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Bihar Chunav Result 2020: जनता के मुद्दों की तरजीह में NDA भारी, रोजगार को लेकर महागठबंधन का माहौल नहीं जमा सका रंग

Bihar Vidhan Sabha Chunav Result 2020 रोजगार को लेकर महागठबंधन की ओर से बनाया गया माहौल इस चुनाव में नहीं टिका। एनडीए को मिले बहुमत ने जनता के मिजाज के साथ यह भी जता दिया कि बिहार विकास की जिस रफ्तार के साथ चल रहा है वह भरोसा बरकरार है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 05:56 PM (IST)
Bihar Chunav Result 2020: जनता के मुद्दों की तरजीह में NDA भारी, रोजगार को लेकर महागठबंधन का माहौल नहीं जमा सका रंग
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजद नेता तेजस्वी यादव। जागरण आर्काइव।

अश्विनी, पटना। हम बिहार को कहां से निकालकर आगे लाए हैं... नीतीश कुमार का बार-बार याद दिलाना। बिहार की 'आकांक्षा' अब सड़क नहीं, मेट्रो है..., प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोगों को अहसास कराना। यह फैक्टर इतना भारी पड़ा कि रोजगार को लेकर महागठबंधन की ओर से बनाया गया माहौल टिक नहीं सका। एनडीए को मिले बहुमत ने जनता के मिजाज के साथ यह भी जता दिया कि बिहार विकास की जिस रफ्तार के साथ चल रहा है, वह भरोसा बरकरार है। नीतीश के चेहरे को लेकर मैदान में उतरी एनडीए पर जनता ने भरोसा किया। 

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सत्ता की कुंजी के लिए 'चौतरफा' समर्थन से दूर

राजद की चुनावी सभाओं में उछलते मुद्दों ने भीड़ की शक्ल में माहौल जरूर बनाया, पर सत्ता की कुंजी के लिए 'चौतरफा' समर्थन से दूर। एनडीए के मुद्दों में निरंतर विकास और सुशासन शामिल था तो महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद के पास रोजगार। युवा इससे आकर्षित भी दिख रहे थे, लेकिन यह हर तबके को प्रभावित करने में विफल रहा। लेकिन तेजस्वी बतौर नेता यहां की राजनीति में स्थापित हो गए हैं, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। 

बिहार में टूटते दिखे जातीय समीकरण

इस चुनाव में जनता ने मुद्दों को तरजीह दी और इसमें एनडीए का पलड़ा भारी रहा। जातीय समीकरण भी टूटते दिखे। शराबबंदी एक बड़ा फैक्टर रहा, जिसने खास तौर से महिलाओं को उनके पक्ष में किया। राजनीति में सामाजिक धारा ढूंढने की नीतीश की कोशिशें काम आती दिखीं। लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन की बात वे बार-बार करते रहे। परिणाम यह बता रहा है कि महिलाएं जिस तरह दूसरे और तीसरे चरण में वोट देने निकलीं, वह कहीं-न-कहीं एनडीए की झोली में जाती दिखीं। 

तेजस्वी के रोजगार पर नीतीश ने उठाया सवाल

तेजस्वी ने दस लाख रोजगार की बात कही, जिस पर नीतीश ने सवाल भी उठाए कि यह कहां से आएगा? वे भी रोजगार के पक्षधर हैं, पर इसके लिए रास्ता बना रहे कि किस तरह हर किसी को यहीं काम मिले। यह बात असर करती दिखी और रोजगार बनाम हकीकत भी चर्चा में आ गई। कहीं-न-कहीं इसका भी लाभ एनडीए को मिलता दिख रहा है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा चुनावी माहौल को बदलने में कारगर सिद्ध होती दिखी। उन्होंने जंगलराज का युवराज कहकर राजद के पंद्रह वर्षों के कार्यकाल की याद दिलाई।

पीएम की भाषण में बिहार की आकांक्षा का पंच

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बिहार की आकांक्षा का पंच दिया। यानी, लोगों की अपेक्षा इसलिए बढ़ी है, क्योंकि एनडीए ने विकास के रास्ते राज्य को इस स्तर तक पहुंचाया है। इन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए जरूरी है कि निरंतरता बनी रहे। वह एनडीए के शासन में ही हो सकता है। मोदी का यह भाषण भारी पड़ गया। सीन यहीं से बदलना शुरू हुआ। दूसरी ओर नीतीश कुमार का अंतिम चुनावी भाषण-यह मेरा अंतिम चुनाव है। रिटायरमेंट से लेकर थके-हारे, बूढ़े जैसी बातें उठनी शुरू हुईं तो कहीं-न-कहीं एक भावनात्मक माहौल उनके पक्ष में जाता दिखा। उन्होंने यहां न सिर्फ बढ़त बनाई, बल्कि माहौल को अपने पक्ष में करने में भी कामयाब हुए। 


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