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बिहार के स्कूली छात्रों को दी जाएगी ट्रेनिंग, कैसे बनें मानसिक-शारीरिक रूप से मजबूत

बिहार सरकार अब स्कूल के छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनाने की भी शिक्षा देगी। प्रथम चरण में ग्यारह सौ स्कूलों में ये कार्यक्रम शुरू होगा।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 06:14 PM (IST)
बिहार के स्कूली छात्रों को दी जाएगी ट्रेनिंग, कैसे बनें मानसिक-शारीरिक रूप से मजबूत
बिहार के स्कूली छात्रों को दी जाएगी ट्रेनिंग, कैसे बनें मानसिक-शारीरिक रूप से मजबूत

पटना, जेएनएन। बिहार सरकार के एजुकेशन प्रोजेक्ट कौंसिल का लक्ष्य है कि बिहार में अगले तीन साल में एक लाख स्कूल के छात्रों को शिक्षा के साथ ही मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में बताकर उन्हें इससे संबंधित जानकारियां दें ताकि वे पढ़ाई के साथ ही स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक हों।

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इसके लिए बिहार सरकार ने कोरस्टोन नामक संस्था के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। संस्था यूथ फर्स्ट एंड गर्ल्स फर्स्ट रेजिलिएशन प्रोग्राम्स इन गवर्नमेंट मिडिल स्कूल और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अगले तीन साल तक राज्य के सभी नौ प्रभागों में काम करेगी।

इसके लिए संस्था किशोर स्वास्थ्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग देगी जो छात्रों को इसके बारे में बताएंगे। इसके लिए शुरू किए जाने वाले कार्यक्रम में छात्रों को सकारात्मक मनोविज्ञान, सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा के साथ ही मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य प्रशिक्षण, की बातें बताईं जाएंगी। 

संस्था ने ये कार्यक्रम 2009 में पहली बार भारत में लॉन्च किया था और साल 2013 से बिहार के चुनिंदा जिलों में लागू किया गया है।

बिहार के शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “नया बिहार प्रगति के पथ पर चल रहा है। यहां शिक्षा प्रणाली में कॉरस्टोन की भागीदारी से अनेक संभावनाएं देखी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि  हम अपनी तरफ से इस काम के लिए हर संभव सहायता देंगे। 

कोरस्टोन के इस कार्यक्रम में और स्कूलों को भी जोड़ा जाएगा। पिछले छह सालों में संस्था द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार अपने मिशन में कोरस्टोन का समर्थन करने के लिए तैयार है।

राज्य परियोजना निदेशक, अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि बिहार में बाल विवाह, घरेलू हिंसा और अन्य सामाजिक मुद्दों को लेकर व्यापक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही स्कूल के छात्रों में यौन शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां देना जरूरी है। छात्रों को इसके तहत सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ना और बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर सशक्त बनाना जरूरी है। 

कोरस्टोन के कार्यकारी निदेशक स्टीव लेवेंथल ने कहा कि राज्य में हमारा यह पहला प्रयास है। हम चाहते हैं कि स्कूल के छात्रों के भीतर आत्मविश्वास को बढ़ावा मिले उन्हें कौशल ज्ञान मिले। 

कोरस्टोन की कंट्री डायरेक्टर ग्रैसी एंड्रयू ने कहा कि हमारी संस्था एक वैश्विक गैर लाभकारी संगठन है जो विकास को बढ़ावा देने के लिए हर बच्चे को भीतर से बाहर तक मजबूत करने के लिए प्रयासरत है।  कोरस्टोन का लचीलापन-आधारित दृष्टिकोण उन कौशलों को सिखाता है जो युवाओं को सशक्त बनाते हैं।

यूथ फ़र्स्ट और गर्ल्स फ़र्स्ट के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी मिडिल स्कूलों में कॉर्स्टोन का यूथ फर्स्ट प्रोग्राम लागू किया गया, जबकि गर्ल्स के लिए पहला कार्यक्रम केजीबीवी में लागू किया गया है। कार्यक्रमों में किशोर लड़कियों और लड़कों को अपनी आंतरिक शक्ति और व्यक्तिगत शक्ति को पहचानने की ट्रेनिंग दी जाती है।


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