Bihar Election 2020: चुनाव को लेकर राजद में सेंधमारी, अपना कुनबा बचाने में एनडीए सफल
बिहार चुनाव से पहले विधायकों को अपने पाले में बनाए रखने के मोर्चे पर राजग को फिलहाल बड़ी कामयाबी मिलती नजर आ रही है। जबकि बाहरी लोगों के लिए भाजपा में नो एंट्री का बोर्ड लगा है।
पटना, जेएनएन। विधायकों को अपने पाले में बनाए रखने के मोर्चे पर राजग को फिलहाल बड़ी कामयाबी मिलती नजर आ रही है। बड़ी बात यह है कि वह महागठबंधन के विधायकों को अपने पक्ष में कर रहा है। अबतक राजद के सात विधायक जदयू में शामिल हो चुके हैं। यह संख्या बढ़ भी सकती है, जबकि बाहरी लोगों के लिए भाजपा में नो एंट्री का बोर्ड लगा हुआ है। कांग्रेस के कई विधायकों के बारे में भी बताया जा रहा है कि वे जदयू की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री खुद रख रहे विधायकों पर नजर
खबर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद अपने विधायकों पर नजर रखे हुए हैं। वह उन विधायकों-मंत्रियों से खुद बात कर रहे हैं, जिनके मन में टिकट को लेकर संदेह है। उनके कुछ मंत्रियों को बेटिकट होने की आशंका थी। वे दल बदल कर राजद में जाने के बारे में सोच भी रहे थे मगर ऐन मौके पर मुख्यमंत्री ने उनसे बातचीत की। टिकट के अलावा हर तरह की मदद का भरोसा दिया। मंत्री रुक गए। मंत्री बीमा भारती भी उन्हीं में हैं। उनके करीबी कहते हैं कि राजद में जाने के बारे में बातचीत पक्की हो गई थी। मुख्यमंत्री का फोन आया और मंत्री का इरादा बदल गया। अब उनके पति अवधेश मंडल के राजद में जाने की चर्चा है। एक अन्य मंत्री के साथ भी ऐसा ही हुआ।
श्याम टिकट मिलने के आश्वासन पर भरोसा नहीं कर पाए
सूत्रों ने बताया कि उद्योग मंत्री श्याम रजक को भी जदयू में रोकने की कोशिश हुई। रजक को बेटिकट होने की आशंका थी क्योंकि जदयू के एक अन्य दावेदार अरुण मांझी को श्याम के विधानसभा क्षेत्र फुलवारीशरीफ में भावी उम्मीदवार के रूप में प्रचारित किया जा रहा था। मांझी को राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह का करीबी माना जाता है। लिहाजा, श्याम टिकट मिलने के आश्वासन पर भरोसा नहीं कर पाए। सांसद राजीव रंजन सिंह दूसरे दलों के विधायकों को जदयू में मिलाने की रणनीति को जमीन पर उतार रहे हैं। वे कहते हैं-राजद के कई विधायक आने को इच्छुक हैं। हम सभी विधायकों को जदयू में शामिल नहीं करा सकते हैं। दरअसल, राजद के ऐसे कई विधायक कतार में हैं, जिन्हें लग रहा है कि पिछले चुनाव में उनकी जीत जदयू की मदद से ही हो पाई थी। इस बार राजद के टिकट पर लड़े तो जीत में कठिनाई होगी।
परंपरागत सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं भाजपा
हालांकि जदयू के लिए नई मुश्किल भाजपा के इस रुख से पैदा हो रही है कि वह अपनी परंपरागत सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। जदयू में आने की इच्छा रखने वाले अधिसंख्य विधायकों ने पिछले चुनाव में भाजपा को पराजित कर चुनाव जीता था। अगर वे जदयू में शामिल होकर फिर उसी सीट से चुनाव लड़ेंगे तो भाजपा का दावा खत्म हो जाएगा। भाजपा की सख्ती के चलते भी दल बदल करने वाले विधायकों के पांव ठहर गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में राजद के तीन विधायकों ने जदयू में शामिल होने के लिए एक वरिष्ठ नेता से बातचीत की थी। इनमें से दो ने पिछले चुनाव में भाजपा को पराजित किया था। इन दोनों की इंट्री रोक दी गई है, जबकि तीसरे को इंतजार करने के लिए कहा गया है। क्योंकि उन्होंने जहां से चुनाव जीता है, वह भाजपा की नहीं, जदयू की परंपरागत सीट है।
राजद के ये विधायक जदयू में हुए हैं शामिल
वीरेंद्र कुमार (तेघड़ा), प्रेमा चौधरी (पातेपुर), जयवर्धन यादव (पालीगंज), अशोक वर्मा (सासाराम), फराज फातमी (केवटी), चंद्रिका राय (परसा), महेश्वर यादव (गायघाट)। इससे पहले राजद के पांच विधान परिषद सदस्य राजद की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। ङ्क्षहदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को अपने पाले में करने की योजना भी जदयू के पास है। मांझी की मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात हो चुकी है। अगर वे जदयू में शामिल हो जाते हैं या राजग के साथ गठबंधन कर लेते हैं तो महागठबंधन को बड़ा झटका लगेगा।