Bihar Chunav: विधानसभा में फिर दिखेंगे राम और श्याम, राजद सुप्रीमो से रहा है खास कनेक्शन
बिहार विधानसभा चुनाव में राम और श्याम फिर से दिखेंगे। रामकृपाल यादव, जो पहले लालू प्रसाद यादव के करीबी थे, अब भाजपा में हैं। वहीं, श्याम रजक राजद के पुराने नेता हैं और वर्तमान में जदयू में हैं। दोनों नेताओं का लालू प्रसाद यादव से गहरा राजनीतिक संबंध रहा है।

दानापुर से निर्वाचित रामकृपाल यादव व फुलवारी से जीते श्याम रजक। जागरण आर्काइव
नलिनी रंजन, पटना। Ram and Shyam in Bihar: बिहार की राजनीति में एक समय चर्चित रही ‘राम–श्याम की जोड़ी’ अब एक बार फिर साथ दिखाई देगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव (Ex Minister Ram Kripal Yadav) और पूर्व मंत्री श्याम रजक (Shyam Rajak), जो कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad) के बेहद करीबी माने जाते थे, इस बार एक ही गठबंधन एनडीए के तहत विधानसभा में एक साथ उपस्थित रहेंगे।
रामकृपाल यादव पटना नगर निगम की राजनीति से लेकर केंद्र सरकार में बतौर केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके है।
बिहार की राजनीति में ‘राम–श्याम की जोड़ी’ हमेशा चर्चा में रही है। कभी राजद के मजबूत चेहरों के रूप में जाने जाने वाले दोनों नेता अब एनडीए में एक साथ नजर आएंगे।
यह बदलाव न केवल उनके राजनीतिक सफर की नई दिशा को दर्शाता है, बल्कि राज्य की बदलती राजनीतिक रणनीतियों और समीकरणों को भी उजागर करता है।
राजद से शुरुआत, फिर अलग राहें
दोनों नेताओं ने अपनी राजनीतिक यात्रा राजद से शुरू की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र सीट से टिकट नहीं मिला।
तब लालू प्रसाद ने अपनी पुत्री को मौका दिया था। इससे नाराज होकर रामकृपाल यादव भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा और बाद में वे पार्टी के प्रमुख चेहरों में शामिल हो गए।
श्याम रजक भी लंबे समय तक राजद के अहम नेता रहे, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण समय-समय पर उन्होंने राजद और जदयू के बीच पाला बदला।
अब दोनों एनडीए के साथ
2025 चुनाव में श्याम रजक जदयू से फुलवारी सीट से विजयी हुए, जबकि रामकृपाल यादव एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में दानापुर से भाजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं।
इससे दोनों की ‘जोड़ी’ वर्षों बाद फिर एक ही राजनीतिक मंच पर दिखने जा रही है। श्याम रजक ने 1995 में फुलवारी से पहली बार विधानसभा का रास्ता तय किया।
जीतने के बाद राबड़ी देवी सरकार में बिजली मंत्री बने। 2010 में जदयू में शामिल होकर फिर फुलवारी से जीते और खाद्य प्रसंस्करण एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बनाए गए।
2015 में भी नीतीश सरकार में उद्योग मंत्री के रूप में उन्हें अहम जिम्मेदारी मिली। 2020 में जदयू से मतभेद के बाद वे राजद में लौटे, पर पारंपरिक सीट फुलवारी से टिकट नहीं मिला।
अगस्त 2024 में वे फिर जदयू में शामिल हो गए और इस बार चुनाव जीतकर विधायक बने।

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