Bihar Election: कुरुक्षेत्र से पटना तक; बिहार की राजनीति के चार 'संजय', किसे मिली दिव्य दृष्टि?
2025 का बिहार, जहां हर पार्टी का अपना-अपना 'संजय' है। ये संजय टीवी डिबेट्स, सोशल मीडिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिव्य दृष्टि बिखेरते हैं। कभी अपनी पार्टी की नैया पार लगाते हैं, कभी विपक्ष की लूटिया डुबोने का जुगाड़ लगाते हैं। संजय झा की तारीफ कर सकते हैं अब तो। नीतीश के 'सारथी' भी थे। उनकी सभाओं में भी लगातार साथ रहे, परिणाम शानदार रहा।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025। फोटो जागरण
डॉ चंदन शर्मा, पटना। अहा! महाभारत काल में संजय नाम का वो चतुर चरित्र, जिसे व्यास जी ने दिव्य शक्ति दी थी। बिना मैदान में कदम रखे, वो धृतराष्ट्र को कुरुक्षेत्र का लाइव कमेंट्री सुना रहा था। अब अर्जुन ने तीर चलाया, अब कर्ण की लूटिया डूबी।
वो संजय बिना हिले-डुले, दूर से ही नैरेटिव सेट कर रहा था, युद्ध की नैया पार लगाने या डुबोने का पूरा इंतजाम कर रहा था। अब कट टू 2025 का बिहार, जहां हर पार्टी का अपना-अपना संजय है।
ये संजय लोग टीवी डिबेट्स, सोशल मीडिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिव्य दृष्टि बिखेरते हैं। कभी अपनी पार्टी की नैया पार लगाते हैं, कभी विपक्ष की लूटिया डुबोने का जुगाड़ लगाते हैं। और ऊपर से मीडिया के "संजय" दिल्ली से रिमोट कंट्रोल चला रहे हैं। बोले तो चुनाव परिणाम से इनका आकलन भी होगा। चलिए, इन आधुनिक संजयों की दिव्य कथा सुनाते हैं।
1. संजय मयूख: भाजपा का दिव्य दृष्टि वाला योद्धा
बोले तो: डॉ. संजय मयूख, जन्म 10 फरवरी 1975 को बिहार में। BJP बिहार के राज्य उपाध्यक्ष, प्रवक्ता, राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी और बिहार विधान परिषद के सदस्य (MLC, 29 जून 2020 से)। पार्टी के मुख्य व्हिप भी। शिक्षा और सार्वजनिक सेवा की पृष्ठभूमि से, फेसबुक-ट्विटर पर राष्ट्रवाद की धारा बहाते हैं। BJP की राष्ट्रीय भूमिका के कारण दिल्ली में कार्यालयीन निवास, लेकिन मूल निवासी पटना के हैं।
दिल पर न लें: अरे वाह, भाजपा का ये संजय तो महाभारत वाले संजय का अपग्रेड वर्जन है! बिना पटना की मीडिया गलियों में खूब घूमे हैं, दिल्ली से भी बिहार चुनाव का लाइव चित्रण करते हैं। "देखिए, मोदी जी का कमल खिल रहा है, विपक्ष की नैया में छेद हो गया!" कभी टीवी पर विपक्ष को "बिखरे-बिखरे गैंग" बताकर उनकी लूटिया डुबो देते हैं, तो कभी राम मंदिर या ट्रिपल तलाक का नैरेटिव सेट करके BJP की नैया को पार लगाने का इंतजाम।
लेकिन अगर कोई पूछे कि बिहार में बेरोजगारी का क्या? तो दिव्य दृष्टि अचानक धुंधली हो जाती है – "ये तो विपक्ष की साजिश है!" हा हा, संजय जी, आपकी दिव्य शक्ति सिर्फ कमल पर ही फोकस क्यों? एग्जिट पोल्स से बेहतर रिजल्ट्स की भविष्यवाणी तो ठीक, लेकिन ग्राउंड पर नैया पार लगेगी या नहीं? दिल पर न लें, बस कमल की चमक थोड़ी ज्यादा है!
2. संजय यादव: राजद का यादव-कुल का दिव्य रक्षक
बोले तो: संजय यादव, जन्म 24 फरवरी 1984 को हरियाणा में (उम्र- 41)। 2024 से बिहार से राज्यसभा सांसद। RJD के प्रमुख नेता, तेजस्वी यादव के सीनियर पॉलिटिकल एडवाइजर, लालू परिवार के करीबी।
कंप्यूटर साइंस और बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट, 2012 में अखिलेश यादव के जरिए तेजस्वी से मिले। सोशल जस्टिस, पिछड़े वर्गों की आवाज, और पार्टी के युवा चेहरे। कभी-कभी लालू परिवार के विवादों का केंद्र।
दिल पर न लें: राजद का ये संजय तो जैसे महाभारत में कर्ण का साथी बन गया हो – लेकिन यहां वो लालू-तेजस्वी की सेना का दिव्य कमेंटेटर है! दिल्ली या पटना से ही चिल्लाते हैं, देखो, BJP-JDU की नैया डूब रही है, हमारी MY (मुस्लिम-यादव) वाली नैया पार लगेगी!" कभी जाति जनगणना का नैरेटिव सेट करके विपक्ष की लूटिया डुबोते हैं, तो कभी लालटेन जलाओ, कहकर अपनी पार्टी को बचाते हैं।
लेकिन जब CBI-ED का नाम आता है, तो दिव्य दृष्टि घूमकर कहती है, "ये तो राजनीतिक प्रतिशोध है!" संजय भाई, हरियाणा से बिहार आए, लेकिन दिव्य शक्ति से लालू जी की पुरानी लूटिया को कितनी बार डुबोने से बचा पाएंगे? हा हा, यादव कुल का योद्धा, लेकिन परिवार की आपसी रिफ्ट में खुद की नैया हिल जाती है – रोहिणी आचार्य की पोस्ट तो बस ट्रेलर था! दिल पर न लें, लालटेन तो जलती रहेगी, बस बिजली का बिल कौन भरेगा?
