बिहार के क्रिकेटर्स! ये न्यूज लौटा देगी आपके चेहरे की चमक
सचिन तेंदुलकर, महेन्द्र सिंह धौनी व विराट कोहली जैसे क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले बिहार के क्रिकेटरों के लिए अच्छी खबर। उनका सपना शीघ्र पूरा होने वाला है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) को चुनाव कराने के लिए हरी झंडी दिखा दी है।
पटना। सचिन तेंदुलकर, महेन्द्र सिंह धौनी व विराट कोहली जैसे क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले बिहार के क्रिकेटरों के लिए अच्छी खबर। उनका सपना शीघ्र पूरा होने वाला है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) को चुनाव कराने के लिए हरी झंडी दिखा दी है।
अवकाश प्राप्त न्यायाधीश धर्मपाल सिन्हा की देखरेख में चुनाव होगा। इस पर होने वाले 10 लाख रुपये खर्च देने को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ को कहा है। हालांकि बीसीसीआइ ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इसकी सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और आरके अग्र्रवाल की पीठ ने बीसीए के केस पर सुनवाई के दौरान बीसीसीआइ के वकील अमित सिब्बल से कहा कि फिलहाल हमारे यहां बीसीए चुनाव का मामला है, जो पिछले सात वर्ष के बाद होने वाला है।
इसलिए चुनाव का खर्च कौन देगा या चुनाव कैसे कराया जाएगा। इसपर बात करें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ को फटकार लगाते हुए कहा कि जब तदर्थ कमेटी ही बनानी थी तो इतने दिनों से क्या रहे थे। बिहार के क्रिकेटरों को बाहर जाकर खेलने पर मजबूर होना पड़ा। साथ ही टेस्ट, वनडे या आइपीएल जैसे टूर्नामेंटों से भी वे महरूम रहे।
दोनों गुटों में बनी सहमति, 45 दिनों के अंदर चुनाव
न्यायाधीश धर्मपाल सिन्हा के नाम पर दोनों गुटों के बीच सहमति बन गई है। सब ठीक रहा तो बीसीए का चुनाव 45 दिनों के अंदर हो जाएगा। इसमें 38 जिला क्रिकेट संघ की सहभागिता होगी। बीसीए और तदर्थ समिति के वकीलों ने चुनाव पर आने वाले खर्च का मुद्दा भी अदालत में उठाया और चुनाव पर आने वाला 10 लाख रुपए का खर्च बीसीसीआइ से देने के लिए कहा।
क्या है मामला
2010 में बिहार में बनी तदर्थ समिति के वकील राजेश कुमार सिंह ने बताया कि विवाद की शुरुआत बीसीए में चुनाव को लेकर 2010 में शुरू हुआ था। सेवानिवृत्त न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद की देखरेख में बीसीए का चुनाव कराया जाना था।
मगर उन्हें वोटर लिस्ट व अन्य पर आपत्ति हुई और उन्होंने चुनाव कराने से इन्कार कर दिया। यह देख तत्कालीन बीसीए के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बीसीए को भंग कर तदर्थ समिति का गठन किया और छह महीने के अंदर चुनाव कराने की बात कह दी।
सचिव अजय नारायण शर्मा से सारे कागजात जमा करने की बात भी कही। मगर उन्होंने दूसरी तरफ बीसीए का चुनाव करा हाई कोर्ट में बीसीसीआइ से मान्यता के लिए याचिका दाखिल कर दी। जिसे एकल बेंच से सहमति मिल गई।
इसके बाद तदर्थ समिति ने डबल बेंच में इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की जहां पर दोनों न्यायाधीशों के फैसले अलग-अलग आएं। फैसले से असंतुष्ट तदर्थ समिति ने मामले को तीन न्यायाधीशों के बेंच में ले गए, जहां पर चुनाव को सही नहीं माना गया। मगर उसे खारिज भी नहीं किया गया। इसी मुद्दे को लेकर तदर्थ समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।