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Bihar Chunav Counting 2020: औपचारिक उपस्थिति से आगे नहीं बढ़ पाई उपेंद्र कुशवाहा और पप्पू यादव की पार्टी

रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ग्रैंड यूनाइटेड सेक्यूलर फ्रंट बनाकर सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन मतगणना के शुरुआती रुझान में इस गठबंधन का एक भी उम्मीदवार सीधे मुकाबले में नहीं दिख रहा है। यही हाल पप्पू यादव का है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 01:52 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 03:53 PM (IST)
Bihar Chunav Counting 2020: औपचारिक उपस्थिति से आगे नहीं बढ़ पाई उपेंद्र कुशवाहा और पप्पू यादव की पार्टी
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और जाप अध्यक्ष पप्पू यादव। जागरण आर्काइव।

पटना, जेएनएन। बिहार चुनाव में पहली बार नये-नये गठबंधन बनाकर राजग और महागठबंधन को चुनौती देने वाले क्षत्रपों को जनता ने गर्दिश में पहुुंचा दिया है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ग्रैंड यूनाइटेड सेक्यूलर फ्रंट बनाकर सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन मतगणना के शुरुआती रुझान में इस गठबंधन का एक भी उम्मीदवार सीधे मुकाबले में नहीं दिख रहा है। इसी तरह जन अधिकार पार्टी (जाप) के प्रमुख पप्पू यादव प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक एलांयस बनाकर चुनावी रण में उतरे थे, लेकिन इनका गठबंधन भी केवल औपचारिक रूप से ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराता दिख रहा है। खुद पप्पू यादव मधेपुरा सीट पर पिछड़ गए हैं। 

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अभी तक के मतगणना के रुझान से साफ है कि मगध, शाहाबाद, मिथिलांचल, कोसी और सीमांचल इलाके में उपेंद्र कुशवाहा और पप्पू यादव के गठबंधनों के उम्मीदवारों को बढ़त बनाने में कोई सफलता नहीं मिली है। जबकि कुशवाहा को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआइएमआइएम से सीमांचल और कोसी इलाके में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। कुशवाहा ने ओवैसी की पार्टी के अलावा बसपा, समाजवादी जनता दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के साथ गठबंधन बनाया था। मतगणना के रुझान से साफ है कि कुशवाहा का गठबंधन कभी सीधे मुकाबले में कहीं नहीं है। 

कोसी व सीमांचल में नहीं दिख रहा पप्पू यादव का प्रभाव

माना जा रहा था कि अपने प्रभाव वाले कोसी और सीमांचल में पप्पू यादव का असर दिखेगा, लेकिन मतगणना के रुझान से ऐसा कोई प्रभाव नहीं दिख रहा। मधेपुरा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे जन अधिकार पार्टी के उम्मीदवार पप्पू यादव मतगणना के शुरूआती दौर में ही पिछड़ गए हैं। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, बीएमपी एवं सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआइ) के साथ गठबंधन की नींव रखी है और प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन, पप्पू यादव एक भी उम्मीदवार को बढ़त नहीं दिला सके।  


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