3. संजय झा: जदयू का नीतीश-कुमार वाला दिव्य रणनीतिकार
बोले तो: संजय कुमार झा (संजय झा), जन्म 1 दिसंबर 1967 को मधुबनी, बिहार में (उम्र- 58)। JDU के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (वर्किंग प्रेसिडेंट), बिहार से राज्यसभा सांसद (फरवरी 2024 से)। पूर्व जल संसाधन मंत्री (2019-2024), सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री। JNU से मीडिवल हिस्ट्री में मास्टर्स, 2012 में BJP से JD(U) जॉइन। संसदीय स्थायी समिति (परिवहन, पर्यटन, संस्कृति) के अध्यक्ष। नीतीश कुमार के विश्वासपात्र, विकास-सुशासन पर फोकस।
दिल पर न लें: जदयू का ये संजय तो महाभारत में भीष्म पितामह का सलाहकार लगते हैं, लेकिन यहां वो नीतीश जी का दिव्य GPS है। बिना ज्यादा हिले-डुले, वो कहते हैं, देखिए, NDA की नैया पार लग रही है, महागठबंधन की लूटिया डूब गई! कभी विकास के आंकड़ों से BJP को सपोर्ट करते हैं, तो कभी पलटी मारकर विपक्ष को चौंका देते हैं।
दिव्य दृष्टि से वो बिहार की सड़कों, पुलों का चित्रण करते हैं, लेकिन जब पलटी की बात आती है, तो कहते हैं, "ये तो राजनीतिक जरूरत है!" संजय जी, JNU से पढ़कर आए, लेकिन दिव्य शक्ति से नीतीश जी की नैया को कितनी बार पार लगाएंगे? हा हा, कभी NDA, कभी महागठबंधन।आपकी दृष्टि तो 360 डिग्री घूमती है, लेकिन स्पेशल स्टेटस की डिमांड पर BJP को मनाने का जुगाड़ कब लगेगा? दिल पर न लें, पलटी तो राजनीति का GPS अपडेट है!
4. अब मीडिया के दर्जनों "संजय": दिल्ली से रिमोट वाला दिव्य नैरेटिव-सेटर
बोले तो: अरे, इनका कोई फिक्स्ड प्रोफाइल नहीं! ये वो "संजय" हैं जो दिल्ली के AC स्टूडियो में बैठे रहते हैं, या तीन-चार दिन पटना घूमकर ग्राउंड रिपोर्ट बनाते हैं। नाम हो सकता है 'संजय' अहिरवार, पांडेय या कोई और, लेकिन काम एक। दूर से ही बिहार की राजनीति का लाइव चित्रण- अब नीतीश पलट गए, अब लालू की नैया डूबी! ये एक-एक सीट का रिजल्ट बिना सर्वे भी बता देते हैं।
दिल पर न लें: महाभारत वाला संजय तो कम से कम व्यास जी की शक्ति से देखता था, लेकिन ये मीडिया वाले संजय? दिल्ली से ही दिव्य दृष्टि चला लेते हैं। बिना गांवों में गए, बिना मतदाताओं से मिले! "पटना दौरा" मतलब होटल से एयरपोर्ट तक और फिर स्टूडियो में नैरेटिव सेट। बिहार में जाति की राजनीति, नैया पार या डूब? कभी BJP को हीरो बनाते हैं, कभी RJD को विलेन।
लेकिन असली लूटिया तो TRP की डुबोते हैं! हा-हा, संजय जी लोग, आपकी दिव्य शक्ति से नैरेटिव तो सेट होता है, लेकिन बिहार के असली मुद्दे (बेरोजगारी, बाढ़, प्रवासन) कहां? शायद अगले एपिसोड में या एग्जिट पोल्स के बाद। दिल पर न लें, TRP तो चलता रहता है, बिहार की सच्चाई भी कभी-कभी आ जाएगी!
तो भाई लोगों, बिहार की राजनीति में ये संजय लोग दिव्य शक्ति से युद्ध चला रहे हैं। कभी नैया पार लगाते, कभी लूटिया डुबोते। महाभारत में संजय ने धृतराष्ट्र की आंखें खोलीं, लेकिन यहां? ये संजय मतदाताओं की आंखों में धूल झोंक रहे हैं! दिल पर न लें, बस हंसी-मजाक है। चुनाव परिणाम में देखते हैं, किस संजय की दिव्य दृष्टि काम आती है। जय हो!
(यह लेख सटायरिकल है और किसी व्यक्ति या संस्था की भावनाओं को आहत करने का इरादा नहीं रखता। सभी तथ्य सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित हैं।)

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