बिहार कांग्रेस में खटपट मामूली बात, पार्टी की विचारधारा RJD के समान : कादरी
बिहार कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी का मानना है कि कांग्रेस व राजद की विचारधारा समान है। पार्टी में अनबन है, लेकिन यह मामूली बात है।
पटना [सुनील कुमार राज]। बिहार में 'महागठबंधन' से कांग्रेस के अलग होने के साथ ही पार्टी में टूट की चर्चा के बीच कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस की कमान पार्टी के पुराने नेता कौकब कादरी को सौंपी है। वे प्रभारी अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस का काम देख रहे हैं। उनके प्रभार संभालने साथ ही बिहार कांग्रेस दो खेमे में बंटी नजर आई। कांग्रेस नेताओं का एक खेमा पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी के साथ खड़ा नजर आ रहा है तो दूसरा खेमा कादरी के साथ।
किसी प्रभारी अध्यक्ष के लिए इससे बड़ी चुनौती और कुछ नहीं हो सकती है। बावजूद इसके, कादरी इस प्रयास में हैं कि पार्टी के प्रत्येक विधायक, जिलाध्यक्ष और कार्यकर्ता को साथ लेकर चलें। उनके इन्हीं प्रयासों के बीच दैनिक जागरण ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश...
प्र.: मुश्किल समय में आपको बिहार की कमान मिली, कैसा महसूस कर रहे हैं?
उ.: कांग्रेस मेरा घर है। पार्टी के साथ जुड़ा छोटा से लेकर बड़ा कार्यकर्ता और नेता इस परिवार का सदस्य है। परिवार में खटपट मामूली बात है। मैं ऐसी परेशानियों से घबराता नहीं। मेरा मानना है कि समय कैसा भी हो परिस्थितियों से हताश या परेशान नहीं होना चाहिए। मुझे किसी के साथ काम करने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं।
प्र.: क्या आपको पूर्व से अंदाजा था कि आपको बिहार का अध्यक्ष बनाया जा सकता है?
उ.: मुझे अपने अध्यक्ष बनाए जाने की कोई जानकारी नहीं थी। मेरे लिए यह बड़ी चुनौती थी। परन्तु पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मुझे जो जवाबदेही और जिम्मेदारी दी उसे मैने स्वीकार किया और अपने काम में लग गया हूं।
प्र.: शुरुआत में पार्टी के अंदर आपका कोई विरोध ?
उ.: नहीं मेरा कभी किसी से कोई विवाद नहीं रहा। मैंने पार्टी में कई लोगों के साथ काम किया है। दुर्गा पूजा के दौरान मुझे प्रभारी अध्यक्ष पद का जिम्मा दिया गया। उस वक्त मैं सिर्फ लोगों को पूजा की बधाई ही दे सकता था। पूजा समाप्त होने के बाद मैंने पार्टी के कई पुराने और नए नेताओं से व्यक्तिगत उनके आवास पर जाकर मुलाकात की और जो बड़े थे उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया और छोटों को अपना प्यार दिया। मैं कोशिश कर रहा हूं कि पार्टी में सब एक छत के नीचे बगैर किसी भेदभाव के काम करें। क्योंकि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टी है। इसे लोगों के साथ ही की दरकार है और वह कोशिश में हमेशा करता रहूंगा।
प्र.: क्या आपने पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी से भी मुलाकात की?
उ.: नहीं उनसे मेरी मुलाकात तो नहीं हो पाई, लेकिन जिस दिन मुझे बिहार कांगे्रस की कमान दी गई मैंने डॉ. चौधरी को फोन किया था और उनसे आग्रह किया था कि मैं आपके हाथों आपकी मौजूदगी में बिहार के प्रभारी अध्यक्ष का पद ग्रहण करना चाहता हूं। यह संयोग रहा कि जिस दिन मैंने प्रभार लिया वे किसी प्रेस कांफ्रेंस में थे, वे आ नहीं सके और मजबूरन उनकी गैर मौजूदगी में मुझे प्रभार संभालना पड़ा।
प्र.: पद संभालने के साथ आपने जिलाध्यक्षों सम्मेलन बुलाया जिसमें काफी विवाद हुआ?
