Bihar Chunav Results 2020: कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदारों ने पार्टी को पहुंचाया बड़ा नुकसान-जानें कैसे
बिहार विधानसभा के ताजा चुनावी नतीजे भी इस बात की तस्दीक हैं कि इस चुनाव अमूमन हर पार्टी ने परिवार के नाम पर टिकट बांटे। पर ऐसा भी नहीं की परिवार के नाम पर टिकट पाने वाले जीत ही जाएं।
पटना, जेएनएन। परिवार की राजनीति के विरोध में हर चुनाव आवाजें भले ही उठे लेकिन हकीकत यह है कि कोई भी पार्टी परिवारवाद की अनदेखी नहीं कर पाती। बिहार विधानसभा के ताजा चुनावी नतीजे भी इस बात की तस्दीक हैं कि इस चुनाव अमूमन हर पार्टी ने परिवार के नाम पर टिकट बांटे। पर ऐसा भी नहीं की परिवार के नाम पर टिकट पाने वाले जीत ही जाएं। ऐसे लोगों में पराजित होने की वालों की संख्या भी कुछ कम नहीं। इस मामले में कांग्रेस पहले पायदान पर है।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2020 में 70 सीटें लड़ी। इन 70 सीटों में 14 फीसद सीटें ऐसी रही जहां से किसी ना किसी पुराने कांग्रेसी के स्वजन को टिकट दिया गया। लेकिन यह बात भी गौर करने लायक है कि इन रिश्तेदारों में कई ऐसे भी हैं जो वर्तमान में पार्टी के सिटिंग विधायक थे। इन 14 फीसद यानी 10 लोगों में से जनता ने इस बार नौ लोगों को सीधे-सीधे नकार दिया।
कई नेताओं के बेटों को टिकट
पार्टी के दो सिटिंग विधायक कहलगांव से सदानंद सिंह, और वजीरगंज से अवधेश कुमार सिंह अपने पुत्रों के लिए टिकट लेने में सफल रहे। सदानंद के पुत्र शुभानंद मुकेश ने कहलगांव से और अवधेश कुमार के पुत्र डॉ. शशि शेखर ने वजीरगंज से चुनाव लड़ा पर पराजित रहे। पूर्व मंत्री बालेश्वर राम के पुत्र डॉ. अशोक कुमार, जो कि इस बार कुशेश्वरस्थान से चुनाव लड़ रहे थे वे भी पराजित रहे। पिछला चुनाव उन्होंने रोसड़ा से जीता था।
दस में से एक ने बरकरार रखी जीत
इनके नेताओं के अलावा पूर्व सांसद चंद्र भानु देवी की पुत्री अमिता भूषण (बेगूसराय), पूर्व मंत्री जुगेश्वर झा की पुत्री व सिटिंग विधायक भावना झा (बेनीपट्टी ), पूर्व मंत्री विपिन बिहारी के पौत्र विनय वर्मा (नरकटियागंज), पूर्व विधान पार्षद तानेश्वर आजाद के पुत्र नागेंद्र विकल (रोसड़ा), कीर्ति झा आजाद के रिश्तेदार मिथिलेश चौधरी (बेनीपुर )और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार के भतीजे राकेश उर्फ पप्पू (लालगंज) भी टिकट लेने के बाद भी चुनाव हार गए। 10 नेताओं में जिस एक नेता ने पिछली जीत इस बार भी बरकरार रखी वे हैं पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के पुत्र राजेश कुमार। राजेश कुमार कुटुंबा से विधायक थे और इस बार भी वे अपनी सीट सुरक्षित रखने में सफल रहे हैं।