Bihar Chunav 2020: दिग्गजों की सियासत में भारी पड़ने लगी नई पीढ़ी, बिहार की राजनीति में युवाओं का बढ़ेगा दबदबा
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पूरे चुनाव अभियान में अनुभव बनाम अनुभवहीन की बहस के बीच हकीकत तो यही है कि महागठबंधन के चुनाव प्रचार का पूरा भार अकेले तेजस्वी के कंधे पर ही रहा। तेजस्वी के चुनाव प्रचार में ऐसा नहीं लगा कि वो नये नेता हैं।
पटना [ दीनानाथ साहनी ]। Bihar Chunav 2020 बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव से लेकर चिराग पासवान सरीखे युवा चेहरों के उभार से साफ हो गया है कि बिहार में दिग्गजों की सियासत में अब नई पीढ़ी का दबदबा बढऩे लगा है। राजनीतिक प्रेक्षकों का भी यही मानना है कि इस बार चुनाव में जहां नेताओं की युवा पीढ़ी खुद को स्थापित करने के लिए जोर लगा रही है, वहीं उनके पास मुद्दों की कमी नहीं है और भीड़ को एकत्र करने की क्षमता भी है। देखा जाए तो नए चेहरों ने राजनीति की बागडोर थाम ली है और चुनौतियों को स्वीकार करना सीख लिया है।
चुनाव प्रचार का पूरा भार अकेले तेजस्वी के कंधे पर रहा
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पूरे चुनाव अभियान में अनुभव बनाम अनुभवहीन की बहस के बीच हकीकत तो यही है कि महागठबंधन के चुनाव प्रचार का पूरा भार अकेले तेजस्वी के कंधे पर ही रहा। तेजस्वी के चुनाव प्रचार में ऐसा नहीं लगा कि वो नये नेता हैं। इसी तरह लोजपा को अकेले मैदान में लेकर उतरे चिराग अपनी पार्टी को चाहे जितनी सीटें दिला पाएं मगर अगली पीढ़ी के चेहरों में अपना नाम जरूर शामिल करा लिया है। हालांकि दोनों के समक्ष खुद को बतौर नेता स्थापित करने की बड़ी चुनौती है। विभिन्न दलों में ऐसे और कई युवा चेहरे हैं जो राजनीति में उतर चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्ििवजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह, पूर्व मंत्री व राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह और आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद जैसे युवा चेहरों की राजनीति में दस्तक हो चुकी है।
युवाओं को मिले राजनीति में मौका
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि युवाओं का राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना इस बात का शुभ संकेत है कि उनमें राजनीति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। लंबी पारी खेल चुके नेताओं का चाहिए कि युवा चेहरों को राजनीति में आगे लेकर आएं। हालांकि बिहार इसमें आगे है। जिन नेताओं ने युवाओं को आगे किया है उन युवाओं ने निराश नहीं किया। माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार के मुताबिक छोटे-से-छोटे कार्यकर्ताओं के सेवा और समर्पण भाव को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे कार्यकर्ताओं को आगे बढऩे का मौका मिलता है।