Move to Jagran APP

Bihar Chunav 2020: जनादेश पर दिखने लगी आधी आबादी की मुहर, महिलाओं की अहम हिस्सेदारी

Bihar Chunav 2020 बिहार के चुनावों में खासकर विधानसभा चुनावों में मतदाताओं का ध्रुवीकरण जाति आधारित होता है। लेकिन नीतीश कुमार द्वारा महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियों ने उन्हें सशक्त किया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 03:36 PM (IST)
Bihar Chunav 2020: जनादेश पर दिखने लगी आधी आबादी की मुहर, महिलाओं की अहम हिस्सेदारी
बिहार चुनावों के दौरान एक मतदान केंद्र पर मतदान के लिए कतार में अपनी बारी की प्रतीक्षा करतीं महिलाएं। फाइल

अभिजीत। बिहार विधानसभा चुनाव में जनादेश एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में आया है। कल नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में सातवीं बार शपथ ग्रहण भी कर लिया। चुनाव परिणाम को लेकर कई तरह के विश्लेषण भी आ रहे हैं। उन विश्लेषणों को देखें तो एक बात लगभग सभी विश्लेषकों ने कही है कि इस परिणाम में परंपरागत रूप से बिहार के चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाले जाति के जोड़-तोड़ का योगदान तो है ही, साथ ही जातिगत आधार पर कुछ नए समीकरण भी इस बार के चुनाव में बने हैं और परिणाम में प्रदर्शित भी हुए हैं। परंतु एक बात जिस ओर बहुत से समीक्षकों का ध्यान उतना नहीं जा रहा है, वह है बिहार में महिलाओं की राजनीतिक रूप से सक्रियता का बढ़ना और उनके मतों का एकीकरण होना। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत में अनेक कारणों के साथ यह भी एक महत्वपूर्ण कारण रहा है। और शायद यही कारण है कि राजग के एक प्रमुख घटक भाजपा ने इसे समझते हुए उपमुख्यमंत्री का पद एक महिला को भी दिया है।

loksabha election banner

हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव में महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने इस चुनाव में शांत मतदाता की भूमिका निभाई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि करीब डेढ़ दशकों के शासन के कारण नीतीश कुमार के खिलाफ जो सत्ता विरोधी लहर इस बार थी, उसको बेअसर कर सत्ता में वापस लाने में मोदी और महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

महिलाओं की अहम हिस्सेदारी : मत प्रतिशत को देखते हुए इस चुनाव की बात करें तो महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जहां 54.7 फीसद पुरुषों ने मतदान किया, वहीं 59.9 फीसद महिलाओं ने मतदान किया है। महिलाओं की इस भागीदारी ने राजग के पक्ष में चुनाव के परिणाम को करने में कितनी बड़ी भूमिका निभाई, इसे समझने के लिए इस मतदान को और विस्तार से देखें तो हरेक चरण में महिलाओं के मतदान का प्रतिशत और राजग के सीटों की संख्या से इसके प्रभाव को आसानी से समझा जा सकता है।

पहले चरण के मतदान में महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों से कम रही, इस चरण में सिर्फ 54.4 फीसद महिलाओं ने मतदान किया, वहीं पुरुषों का मतदान 56.8 फीसद रहा। इस चरण में नतीजे को देखें तो साफ दिखता है कि इसमें राजग नुकसान में रही है। वहीं दूसरे चरण के मतदान की बात करें तो इसमें महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में ज्यादा रही, इसमें 58.8 फीसद महिलाओं ने मतदान किया और 52.9 फीसद पुरुषों ने। इसका प्रभाव राजग के प्रदर्शन पर भी देखने को मिला और इस चरण में उसने अच्छी संख्या में सीटें जीती। तीसरे चरण में महिलाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा रही और 65.5 फीसद महिलाओं ने मतदान किया। इस चरण में राजग का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। स्पष्ट है कि राजग को महिलाओं की अधिक भागीदारी का सीधा लाभ मिला है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि महिलाओं ने मतदान में सक्रियता दिखाई है, बल्कि पिछले तीन चुनावों से यह देखने को मिला है। ऐसा 2010 में भी हुआ, जब मतदान केंद्रों पर महिलाओं की कतारें पहले से ज्यादा लंबी हुईं और राजग को वापस लाने में इसकी बड़ी भूमिका रही। इन परिणामों के आधार पर यह कह सकते हैं कि भाजपा और जदयू ने बिहार की महिलाओं को सामाजिक और आíथक रूप से मजबूत बनाया व महिलाओं ने भाजपा और जदयू को राजनीतिक रूप से। पिछले 15 वर्षो के कार्यकाल को देखें तो इसमें महिला केंद्रित कई योजनाएं राजग सरकार न सिर्फ लाई, बल्कि उनका क्रियान्वयन भी सही तरीके से हुआ है। अपने पहले कार्यकाल में ही सरकार ने बालिकाओं की समग्र शिक्षा के लिए कई कदम उठाए। बालिका पोशाक योजना और बालिका साइकिल योजना ने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की तस्वीर बदल दी। लड़कियों की स्कूल के पोशाक में साइकिल से स्कूल जाती अनेक तस्वीरों ने बदलते बिहार को लोगों के सामने ला खड़ा कर दिया। इस कारण से विद्यालयों में बालिकाओं की संख्या में वृद्धि हुई।

