बिहार सरकार के फरमान की आंच पहुंची दिल्ली, कांग्रेस बोली-तानाशाही की ओर धकेल रहे नीतीश कुमार
इंटरनेट मीडिया पर मंत्री सांसद विधायक अफसर के साथ सरकारी सेवकों के खिलाफ अनाप-शनाप पर कानूनी कार्रवाई के सरकार आदेश की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है। कांग्रेस ने नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करना चाह रही है।
राज्य ब्यूरो, पटना : इंटरनेट मीडिया पर मंत्री, सांसद, विधायक, अफसर के साथ सरकारी सेवकों के खिलाफ अनाप-शनाप पर कानूनी कार्रवाई के सरकार आदेश ने बिहार की राजनीति में उफान ला दिया है। पक्ष-विपक्ष आपस मे एक दूसरे पर हमलावर हो गए गए हैं। इस आदेश की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है। मुद्दे पर कांग्रेस ने राज्य की नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करना चाह रही है। वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी कहने की छूट नहीं दी जा सकती है। मुद्दे पर हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने कहा कि इंटरनेट मीडिया के जरिए कई दंगाई तत्व, संगठन समाज में आपसी भाईचारा ख़त्म करने पर तुले हैं। जिसका खामियाजा सबको भुगताना पड़ रहा है।
इस मामले को लेकर उबली आग
दरअसल गुरुवार को राज्य की आर्थिक अपराध इकाई ने आदेश जारी किया है कि इंटरनेट मीडिया पर किसी ने भी यदि मंत्री, सांसद, विधायक, अफसर के साथ सरकारी सेवकों के खिलाफ अनाप-शनाप लिखा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार के इस आदेश के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को ट्वीट कर राज्य की नीतीश सरकार पर हमला बोला।
कुर्सी बचाए रखने की जुगतः सुरजेवाला
सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में लिखा कि भाजपा के साथ-साथ उसके जेडीयू जैसे बचे-खुचे सहयोगी दलों ने भी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक को ही शासन का माध्यम मान लिया है। लोकतंत्र में इसी तरह की सोच देश को तानाशाही की ओर धकेल रही है। कुर्सी बचाए रखने के लिए शायद नीतीश कुमार ने मोदी जी को अपने गुरु के रूप में धारण कर लिया है।
इंटरनेट मीडिया का हो रहा दुरुपयोगः निखिल आनंद
सुरजेवाला के ट्वीट पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने पलटवार किया। निखिल आनंद ने बाकायदा वीडियो जारी कर कहा कि उक्त सर्कुलर के बारे में संबंधित विभाग के अधिकारी ज्यादा बेहतर स्पष्टीकरण दे सकते हैं। लेकिन, यह भी सत्य है कि इंटरनेट मीडिया का दुरुपयोग समाज में हो रहा है जो चिंता का कारण है। चरित्रहनन और मानहानि के कई मामले इंटरनेट मीडिया में आए है। यही नहीं कई अधिकारियों द्वारा भी ऑफिसियल कोड ऑफ कंडक्ट से परे इंटरनेट मीडिया पर बातें शेयर की जाती है। समाज के समेकित संदर्भ में इंटरनेट मीडिया के लिए कुछ रेगुलेशन या गाईड लाइन्स होनी जरूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सबकुछ कहने और करने की छूट कैसे दी जा सकती है। देशहित-समाजहित को तो ध्यान में रखना ही होगा।
समाज में आपसी भाईचारा ख़त्म करने पर तुले हैं कुछ लोगः मांझी
इधर, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि इंटरनेट मीडिया के जरिए कई दंगाई तत्व-संगठन समाज में आपसी भाईचारा ख़त्म करने पर तुले हैं, जिसका परिणाम सबको भुगताना पड़ रहा है। ऐसे तत्वों पर सरकार कारवाई कर रही है तो विपक्ष को इतना खौफ क्यों सता रहा है? ऐसा तो नहीं कि वही लोग इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करके दंगा फैला रहे हैं?