उ.: नहीं कोई विवाद नहीं हुआ। कुछ लोगों को यह लग रहा था कि उनके साथ हकमारी की जा रही है,जबकि हकीकत में ऐसी कोई बात नहीं थी। नौ अक्टूबर को सम्मेलन के बाद कुछ लोगों द्वारा सदाकत आश्रम के बाहर विवाद किए जाने की बात मेरे संज्ञान में लाई गई थी, जिसकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। मेरे साथ पार्टी के कुछ बड़े नेता भी थे, उन्हें भी इस शर्मिंदा करने वाली स्थिति सामना करना पड़ा। कांग्रेस का ऐसा कल्चर नहीं है। मैं सिर्फ एक बात कहना चाहूंगा कि मेरा मकसद किसी का हक छीनना नहीं। मेरी कोशिश सबको साथ लेकर चलने की है।
प्र.: राजद और कांग्रेस के बीच आज क्या संबंध हैं?
उ.: देखिए बिहार की जनता ने कांग्रेस-राजद-जदयू के महागठबंधन को अपना बहुमत दिया। बाद में नीतीश कुमार जिन भी कारणों से एनडीए के साथ जाते दिखाई दिए। नोटबंदी का मसला हो, राष्ट्रपति चुनाव का मुद्दा हो या फिर जीएसटी का उनके विचार महागठबंधन की नीतियों से अलग दिखे। पार्टी को सबसे बड़ा धक्का मीरा कुमार के मसले पर लगा, जिसके बाद यह साफ हो गया था कि हम साथ नहीं चल सकते और हम अलग हुए। रही राजद तो राजद हमारा स्वाभाविक मित्र है। राजद और कांग्रेस की विचारधारा भी मिलती है। कई चुनाव बिहार में हम साथ मिलकर लड़े 2015 के पूर्व भी राजद के साथ गठबंधन में कांग्रेस बिहार की सत्ता में रही है। दिल्ली में प्रमुख सत्रह विरोधी दलों की बैठक में राजद भी शामिल था। भविष्य में भी हम साथ रहेंगे मेरा ऐसा ही मानना है।
प्र.: भविष्य की क्या योजना है?
उ.: बिहार में जब पार्टी टूट की अफवाहें उठ रही थी ऐसे में पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को बिहार भेजा था। उस दौरान हमारे नेता सिंधिया ने जदयू द्वारा किए गए जनादेश अपमान के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की थी उसे ही अमल में लाया जाना है।
प्र.: क्या कौकब कादरी बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहेंगे या व्यवस्था बदलेगी?
उ.: मुझे जब अध्यक्ष बनाया गया तब भी मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। और मुझे कब हटाया जाएगा ये भी मैं नहीं जानता। मेरा मानना है कि मैं जिस पद पर रहूं उस पर ईमानदारी पूर्वक अपना शत प्रतिशत दूं। मैं तो देखता हूं कि पार्टी में मुझसे ज्यादा जानकार लोग हैं लेकिन, पार्टी ने मुझे यह दायित्व दिया है तो उस पर खरा उतरने के प्रयास करूंगा। मेरी सिर्फ कोशिश है कि बिहार में कांग्रेस सबसे सशक्त पार्टी बने।
प्र.: आपके कामकाज से आलाकमान कितना संतुष्ट है?
उ.: मेरे लिए इस प्रश्न का जवाब देना थोड़ा कठिन है। वैसे भी मेरा कार्यकाल बेहद कम दिनों का है। मुझे अपने को साबित करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए होगा। मैं सिर्फ यह प्रयास कर रहा हूं कि पार्टी के बिछड़े लोग सदाकत आश्रम, जो सच्चाई का मंदिर है, में वापस आएं। ये उनका ही घर है। मैं लोगों से अपील करूंगा कि वे किराए का मकान छोड़े और वापस अपने घर में आएं।
प्र.: 2019 के चुनाव को लेकर बिहार कांग्रेस की क्या तैयारियां हैं?
उ.: निश्चित रूप से कांग्रेस एक सशक्त दल के रूप में उभरेगी और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि लोकसभा चुनाव और इसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी रहेगी। विधानसभा चुनाव में तो हम एक बार फिर सत्ता में होंगे यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं और बिहार में श्रीबाबू का दौर फिर शुरू होगा।