योजना' दिया गया है। आइसीएआर पूर्वी क्षेत्र के निदेशक डॉ. उज्ज्वल कुमार कहते हैं, हाल के दिनों में बागवानी के प्रति युवा किसानों में आकर्षण बढ़ा है। ऐसे में कृषि विज्ञानियों ने सघन बागवानी योजना विकसित की है। इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर 5,000 पौधे लगाए जाएंगे। अभी तक प्रति हेक्टेयर 400 से 500 पौधे लगाए जाते थे।
प्रति हेक्टेयर 20 से बढ़कर 35 से 40 टन पैदावार
परंपरागत बागों में अमरूद का उत्पादन 20 टन प्रति हेक्टेयर होता है। वहीं, सघन बागवानी योजना के तहत 35 से 40 टन तक पैदावार हो रही है। इस तरह की बागवानी में पौधों की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। समय-समय पर उसकी शाखाओं की छंटाई करने की भी जरूरत होती है। नई तकनीक से लगाए गए पौधे की छंटाई साल में तीन बार की जाती है। इसके लिए फरवरी, मई एवं अक्टूबर में समय निर्धारित किया गया है।
प्रथम वर्ष आएगी करीब 2.5 लाख रुपये की लागत
सघन बागवानी के तहत प्रथम साल में लगभग 2.5 लाख की लागत आती है। एक बार पौधे लगाने पर तीन साल तक अच्छी पैदावार ली जा सकती है। इसके बाद पौधे के नए सिरे से छंटाई की जाती है, जिसे कृषि विज्ञानी प्रुनिंग कहते हैं। प्रुनिंग के तहत पौधे को तीन फीट छोड़कर बाकी शाखाओं को काट दिया जाता है। उसके बाद उसमें धीरे-धीरे नई शाखाएं आ जाती हैं। अगले तीन साल में फिर पौधे नए सिरे से फल देने लगते हैं।
- 2.5 लाख रुपये की लागत आएगी प्रति हेक्टेयर
- 35 से 40 टन प्रति हेक्टेयर होगी पैदावार, पहले होती थी 20 टन
- 3 वर्षों के अनुसंधान के बाद अब इस तकनीक को लाया जाएगा किसानों के बीच
पौधे की अधिकतम ऊंचाई सात फीट
सघन बागवानी योजना के तहत लगाए गए पौधे की ऊंचाई अधिकतम सात फीट रखी जाती है। उससे अधिक ऊंचाई वाले पौधे केवल छाया देते हैं। मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एमडी ओझा ने कहा कि बागवानी के पौधे सात फीट रखने के कई फायदे हैं। फलों को आसानी से हाथों से तोड़ा जा सकता है। सामान्यत: देखा जाता है कि तोडऩे के दौरान ही 20 से 25 फीसद फल बर्बाद हो जाते हैं। हाथ से तोड़े गए फलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। बाजार में काफी मांग होती है और कीमत भी अच्छी मिल जाती है।