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Bihar Election 2020: बिहार में असदुद्दीन ओवैसी के रुख से राजग को चैन, महागठबंधन बेचैन

बिहार विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम ने मुस्लिम बहुल 50 क्षेत्रों में लड़ने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने 40 सीटों की सूची भी जारी कर दी है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 04:28 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 07:00 PM (IST)
Bihar Election 2020: बिहार में असदुद्दीन ओवैसी के रुख से राजग को चैन, महागठबंधन बेचैन
Bihar Election 2020: बिहार में असदुद्दीन ओवैसी के रुख से राजग को चैन, महागठबंधन बेचैन

अरविंद शर्मा, पटना। असदुद्दीन ओवैसी बिहार में महागठबंधन के घटक दलों की मुश्किलें बढ़ाने वाले हैं। उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने मुस्लिम बहुल 50 क्षेत्रों में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अपनी 40 सीटों की सूची भी जारी कर दी है। बाकी का इंतजार है। ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां करीब 25 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। कई सीटों पर तो 40 से 69 फीसद तक मुस्लिम मतदाता हैं। ओवैसी के रुख से विधानसभा चुनाव में माय समीकरण से आस लगाए महागठबंधन के घटक दल बेचैन हैं, जबकि राजग के घटक दल सुकून महसूस कर सकते हैं। 

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सक्रियता से महागठबंधन के परेशान होने की वजहें भी हैं

ओवैसी की पार्टी की बिहार में अति सक्रियता से महागठबंधन के परेशान होने की वजहें भी हैं। मजलिस ने जिन सीटों को अपनी सूची में शामिल किया है, उनमें फिलहाल आधे से अधिक पर महागठबंधन के घटक दलों का कब्जा है। पिछले चुनाव के मुताबिक कुल 50 सीटों में से 30 पर अभी राजद, कांग्रेस और माले के विधायक हैं। एक तिहाई सीटों पर तो अकेले राजद का कब्जा है, जबकि 11 सीटें कांग्रेस के खाते में हैं। 

उपचुनाव में मिली जीत से ओवैसी के इरादे स्पष्ट

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस विधायक डॉ. जावेद के सांसद चुन लिए जाने के बाद खाली हुई किशनगंज सीट को उपचुनाव में जीतकर ओवैसी ने अपने इरादे को भी स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनावी राजनीति में किसी के साथ मरव्वत करने के पक्ष में नहीं हैं। बिहार में एआइएमआइएम के एक मात्र विधायक कमरुल होदा ने सीमांचल के साथ पूरे बिहार की बदहाली के लिए भाजपा-जदयू के साथ-साथ कांग्रेस-राजद को भी बराबर का जिम्मेवार बताया है। उन्होंने कहा कि बहस 15 साल बनाम 15 साल नहीं, बल्कि आजादी के बाद अबतक के 73 साल को गिना जाना चाहिए। जाहिर है, ओवैसी की पार्टी के निशाने पर वैसे सभी दल हैं, जो अबतक बिहार की सत्ता में रहे हैं। इसके पहले ङ्क्षहदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने ओवैसी की पार्टी से गठबंधन की पहल की थी, लेकिन बात कुछ ज्यादा दूर तक नहीं बढ़ी। 

15 सीटों पर मुस्लिम विधायकों से ही मुकाबला 

एआइएमआइएम को विभिन्न दलों के मुस्लिम विधायकों से भी लगाव नहीं है। पार्टी ने जितनी सीटें अभी चिह्नित कर रखी हैं, उनमें से 15 पर अभी मुस्लिम विधायक काबिज हैं। ओवैसी को इससे मतलब नहीं है कि मुस्लिम विधायक हारें या जीतें। सभी सीटों पर पार्टी की ओर से मजबूती के साथ तैयारी की जा रही है। कमरूल होदा के मुताबिक चुनाव में अपनी पार्टी के सिद्धांतों के साथ जाना है। सामने कोई भी हो। इससे ज्यादा फर्क नहीं पडऩे वाला। 

तीसरी सूची भी जल्द 

कमरुल होदा के मुताबिक तीसरी सूची पर काम हो रहा है। अभी सर्वे कराया जा रहा है। जल्द ही काम पूरा होगा। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। भाजपा और जदयू के खिलाफ समान विचारधारा से गठबंधन की कवायद जारी है। सरकार से लोग निराश हैं। हम चाहते हैं कि गैर एनडीए दलों के साथ बिहार में मजबूत मोर्चा बने इसलिए पहल कर रहे हैं, ताकि बाद में कोई यह आरोप न लगाए कि हमने मौका नहीं दिया। 

दूसरी सूची : किशनगंज, अररिया, कस्बा, बहादुरगंज, कोचाधामन, ठाकुरगंज, नरपतगंज, छातापुर, प्राणपुर, जाले, दरभंगा, गया, पूर्णिया, भागलपुर, धमदाहा, पीरो, सुगौली और मनिहारी। 

इनके कब्जे में 50 सीटें 

राजद : अररिया, नरपतगंज, बरारी, ढाका, रघुनाथपुर, बायसी, बिस्फी, झंझारपुर, जोकीहाट, केवटी, समस्तीपुर, साहेबगंज, महुआ, बरौली, साहेबपुर कमाल, शाहपुर एवं मखदुमपुर। 

कांग्रेस : कस्बा, भागलपुर, मनीहारी, बेतिया, नरकटियागंज, अमौर, कहलगांव, बहादुरगंज, कदवा, वजीरगंज एवं औरंगाबाद

जदयू : धमदाहा, कोचाधामन, बाजपट्टी, फुलवारी, ठाकुरगंज, दरौंदा एवं सिमरी बख्तियारपुर

भाजपा : सुगौली, जाले, दरभंगा, प्राणपुर, रामनगर, परिहार, पूर्णिया, गया, छातापुर, चैनपुर

अन्य : किशनगंज में एआइएमआइएम, इमामगंज में हम, बोचहां में निर्दलीय और पीरो एवं बलरामपुर में माले। 


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