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नीतीश के तीन बयानों से बिहार में राजनीतिक हलचल; फोन टेपिंग और जनगणना पर कह दी है बड़ी बात

BIHAR Politics बिहार में राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को ऐसे तीन मसलों पर बयान दिए जिन पर उनकी राय भाजपा से उलट दिख रही है। उनके इन बयानों के अलग-अलग मतलब लोग निकाल रहे हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 06:43 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 09:04 AM (IST)
नीतीश के तीन बयानों से बिहार में राजनीतिक हलचल; फोन टेपिंग और जनगणना पर कह दी है बड़ी बात
बिहार के सीएम नीतीश कुमार। फाइल फोटो

पटना, जागरण टीमBihar Politics: बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वे विपक्षी पार्टियों सहित सभी दलों को साथ लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बाबत मिलने की बात कर रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले वे भाजपा के राजनीतिक विरोधी और हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला से मिल आए। अब वे पेगासस मामले में संसद में चर्चा करने की मांग भी कर रहे हैं। उनके ये तीन कदम भाजपा को असहज कर सकते हैं। भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना से इंकार कर चुकी है, वहीं बिहार में भाजपा के कई नेता इसे गैरजरूरी और सामाजिक तनाव को बढ़ाने वाला कदम बता चुके हैं। सोमवार को मुख्‍यमंत्री ने एक बार फिर से इन तीनों मुद्दों पर अपनी बात रखी।

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जाति आधारित जनगणना से किसको ऐतराज

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना में क्या करना है और क्या नहीं करना, यह केंद्र सरकार के ऊपर निर्भर है, पर मिलकर अपनी बात रखने से किसी को क्या एतराज होगा। भाजपा को भी सूचना दी गई है कि इस मसले पर प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखी जानी है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे समय लिया जाएगा। अपनी बात तो रख ही देनी चाहिए। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में उन्होंने यह बात कही।

समाज में तनाव की बात ग़लत

मुख्यमंत्री ने कहा कि गलत कहा जा रहा कि जाति आधारित जनगणना से समाज में तनाव होगा। समाज में इससे खुशी होगी। सभी को संतुष्टि होगी। केवल हम लोग ही जाति आधारित जनगणना की बात नहीं कह रहे। कई राज्यों द्वारा यह बात कही जा रही। जाति की कोई बात नहीं। विधानसभा और विधान परिषद में वर्ष 2019 में तो यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ था। इसके बाद 2020 में भी विधानसभा से यह सर्वसम्मति से पारित हुआ। इस बार जब विपक्ष से यह प्रस्ताव आया कि हम सभी को मिलकर प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी बात रख देनी चाहिए। 

चौटाला से मिलने पर किसी को काहे की नाराजगी

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाल से मुलाकात पर कुछ लोगों की नाराजगी के संबंध में मुख्यमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने किसी को इस मुलाकात से काहे की नाराजगी होनी चाहिए! चौटाला के प्रति उनका जमाने से सम्मान है। वे समाजवादी पृष्ठभूमि के हैं। उन्हें सजा हो गई थी। सजा समाप्त होने के बाद जब लौटे तो केसी त्यागी ने उनसे बात कराई थी। मैंने उनसे कहा था कि उधर आ रहे हैं तो उनसे मिलने आएंगे। मु्ख्यमंत्री ने कहा कि चौटाला भले ही राजनीतिक रूप से उनके साथ नहीं हैं, लेकिन व्यक्तिगत संबंध है उनसे। पुराना संबंध है। इसलिए उनसे मिलने पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए।

फोन टैपिंग मामले की निश्चित ही जांच हो जानी चाहिए

पेगासस मामले में जब मुख्यमंत्री से प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि निश्चित ही इस मामले की जांच हो जानी चाहिए। जो सच्‍चाई है वह सामने आ जानी चाहिए, ताकि कोई किसी को डिस्टर्ब करने के लिए कुछ नहीं कर सके। पूरे तौर पर एक-एक बात को देखकर उचित कदम उठाना चाहिए। कुछ मालूम हो तो बात रखनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात काफी दिनों से आ रही है। आजकल तो कौन क्या कर लेगा, आप जानते नहीं।

मुख्‍यमंत्री के बयानों का अर्थ क्‍या

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना से समाज में तनाव पैदा होने की बात गलत है। यह बयान इसलिए महत्‍वपूर्ण है कि भाजपा के भी कई नेता ऐसा बयान दे चुके हैं। बिहार में दूसरे राजनीतिक दल तो जाति आधारित जनगणना की मांग कर ही रहे हैं। मुख्‍य विपक्षी दल राजद और कांग्रेस के अलावा सरकार में सहयोगी जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने भी इसी साल जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है।


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