Bihar Crime: ठेकेदार से रिश्वत मांग बुरा फंसा एनएच प्रमंडल का कैशियर, निगरानी के न्यायाधीश ने दिया दोषी करार
Bihar Crime पटना के निगरानी कोर्ट ने राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल विभाग के एक कैशियर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाया है। उसकी सजा के बिंदु पर सुनवाई पांच दिसंबर को होगी। क्या है पूरा मामला जानिए इस खबर में।
पटना, आनलाइन डेस्क। Bihar Crime: पटना में निगरानी कोर्ट ने डेहरी-ऑन-सोन के राष्ट्रीय उच्च पथ (NH) प्रमंडल विभाग में प्रयोगशाला सहायक (Lab Assistant) व खजांची (Cashier) रहे राजीव रंजन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार दिया है। कोर्ट ने उनकी जमानत को खारिज करते हुए न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। अब सजा के बिंदु पर सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।
निगरानी के न्यायाधीश ने दिया दोषी करार
पटना निगरानी कोर्ट के न्यायाधीश मनीष द्विवेदी ने डेहरी-ऑन-सोन के पथ प्रमंडल विभाग में कार्यरत रहे राजीव रंजन को रिश्वत लेने का दोषी पाया है। कोर्ट ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तारीख तय की है।
एनएच के काम में रिश्वत मांगने का मामला
निगरानी ट्रैप मामलों के प्रभारी विशेष लोक अभियोजक किशोर कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला डेहरी-ऑन-सोन के राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल में कराए गए काम में रिश्वत मांगने का है। साल 2006-2007 में ठेकेदार कौशलेंद्र कुमार सिंह ने पथ प्रमंडल में मरम्मत के काम कराए थे। काम पूरा होने पर जब उन्होंने खुद द्वारा जमा किए गए अग्रधन की राशि वापस मांगी, तब उसे लौटाने के बदले खजांची के प्रभार में रहे राजीव रंजन ने एक हजार रुपये की रिश्वत मांगी।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में कर दी शिकायत
कौशलेंद्र सिंह ने काफी समझाया, लेकिन राजीव रंजन टस से मस नहीं हुआ। उसने रिश्वत लिए बिना अग्रधन की राशि वापस करने से साफ इनकार कर दिया। दूसरी ओर कौशलेंद्र सिंह एक पैसा भी रिश्वत देने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में इसकी शिकायत कर दी।
छापेमारी में मिली आय से अधिक संपत्ति
निगरानी ने शिकायत मिलने के बाद उसी दिन तीन मई 2007 को इसका सत्यापन करने के बाद शाम तक छापेमारी कर राजीव रंजन को रंगे हाथों गिरफ्तार भी कर लिया। जब उसके पटना के कंकड़बाग स्थित घर की तलाशी ली गई, तब 106500 रुपये, एनएससी में लगाए गए 37 लाख रुपये के प्रमाण पत्र, स्टेट बैंक में जमा 429082 रुपये (पासबुक) तथा जमीन के कागजात मिले। इसके बाद निगरानी ब्यूरो ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।