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अटल सरकार में बिहार को मिली थी पहली बार बड़ी भागीदारी, जानिए

केंद्रीय कैबिनेट में पहली बार वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में जब केंद्र में पूर्णकालिक सरकार बनी तो बिहार को सबसे ज्यादा भागीदारी मिली। संयुक्त बिहार से तब 17 मंत्री बनाए गए थे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 08:50 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 11:43 PM (IST)
अटल सरकार में बिहार को मिली थी पहली बार बड़ी भागीदारी, जानिए
अटल सरकार में बिहार को मिली थी पहली बार बड़ी भागीदारी, जानिए

पटना [अरविंद शर्मा]। अटल बिहारी वाजपेयी के दिल में बिहार के लिए विशेष सम्मान था। वह कई सभाओं में खुद को बिहारी बताते थे। बिहार का कोना-कोना उनका जाना-पहचाना था। सियासत से जब भी फुर्सत मिलती, बिहार प्रवास पर निकल जाते।

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जनसंघ काल से ही कृष्ण बल्लभ प्रसाद नारायण सिंह उर्फ बबुआ जी और कैलाशपति मिश्र के साथ उनके आत्मीय संबंध थे। बिहार प्रवास के दौरान पटना में बबुआ जी, गंगा प्रसाद एवं रविशंकर प्रसाद के घर और रांची में सीताराम मारू के घर अटल जी का महीनों बीतता था।

यही कारण है कि वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में जब केंद्र में पूर्णकालिक सरकार बनी तो बिहार को सबसे ज्यादा भागीदारी मिली। पहली बार केंद्र में संयुक्त बिहार से 17 मंत्री बनाए गए थे। इतनी बड़ी हिस्सेदारी न तो पहले की किसी सरकार में थी और न ही बाद में। 

1996 में पहली बार 13 दिनों की सरकार में ही वाजपेयी ने बिहार के राजनीतिक भविष्य की पटकथा लिख दी थी। नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जगह दी। 1999 में जब 24 दलों के समर्थन से वाजपेयी की सरकार बनी तो बिहार को न केवल मंत्रिमंडल में विशेष तरजीह दी गई, बल्कि विकास की संभावनाओं को भी रफ्तार मिली।

उस दौरान सिर्फ भाजपा कोटे से बिहार के 12 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई, जबकि सहयोगी दलों समता पार्टी, जदयू और लोजपा को भी अच्छी भागीदारी दी गई।

जदयू और लोजपा की तुलना में कैबिनेट में नीतीश कुमार की समता पार्टी को ज्यादा जगह दी गई। नीतीश के अलावा जॉर्ज फर्नांडीज और दिग्विजय सिंह को भी मंत्री बनाया गया था। जदयू से शरद यादव एवं लोकजन शक्ति पार्टी से रामविलास पासवान मंत्री बने। 

भाजपा से बिहार से डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज, राजीव प्रताप रूडी एवं मुनीलाल को शामिल किया गया। झारखंड क्षेत्र से यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा और बाबूलाल मरांडी को जगह दी गई, लेकिन अलग झारखंड निर्माण के बाद बाबूलाल को मुख्यमंत्री बनाकर कडिय़ा को कैबिनेट में शामिल किया गया।

बाद में नागमणि पर भी वाजपेयी ने भरोसा जताया। गोधरा कांड के बाद जब रामविलास ने अलग लाइन पकड़ी तो संजय पासवान को मंत्री बनाया गया। इसी तरह कुछ दिनों के लिए निखिल चौधरी को भी मौका दिया गया। 

वाजपेयी ने इन्हें दिया था मौका 

बिहार से 

नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, जॉर्ज फर्नांडीज, शरद यादव, दिग्विजय सिंह, डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, मुनीलाल, (बाद में) संजय पासवान और निखिल चौधरी 

झारखंड से 

कडिय़ा मुंडा, बाबूलाल मरांडी, यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा, नागमणि


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