जीविका और स्वयं सहायता समूहों से मदद : महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सरकार ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को प्रोत्साहित किया और नौकरियों में भी महिलाओं को आरक्षण दिया गया। बिहार के सभी जिलों तक जीविका की पहुंच सुनिश्चित करते हुए उसके माध्यम से लाखों स्वयं सहायता समूह बनाए गए और आज एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं इसकी सदस्य हैं। जीविका ने जहां एक ओर महिलाओं को आíथक रूप से जागरूक और मजबूत किया और जीविकोपार्जन में उनकी भूमिका बढ़ाई, वहीं पंचायतों में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करके सरकार ने उनकी राजनीतिक भागीदारी को भी बढ़ावा दिया। हालांकि मुखियापति और सरपंचपति जैसे नए चलन को ध्यान में रखकर राजनीतिक सशक्तीकरण की वास्तविकता पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि आरक्षण ने महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पंचायत स्तर पर उनको बहुत से अधिकार दिए।

इस आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक संबल ने महिलाओं को सामाजिक रूप से भी सुदृढ़ किया, उन्होंने अपनी मांगों को खुल कर सामने रखा और सरकार ने भी उनको सुना, जिसका सबसे बड़ा उदहारण शराब बंदी का है, जिसमें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। शराब के कारण हो रहे घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिलाओं ने पूरे राज्य में आंदोलन किया। सरकार ने भी इसको गंभीरता से लिया और शराब को राज्य में पूरी तरह से बंद कर दिया। साथ ही सरकार ने दहेज प्रथा और बाल विवाह को लेकर भी कार्य करना शुरू किया। सरकार ने अपने सात निश्चय के माध्यम से भी महिला विरोधी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ने की कोशिश की। इन सबसे सरकार की एक अच्छी छवि महिलाओं में बनी।

जहां एक ओर राज्य में राजग सरकार ने महिलाओं के लिए कई कार्य किए, वहीं केंद्र सरकार की भी महिला केंद्रित योजनाओं ने राजग की स्वीकारित को और बढ़ाने का काम किया। आरंभ में ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना आई, जिसने लड़कियों की भ्रूण हत्या और शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाई। सुकन्या समृद्धि योजना भी महिलाओं की समृद्धि के लिए ही ठोस पहल रही। वर्ष 2016 में सरकार ने मातृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ने का कार्य किया और इसे न सिर्फ सरकारी क्षेत्र में, बल्कि निजी क्षेत्र में भी लागू किया गया। उसी तरह एक बड़ी समस्या महिलाओं के लिए जलावन की रहती है, जिसे उज्ज्वला योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने खत्म करने का प्रयास किया। इससे न सिर्फ उनके जलावन की समस्या का समाधान हुआ, बल्कि उनके स्वास्थ के लिए लाभप्रद रहा।

बिहार में पहले शौचालयों की संख्या बहुत कम थी, जिन घरों में शौचालय नहीं थे, वहां महिलाओं को शौच जाने के लिए अंधेरे होने का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन स्वच्छ भारत योजना के अंतर्गत राज्य में बड़ी संख्या में शौचालय का निर्माण हुआ है। शौचालय उन जरूरत में से रही है, जिस पर पहले की सरकारों ने ध्यान नहीं दिया था। स्वच्छ भारत योजना ने इस कमी को पूरा कर दिया। महिलाओं के लिए विकास का यह एक जीवंत उदहारण बन गया और न सिर्फ उनके सम्मान, बल्कि स्वास्थ्य की स्थिति को भी बेहतर किया। जन धन योजना में लाखों महिलाओं ने बैंक में पहली बार खाते खुलवाए और सरकार के कई लाभों को सीधे प्राप्त किया। इसी तरह मुद्रा योजना में भी महिलाओं की भागीदारी रही। कोरोना महामारी के दौरान भी केंद्र सरकार ने जन धन योजना के अंतर्गत जिस महिला के बैंक खाते थे, उनमें पैसे भेजे। सेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन का प्रावधान भी सरकार ने किया। इन सबके साथ सरकार में भी महिला मंत्रियों ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।

[शोधार्थी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.