यहां पुरस्कार की गठरी खोलकर बैठी सरकार, नहीं मिल रहे आवेदक, जानिए
बिहार में किसान सम्मान योजना जानकारी के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है। इन पुरस्कारों को लेने वाले तक नहीं मिल रहे हैं। क्या है माजरा, जानिए इस खबर में।
By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 07:56 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 07:56 PM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। सरकार पुरस्कार देने के लिए गठरी खाेलकर बैठी है और लोग हैं कि आगे नहीं आ रहे। हम बात कर रहे हैं बिहार सरकार के 'किसान सम्मान योजना' की। खेती में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले किसानों को सम्मानित करने के लिए राज्य सरकार ने 10 वर्ष बाद इस योजना की शुरुआत की है। इसी खरीफ फसल से प्रदेश के 2865 सर्वश्रेष्ठ किसानों को सम्मानित किया जाना है। पर जितने पुरस्कार देने हैं, उतने आवेदन भी नहीं आए। मजबूरन सरकार को आवेदन की अंतिम मिथि में विस्तार करना पड़ा है।
अंतिम तिथि तक नहीं आए पूरे आवेदन
विदित हो कि खरीफ फसल में धान के लिए 20 अक्टूबर तक किसानों से आवेदन मांगे गए थे। इन आवेदनों में से प्रखंड से प्रदेश स्तर तक श्रेष्ठ किसानों का चयन होना है। किंतु अंतिम तिथि तक महज 1943 आवेदन ही मिल सके हैं। लिहाजा कृषि विभाग को तिथि बढ़ाकर 30 अक्टूबर करना पड़ा है।
विलंब से जागी सरकार, अब कर रही प्रयास
किसानों की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 16 जिलों से 10-10 आवेदन भी नहीं मिले हैं। आठ जिलों में यह संख्या तो पांच से आगे नहीं बढ़ पाई है। विभाग को जबतक समझ में आता तबतक आखिरी तिथि नजदीक पहुंच गई थी। अब सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को टास्क दे दिया गया है कि वे किसानों को सम्मान के लिए प्रेरित करें। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आवेदनों की संख्या बढ़ जाएगी।
किसे कितनी मिलेगी राशि
प्रखंड से राज्य स्तर तक देने हैं पुरस्कार
सभी प्रखंडों के पांच-पांच किसानों को 10-10 हजार रुपये दिए जाएंगे। जिला स्तर पर 190 श्रेष्ठ किसानों को 25-25 हजार रुपये एवं राज्य स्तर पर पांच किसानों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे। धान उत्पादकों को प्रति हेक्टेयर में कम से कम 60 क्विंटल, मक्का के लिए 80 क्विंटल, गेहूं के लिए 40 क्विंटल, आलू के लिए 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन जरूरी होगा। इसी तरह दूध के लिए 20 लीटर प्रतिदिन प्रति गाय वाले किसान ही आवेदन कर सकते हैं।
विभाग ने माना, ऐसा होने का नहीं था अंदाजा
इस बाबत बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्टेंसन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (बामेती) के निदेशक जीतेंद्र प्रसाद ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन लेने के कारण किसानों ने कम रूचि ली है। दरअसल, किसान इस पुरस्कार के बारे में समझ नहीं पा रहे हैं। शुरू में विभाग को भी अंदाजा नहीं था कि आवेदन कम आएंगे। आखिरी हफ्ते तक समझ में आया तो कोशिश की जाने लगी। सभी कृषि पदाधिकारियों को सक्रिय कर दिया गया है।
कहां कितने आवेदन
पटना : 657
मधुबनी : 150
वैशाली : 440
समस्तीपुर : 97
पूर्वी चंपारण : 60
दरभंगा : 50
यहां सबसे कम आवेदन
भोजपुर : 3
मुंगेर : 3
अरवल : 3
जहानाबाद : 4
पूर्णिया : 4
इन जिलों से 10 आवेदन भी नहीं
अरवल, जहानाबाद, पूर्णिया, भोजपुर, मुंगेर, सहरसा, सिवान, सारण, सुपौल, शिवहर, लखीसराय, भागलपुर, नवादा, अररिया, औरंगाबाद, कटिहार
अंतिम तिथि तक नहीं आए पूरे आवेदन
विदित हो कि खरीफ फसल में धान के लिए 20 अक्टूबर तक किसानों से आवेदन मांगे गए थे। इन आवेदनों में से प्रखंड से प्रदेश स्तर तक श्रेष्ठ किसानों का चयन होना है। किंतु अंतिम तिथि तक महज 1943 आवेदन ही मिल सके हैं। लिहाजा कृषि विभाग को तिथि बढ़ाकर 30 अक्टूबर करना पड़ा है।
विलंब से जागी सरकार, अब कर रही प्रयास
किसानों की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 16 जिलों से 10-10 आवेदन भी नहीं मिले हैं। आठ जिलों में यह संख्या तो पांच से आगे नहीं बढ़ पाई है। विभाग को जबतक समझ में आता तबतक आखिरी तिथि नजदीक पहुंच गई थी। अब सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को टास्क दे दिया गया है कि वे किसानों को सम्मान के लिए प्रेरित करें। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आवेदनों की संख्या बढ़ जाएगी।
किसे कितनी मिलेगी राशि
प्रखंड से राज्य स्तर तक देने हैं पुरस्कार
सभी प्रखंडों के पांच-पांच किसानों को 10-10 हजार रुपये दिए जाएंगे। जिला स्तर पर 190 श्रेष्ठ किसानों को 25-25 हजार रुपये एवं राज्य स्तर पर पांच किसानों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे। धान उत्पादकों को प्रति हेक्टेयर में कम से कम 60 क्विंटल, मक्का के लिए 80 क्विंटल, गेहूं के लिए 40 क्विंटल, आलू के लिए 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन जरूरी होगा। इसी तरह दूध के लिए 20 लीटर प्रतिदिन प्रति गाय वाले किसान ही आवेदन कर सकते हैं।
विभाग ने माना, ऐसा होने का नहीं था अंदाजा
इस बाबत बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्टेंसन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (बामेती) के निदेशक जीतेंद्र प्रसाद ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन लेने के कारण किसानों ने कम रूचि ली है। दरअसल, किसान इस पुरस्कार के बारे में समझ नहीं पा रहे हैं। शुरू में विभाग को भी अंदाजा नहीं था कि आवेदन कम आएंगे। आखिरी हफ्ते तक समझ में आया तो कोशिश की जाने लगी। सभी कृषि पदाधिकारियों को सक्रिय कर दिया गया है।
कहां कितने आवेदन
पटना : 657
मधुबनी : 150
वैशाली : 440
समस्तीपुर : 97
पूर्वी चंपारण : 60
दरभंगा : 50
यहां सबसे कम आवेदन
भोजपुर : 3
मुंगेर : 3
अरवल : 3
जहानाबाद : 4
पूर्णिया : 4
इन जिलों से 10 आवेदन भी नहीं
अरवल, जहानाबाद, पूर्णिया, भोजपुर, मुंगेर, सहरसा, सिवान, सारण, सुपौल, शिवहर, लखीसराय, भागलपुर, नवादा, अररिया, औरंगाबाद, कटिहार
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