बिहार का तेजी से होगा विकास, वित्त आयोग से अधिक राशि मिलने की आस, ये है वजह
बिहार को इस साल वित्त आयोग से पहले से अधिक राशि मिलने की संभावना जताई जा रही है। 2011 की जनगणना को मापदंड बनाने का लाभ मिलेगा।
पटना [एसए शाद]। 15वें वित्त आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों को राशि आवंटित करने के लिए 1971 की जनगणना की जगह 2011 की जनगणना को आधार बनाए जाने से बिहार को पहले से अधिक राशि मिलने की संभावना जताई जा रही है।
आयोग की टीम 11-12 जुलाई को बिहार दौरे पर आएगी और राज्य सरकार की ओर से उसे जो ज्ञापन सौंपा जाएगा, उसमें बिहार में राष्ट्रीय औसत से काफी कम प्रति व्यक्ति आय और सीडी रेशियो को मुख्य रूप से आधार बनाया जाएगा। ज्ञापन तैयार करने का जिम्मा राज्य सरकार की आर्थिक सलाहकार संस्था-एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट(आद्री) को सौंपा गया है।
1971 की तुलना में अभी राज्य की आबादी में काफी इजाफा हो चुका है, मगर इसके बावजूद जनसंख्या के ताजा आंकड़े को वित्त आयोग आधार नहीं बना रहा था। आबादी एक ऐसा मापदंड है, जिसे राशि आवंटन करने के क्रम में प्राथमिकता दी गई है।
आंकड़े बताते हैं कि पहले से सातवें वित्त आयोग ने इसे 90 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जबकि 8वें आयोग ने 25 फीसद। उसके पश्चात किसी भी वित्त आयोग ने 28 प्रतिशत से कम 'वेटेज' इसे नहीं दिया। 2011 जनगणना के आंकड़ों का संज्ञान 14वें वित्त आयोग ने भी वैसे लिया था, मगर दस प्रतिशत ही।
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार वित्त आयोग का ध्यान वित्तीय विषमता की ओर आकृष्ट करेगी। उसके लिए प्रति व्यक्ति आय और सीडी रेशियो की दुहाई देगी। बिहार में इस समय प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 68 प्रतिशत कम है, जबकि सीडी रेशियो 45 है। वित्त आयोग को यह बताने का प्रयास होगा कि बिहार के बैंकों में जमा होने वाली राशि का लाभ दक्षिण भारत के राज्यों और महाराष्ट्र को जाता है। इन राज्यों का अधिक सीडी रेशियो इसका गवाह है। प्रति व्यक्ति आय और सीडी रेशियो को मद्देनजर रखते हुए राशि आवंटित की जाए।
राशि आवंटन के लिए केंद्रीय संसाधनों में हिस्सेदारी का अनुपात 11वें वित्त आयोग के 29.5 प्रतिशत से बढ़कर 14वें वित्त आयोग में 42 प्रतिशत हुआ है। मगर, यह भी एक विडंबना है कि कुल राशि का 11.5 प्रतिशत जहां बिहार को 11वें वित्त आयोग में मिला था, वह प्रतिशत 14वें वित्त आयोग में घटकर 9.66 प्रतिशत पर आ गया। इस विषमता को भी दूर करने का आग्रह वित्त आयोग से किया जाएगा।
बिहार में हर साल बाढ़ से होने वाले नुकसान को भी राशि आवंटन का आधार बनाने के लिए अनुरोध किया जाएगा। हर साल बिहार को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है। इसके बावजूद 14वें वित्त आयोग ने बिहार को आपदा प्रबंधन के लिए मात्र 2,591 करोड़ आवंटित किए थे, जबकि महाराष्ट्र को 8,195 करोड़ रुपये मिले थे।