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जदयू में जाति का मसला कभी नहीं रहा, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा- हम दूसरे दलों से अलग

मुख्यमंत्री ने कहा कि आरसीपी सिंह को दिसंबर में पिछले वर्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी थी। अब जब वह केंद्र में मंत्री बन गए तो उन्होंने स्वयं पदमुक्त होने की इच्‍छा जाहिर की। राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में उन्होंने स्वयं इसका प्रस्ताव किया।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 09:31 AM (IST)
जदयू में जाति का मसला कभी नहीं रहा, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा- हम दूसरे दलों से अलग
नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह। फाइल फोटो

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: गैर कुर्मी और गैर कुशवाहा को जदयू का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद बिहार की सियासत में चर्चाएं तेज हैं। हालांकि जदयू में बारी-बारी से अलग-अलग जातियों के अध्‍यक्ष रहे हैं, लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जिन्‍हें लगता था कि यह पार्टी इन्‍हीं दो जातियों में से किसी को राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का पद सौंपेगी। ललन सिंह को अध्‍यक्ष चुन कर पार्टी ने इसे झूठा साबित कर दिया। दिल्‍ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी में कभी भी कास्ट (जाति) फैक्टर नहीं रहा। दूसरे दलों में जाति वाला हिसाब खूब दिखता है। सवर्ण समाज के ललन सिंह को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक बात है, समाजवादी विचार। राष्ट्रीय कार्यसमिति से लौटने के क्रम में पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उन्होंने यह बात कही।

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बोले- आरसीपी ने स्‍वेच्‍छा से त्‍याग दिया पद

मुख्यमंत्री ने कहा कि आरसीपी सिंह को दिसंबर में पिछले वर्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी थी। अब जब वह केंद्र में मंत्री बन गए तो उन्होंने स्वयं पदमुक्त होने की इच्‍छा जाहिर की। राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में उन्होंने स्वयं इसका प्रस्ताव किया और ललन सिंह को जिम्मेदारी दिए जाने को कहा। इसके बाद सर्वसम्मति से ललन सिंह को अध्यक्ष चुना गया।

तेजस्‍वी यादव ने कसा तंज- जदयू में अध्यक्ष टिक नहीं पा रहा

इधर, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने जदयू के अध्यक्ष बदले जाने को आंतरिक मामला बताया। हालांकि उन्‍होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या बात है कि अध्यक्ष पद पर कोई लंबे समय तक नहीं रह पा रहा है। इतनी जल्दी अध्यक्ष बदलना ठीक नहीं। कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि उनकी पार्टी में जो राष्ट्रीय अध्यक्ष होता है, वही संसदीय बोर्ड का भी अध्यक्ष होता है।


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