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बिहार में इस बार आस्‍ट्रेलिया, कनाडा और सिंगापुर वाला कोरोना वैरिएंट, एक और खास बात आई सामने

Bihar Coronavirus Update बिहार में आस्ट्रेलिया और कनाडा वाला ओमिक्रोन वैरिएंट महाराष्ट्र तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल में मिले है ओमिक्रोन के बीए प्वाइंट वन का स्ट्रेन बिहार के आधा दर्जन से अधिक जिलों में मिल चुका है ओमिक्रोन का बीए प्वाइंट टू स्ट्रेन -------------

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:37 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 02:13 PM (IST)
बिहार में इस बार आस्‍ट्रेलिया, कनाडा और सिंगापुर वाला कोरोना वैरिएंट, एक और खास बात आई सामने
Bihar Covid Update: बिहार में जीनोम सिक्‍वेंसिंग में सामने आई बात। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार में कोरोना मरीजों के सैंपल की जीनोम सिक्‍वेंसिंग शुरू हो गई है। इससे पता चला है कि बिहार में कोविड की तीसरी यानी मौजूदा लहर का कारण ओमिक्रोन वैरिएंट ही है। फिलहाल पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में जीनोम सिक्‍वेंसिंग हो रही है। यहां कोरोना संक्रमण के सैंपल में ओमिक्रोन के बीए प्वाइंट टू स्ट्रेन की पहचान की गई है। ओमिक्रोन वैरिएंट के ये स्ट्रेन आस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, डेनमार्क में ज्यादा मिले हैं। पिछली बार 40 सैंपल की जांच में सभी में ओमिक्रोन की पुष्टि हुई। इसके पहले वाले बैच में कुछ सैंपल डेल्‍टा के भी मिले थे।

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यह खास स्‍ट्रेन सबसे अधिक बिहार में मिला

विशेषज्ञों के अनुसार अब तक बीए प्वाइंट वन स्ट्रेन महाराष्ट्र, तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल में मिले हैं। ओमिक्रोन का बीए प्वाइंट टू स्ट्रेन बिहार में सबसे अधिक मिला है। आइजीआइएमएस के माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो. नम्रता कुमारी एवं जीनोम वैज्ञानिक डा. अभय कुमार ने बताया कि बीए प्वाइंट टू स्ट्रेन का तेजी से प्रसार होता है, लेकिन यह कम खतरनाक है। आइजीआइएमएस में आरंभ में हुए 32 जीनोम सिक्वेंसिंग वाले मरीजों को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं हुई है। इसमें डेल्टा से संक्रमित होने वाले मरीज ज्यादा गंभीरता के साथ अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। दूसरे चरण के सभी 40 सैंपल में बी टू स्ट्रेन मिला है। बी वन की तुलना में बी टू को कम खतरनाक माना जा रहा है, लेकिन अभी इसपर प्रामाणिक डेटा उपलब्ध नहीं हो पाया है।

यात्रा वाले मरीजों में मिल रहा है बीए प्वाइंट वन 

विशेषज्ञों के अनुसार यात्रा इतिहास वाले मरीजों में बीए प्वाइंट वन के मरीज मिले है। बीए प्वाइंट टू का संक्रमण दर ज्यादा है। एसे मरीजों में तीन-चार दिनों तक ही बुखार या अन्य परेशानी होती है। इसके बाद धीरे-धीरे परेशानियां कम होने लगती हैं। दिल्ली के अस्पतालों में बीए प्वाइंट टू से कई मौत हुई हैं। इसका आंकड़ा तैयार किया जा रहा है।

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