बिहार में अब सस्ती सब्जियां बेच रही सरकार, बाजार से 15 फीसद तक कम हैं दाम
बिहार सरकार आम लोगों की सुविधा के लिए अब घर-घर सस्ती सब्जियां पहुंचाने लगी है। आम लोग चाहें तो अपनी पसंद की सब्जियां ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं। जानिए योजना।
By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 10:40 AM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 04:06 PM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। सुधा दूध की तर्ज पर मंगलवार से राज्य की नीतीश सरकार सस्ती सब्जियों की बिक्री शुरू की है। इसमें बाजार भाव की तुलना में ये सब्जियां 10 से 15 फीसद तक सस्ती मिलेंगी। सहकारिता मंत्री राणा रंधीर ने विकास भवन परिसर में सब्जी वाले ऑटो को हरी झंडी दिखा योजना को आरंभ किया। फिलहाल ऐसे 12 ऑटो शुरू किए गए हैं, जो शहर के विभिन्न हिस्सों में रहेंगे। इसके अतिरिक्त इस व्यवस्था के तहत सब्जी खरीदने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी शुरू हो गई। आर्डर करने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू. तरकारी. ओआरजी पर जाना है।
सब्जियों की कीमत बाजार से कम
तरकारी ब्रांड से शुरू हुए सब्जी की कीमत बाजार से अपेक्षाकृत कम है। मंगलवार को सब्जी वाले ऑटो पर पत्तागोभी तीन रुपये प्रति किलो और टमाटर नौ रुपये किलो तो प्याज 12 रुपये किलो बिके। वैसे कद्दू की दर बाजार से पांच रुपये प्रति किलो अधिक यानी 35 रुपये किलो थी। कच्चा केल इस ऑटो पर बाजार से सस्ता है।
सहकारिता विभाग के तरकारी ब्रांड के बारे में सहकारिता मंत्री ने कहा किसानों से सीधे खरीद की वजह से सहकारी समितियों से आ रही सब्जियां सस्ती मिलेंगी। बीच में लंबा चेन नहीं है। बाजार पर नजर रख दाम करने को ले भी सहकारिता विभाग ने अपना तंत्र तैयार किया है।
तीन वर्षों तक खर्च वहन करेगी सरकार
सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि सब्जियों को लाने और उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने पर होने वाले खर्च का वहन अगले तीन वर्षों तक सरकार करेगी। तरकारी ब्रांड को सहकारिता विभाग उन रिटेल आउटलेट तक भी ले जाएगा, जो बड़े ब्रांड के रूप में काम कर रहे हैैं। फिलहाल पांच जिलों से सब्जियां मंगाई जा रहीं हैं। इनमें पटना के अलावा नालंदा, वैशाली, बेगूसराय व समस्तीपुर शामिल हैैं।
योजना पर 487 करोड़ खर्च होने का अनुमान
पायलट प्रोजेक्ट के तहत योजना फिलहाल राज्य के पांच जिलों पटना, बेगूसराय, नालंदा, वैशाली और समस्तीपुर में शुरू की गई है। सफल होने पर योजना को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। इसपर 487 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। चालू वित्तीय वर्ष में सहकारिता विभाग ने बजट में 50 करोड़ का प्रावधान भी कर रखा है।
बाजारों में रखे जाएंगे सर्वेयर
हरित सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार के मुताबिक प्रारंभ के एक हफ्ते तक अनुभव लिया जाएगा। खामियों के आधार पर सुधार किया जाएगा। संघ का प्रयास होगा कि राजधानी के प्रमुख बाजारों में रात नौ बजे जो दर रहेगी, लगभग उसी दर से सुबह नौ बजे से घर-घर सब्जी बेची जाए। सभी बाजारों में एक-एक सर्वेयर रखे जाएंगे। सर्वे के आधार पर किसानों को उनकी सब्जियों के भाव दिए जाएंगा। संघ के मुनाफे का 15 से 20 फीसद तक किसानों को बोनस के रूप में दिया जाएगा।
दो साल से चल रही थी कवायद
