Bihar CM Nitish Kumar : नीतीश के संसदीय जीवन पर आ रही हैं एक साथ पांच किताबें
Bihar CM Nitish Kumar मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री और सांसद के तौर पर उनकी भूमिका की विस्तृत चर्चा है। पुस्तक बिहार में पीरो के गांधी को समर्पित है। जानिए पुस्तक के बारे में ।
पटना, राज्य ब्यूरो । Bihar CM Nitish Kumar :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संसदीय जीवन पर एक साथ पांच किताबें आ रही हैं। ये छप चुकी हैं। लॉकडाउन के कारण बाजार में नहीं आ पाई हैं। किताबों के संपादक जगनारायण सिंह यादव ने मंगलवार को बताया कि जल्द ही इनका विमोचन होगा। ये बिहार के राजनेताओं पर लिखी गई सबसे विस्तृत विवरण वाली किताबें होंगी। खास बात यह है कि आमुख को भी पुस्तक का ही रूप दिया गया है। यह पांच खंडों से अलग है। आमुख में मुख्यमंत्री के तौर पर किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की चर्चा है। इसमें शराबबंदी, हर घर बिजली, नल का जल, सड़क, साइकिल, पोशाक आदि योजनाओं का जिक्र किया गया है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री बनने से पहले नीतीश कुमार सांसद थे। वे छह बार लोकसभा के लिए चुने गए। केंद्र में कृषि और रेल मंत्री रहे। 2000 में सात दिनों के लिए जिस वक्त वे मुख्यमंत्री बने थे, रेल मंत्री थे। 2005 में लोकसभा सदस्य रहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में विधान परिषद के सदस्य बने।
किताबें भोजपुर जिले के स्वतंत्रता सेनानी व पीरो के गांधी को समर्पित है
1989 से 2005 तक वे लोकसभा सदस्य रहे। इस दौरान उन्हें सत्ता के साथ विपक्ष में भी रहने का अवसर मिला। किताब में दोनों भूमिका में दिए गए उनके महत्वपूर्ण भाषणों के संपादित अंश हैं। संपादक जगनारायण सिंह यादव बताते हैं-सांसद के नाते नीतीश ने राष्ट्र और राज्य के कई गंभीर मुद्दों पर अपनी राय रखी थी, वे आज भी प्रासंगिक हैं। किताबों का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया गया है। उन्होंने बताया कि किताब का पहला खंड चार सौ पेज का है। अन्य खंडों में भी साढ़े तीन सौ से अधिक पेज हैं। सभी खंडों का मूल्य साढ़े तीन हजार रुपया है। प्रकाशक है-साहित्य संसद। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ी कुछ और किताबें उपलब्ध हैं। लेकिन, यह इन सबसे अलग है। किताबें समाजवादी एवं स्वतंत्रता सेनानी रामएकबाल वरसी को समर्पित की गई हैं। उन्हें भोजपुर जिला के पीरो का गांधी कहा जाता था।
इन किताबों के संपादक जगनारायण यादव जेएनयू के छात्र रहे हैं। वे पिछड़े वर्गो के लिए गठित राज्य आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं।