बिहार चुनाव 2020: मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की किस्मत लिखेगी आखिरी लड़ाई, एक घोषणा से मुकाबला दिलचस्प
आखिरी लड़ाई बिहार में मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों की किस्मत लिखेगी। जमीनी पड़ताल बताती है कि पूर्वोत्तर की लड़ाई त्रिकोण में फंसी है पर एनडीए के मुख्यमंत्री उम्मीदवार नीतीश कुमार ने अपना अंतिम चुनाव घोषित कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
पटना, जेएनएन। सत्रहवीं विधानसभा चुनाव की आखिरी लड़ाई सही मायने में बिहार में मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों की किस्मत लिखेगी। हालांकि जमीनी पड़ताल बताती है कि पूर्वोत्तर की जंग त्रिकोण में फंसी है, पर एनडीए के मुख्यमंत्री उम्मीदवार नीतीश कुमार ने अपना अंतिम चुनाव घोषित कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। तिरहुत, मिथिलांचल, कोसी और सीमांचल में छिड़ी अंतिम लड़ाई चार मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में उलझी है। सीएम पद के दूसरे मजबूत उम्मीदवार महागठबंधन से तेजस्वी यादव हैं।
मुकाबला हो गया रोचक
सीमांचल के लिहाज से तीसरे दावेदार हैं रालोसपा प्रमुख व उपेंद्र कुशवाहा और चौथे हैं प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव। ऐसे में मुकाबला वाकई रोचक हो गया है। कुशवाहा को ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) से ओबैसी के बूते सीमांचल में बड़ी उम्मीद है तो पप्पू यादव को कोसी में गृह क्षेत्र के मतदाताओं पर भरोसा। अब देखना यह है कि मतदाता किसकी मनुहार को कितना तवज्जो देते हैं। कहना मुश्किल है कि सब के सब मुगालते में हैं या सशक्त स्थिति में। यह सच है कि कोई रण जीतेगा, कोई रणनीति को प्रभावित करेगा। कोई लड़ाई को त्रिकोण बनाएगा तो कोई मजबूत वोटकटवा कहलाएगा।
ओवैसी के बूते कुशवाहा को बड़ी उम्मीद
कोसी यानी सहरसा, मधेपुरा, सुपौल एवं सीमांचल के पूर्णिया जिले में जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो पप्पू यादव का प्रभाव समझा जाता है। पप्पू इस इलाके में पीडीए के झंडाबरदार हैं। एमआइएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी के बूते कुशवाहा को भी बड़ी उम्मीद है। सीमांचल के 18 सीटों पर प्रत्याशी उतार कर ओबैसी ने एनडीए और महागठबंधन की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। हालांकि, सीमांचल के रण में वे क्या हैसियत पाएंगे? यह समय की गर्भ में है। अब बात बिहार चुनाव के मुख्य लड़ाई की। अंतिम लड़ाई भी एनडीए और महागठबंधन के इर्द-गिर्द होने की उम्मीद है।
प्रवासी कामकारों का सर्वाधिक प्रभाव
तीसरे चरण की 78 सीटों पर अल्पसंख्यक, महिला और प्रवासी मतदाताओं का सर्वाधिक प्रभाव है। सीमांचल की कई सीटों पर 40 से 60 फीसद तक अल्पसंख्यक वोटर हैं। प्रवासी कामगारों के मामले में भी कोसी और सीमांचल का इलाका अव्वल है। इस बार बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार इन इलाकों में लौटकर आए हैं।
जदयू को सर्वाधिक उम्मीद
आखिरी लड़ाई की 78 सीटों में सबसे अधिक 23 सीटें जदयू के पास हैं। राजद को इस इलाके से 20 जबकि कांग्रेस को 11 सीटें हैं। भाजपा ने 20 सीटें जीती थीं। इसके अलावा निर्दलीय ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि भाकपा माले व रालोसपा के हिस्से एक-एक सीट आई थी। इस बार जदयू-भाजपा साथ हैं। ऐसे में तीसरे चरण में एनडीए और महागठबंधन दोनों की ही परीक्षा होगी।