राज्य दो साल पहले से सब्जी बेचने की कवायद चल रही थी। सब्जी उत्पादक किसानों की सुविधा के लिए सब्जी आधारित सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है। प्रखंड से जिला स्तर पर समितियां एवं राज्य स्तर पर सब्जी फेडरेशन बनाया जाना है। साथ ही सब्जियों का संग्रह, प्रसंस्करण और वितरण की व्यवस्था बनाई जाएगी। प्रत्येक प्रखंड में तीन से पांच सौ वर्ग फीट में आउटलेट बनाए जाएंगे। आउटलेट के लिए जमीन न मिलने से तत्काल राज्य सरकार वैन के जरिए सब्जियों की बिक्री कर रही है।
सब्जियों की कीमत बाजार से कम
तरकारी ब्रांड से शुरू हुए सब्जी की कीमत बाजार से अपेक्षाकृत कम है। मंगलवार को सब्जी वाले ऑटो पर पत्तागोभी तीन रुपये प्रति किलो और टमाटर नौ रुपये किलो तो प्याज 12 रुपये किलो बिके। वैसे कद्दू की दर बाजार से पांच रुपये प्रति किलो अधिक यानी 35 रुपये किलो थी। कच्चा केल इस ऑटो पर बाजार से सस्ता है।
सहकारिता विभाग के तरकारी ब्रांड के बारे में सहकारिता मंत्री ने कहा किसानों से सीधे खरीद की वजह से सहकारी समितियों से आ रही सब्जियां सस्ती मिलेंगी। बीच में लंबा चेन नहीं है। बाजार पर नजर रख दाम करने को ले भी सहकारिता विभाग ने अपना तंत्र तैयार किया है।
तीन वर्षों तक खर्च वहन करेगी सरकार
सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि सब्जियों को लाने और उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने पर होने वाले खर्च का वहन अगले तीन वर्षों तक सरकार करेगी। तरकारी ब्रांड को सहकारिता विभाग उन रिटेल आउटलेट तक भी ले जाएगा, जो बड़े ब्रांड के रूप में काम कर रहे हैैं। फिलहाल पांच जिलों से सब्जियां मंगाई जा रहीं हैं। इनमें पटना के अलावा नालंदा, वैशाली, बेगूसराय व समस्तीपुर शामिल हैैं।
योजना पर 487 करोड़ खर्च होने का अनुमान
पायलट प्रोजेक्ट के तहत योजना फिलहाल राज्य के पांच जिलों पटना, बेगूसराय, नालंदा, वैशाली और समस्तीपुर में शुरू की गई है। सफल होने पर योजना को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। इसपर 487 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। चालू वित्तीय वर्ष में सहकारिता विभाग ने बजट में 50 करोड़ का प्रावधान भी कर रखा है।
बाजारों में रखे जाएंगे सर्वेयर
हरित सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार के मुताबिक प्रारंभ के एक हफ्ते तक अनुभव लिया जाएगा। खामियों के आधार पर सुधार किया जाएगा। संघ का प्रयास होगा कि राजधानी के प्रमुख बाजारों में रात नौ बजे जो दर रहेगी, लगभग उसी दर से सुबह नौ बजे से घर-घर सब्जी बेची जाए। सभी बाजारों में एक-एक सर्वेयर रखे जाएंगे। सर्वे के आधार पर किसानों को उनकी सब्जियों के भाव दिए जाएंगा। संघ के मुनाफे का 15 से 20 फीसद तक किसानों को बोनस के रूप में दिया जाएगा।
दो साल से चल रही थी कवायद
राज्य दो साल पहले से सब्जी बेचने की कवायद चल रही थी। सब्जी उत्पादक किसानों की सुविधा के लिए सब्जी आधारित सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है। प्रखंड से जिला स्तर पर समितियां एवं राज्य स्तर पर सब्जी फेडरेशन बनाया जाना है। साथ ही सब्जियों का संग्रह, प्रसंस्करण और वितरण की व्यवस्था बनाई जाएगी। प्रत्येक प्रखंड में तीन से पांच सौ वर्ग फीट में आउटलेट बनाए जाएंगे। आउटलेट के लिए जमीन न मिलने से तत्काल राज्य सरकार वैन के जरिए सब्जियों की बिक्री कर रही है।
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