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एक करोड़ कामगारों का डाटा जुटाने की तैयारी में है बिहार सरकार

स्किल मैपिंग से श्रमिकों को रोजगार व स्वरोजगार मुहैया होंगे । मजदूरों को स्वरोजगार या रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास होगा अब और तेज होगा। निबंधित श्रमिकों का स्किल मैपिंग और प्रमाणन करने का भी काम होगा ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 04:45 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 04:45 PM (IST)
एक करोड़ कामगारों का डाटा जुटाने की तैयारी में है बिहार सरकार
श्रमिकों को स्किल मैपिंग के जरिये रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, दीनानाथ साहनी। यदि सरकार के सात निश्चय-2 कार्यक्रम के तहत कामगारों के लिए आकार लेने वाली नई योजनाओं पर तेजी से अमल हुआ तो आने वाले सालों में हर सेक्टर के श्रमिकों को स्किल मैपिंग के जरिये रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मुहैया होंगे। यह काम कठिन है पर सरकार ने इस चुनौती को भी अवसर के रूप में लिया है। फिलहाल प्रदेश के कुशल एवं अकुशल श्रमिकों की मैपिंग कराने की योजना बन रही है। इसके लिए सरकार उद्योग विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, श्रम संसाधन विभाग, कृषि विभाग, वन,पर्यावरण एवं जलवायु विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और पंचायती राज विभाग जैसे महकमों की मदद से एक करोड़ कामगारों का डाटा जुटाने की तैयारी शुरू कर दी है।

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इस तरह होगी मैपिंग

मैपिंग में पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि किस-किस जगह पर कौन-कौन काम में श्रमिक पारंगत या प्रशिक्षित हैं। इसमें महत्वपूर्ण आंकड़े के संग्रह में पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर श्रमिकों का विस्तृत ब्यौरा हासिल करने के लिए सभी जिलों के संबंधित विभागों से मदद ली जाएगी। एक बार श्रमिकों का पूरा आंकड़ा मिल जाने के बाद उन्हेंं प्रशिक्षित कर स्वरोजगार या फिर नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इस आंकड़े के आधार पर श्रमिकों का निबंधन भी सुनिश्चित किया जाएगा। वर्तमान में श्रम संसाधन विभाग के अधीन 19 लाख मजदूर निबंधित हैं। अन्य राज्यों में कार्यरत प्रवासी श्रमिकों के ब्योरे भी जुटाए जाएंगे।

मुद्रा योजना से श्रमिकों को स्वरोजगार दिलाने का भी प्रस्ताव

एक उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक सरकार की कोशिश श्रमिकों को असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में लाने और उन्हें बेहतर रोजगार या स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने की है। जो मजदूर अपने घर के पास ही अपने हुनर के अनुसार कोई काम-धंधा शुरू करना चाहते हैैं, उन्हें मुद्रा योजना के तहत आर्थिक मदद उपलब्ध करायी जा सकती है। जरूरत पडऩे पर उनके हुनर को बेहतर करने के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा सकता है। इसके लिए कम समय का रिफ्रेशर कोर्स तैयार करने का प्रस्ताव है। अब भी उद्योगों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित कामगारों की जरूरत है। सरकार ऐसे उद्योगों और श्रमिकों के बीच समन्वय का काम करने की तैयारी में है। इससे श्रमिकों को जहां बेहतर पैकेज मिल सकता है। वहीं उद्योगों को प्रशिक्षित मजदूर मिल जाएगा। यही नहीं, अन्य राज्य सरकारें चाहें तो प्रशिक्षित श्रमिकों का डाटा के आधार पर मजदूरों की उपलब्धता वाले इलाके में नई इकाईयां स्थापित करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित भी कर सकती हैं।

सरकार का इन महत्वपूर्ण बिंदु होगा फोकस

* स्किल के अनुसार बनाई कैटेगरी : श्रमिकों को उनके कौशल के अनुसार अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है ताकि आवश्यकता अनुसार इन श्रमिकों के स्किल या कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जा सके।

* श्रमिक पहले ही अपने क्षेत्र में कौशल हासिल कर चुके हैं। सरकार उनका एक छोटा रिफ्रेशर कोर्स कराकर प्रमाण पत्र जारी करेगी ताकि उनके कौशल को एक पहचान मिल सके और रोजगार पारने में मदद हो।

* ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों की स्किल मैपिंग कर प्रशिक्षित करने का भी प्रस्ताव है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार के अवसर भी देने पर काम तेज होगा। पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन और अन्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े स्वरोजगार के लिए मजदूरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

श्रम संसाधन मंत्री जिवेश कुमार सरकार ने कहा कि कोशिश है कि सभी श्रमिकों को उचित वातावरण, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिले। स्किल मैपिंग और उसका प्रमाणन कर उनके लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से स्थायी रोजगार व स्वरोजगार की व्यवस्था करने की कोशिश की जाएगी। स्किल मैपिंग का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों का एक विधिवित आंकड़ा तैयार करना भी है।


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