Move to Jagran APP

बिहार चुनाव 2020: बिहार ने फिर जताया नीतीश पर भरोसा, 75 सीटों के साथ तेजस्वी का राजद सबसे बड़ा दल

Bihar Chunav Result 2020 बिहार में अबकी लड़ाई बड़ी और कड़ी थी मगर कांटे की टक्कर में जीत आखिरकार राजग की हुई। नतीजों के मुताबिक नीतीश कुमार फिर से मुख्‍यमंत्री होंगे। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव दोबारा विपक्ष में बैठने की उम्‍मीद अधिक दिख रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 12:02 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 08:26 AM (IST)
बिहार चुनाव 2020: बिहार ने फिर जताया नीतीश पर भरोसा, 75 सीटों के साथ तेजस्वी का राजद सबसे बड़ा दल
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजद नेता तेजस्वी यादव। जागरण आर्काइव।

अरविंद शर्मा, पटना। बिहार ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर ही भरोसा जताया है। अबकी लड़ाई बड़ी और कड़ी थी, मगर कांटे की टक्कर में जीत आखिरकार राजग की हुई। जनादेश ने फिर सत्यापित कर दिया कि आम आवाम में विकास की ललक अभी कमजोर नहीं पड़ी है। प्रदेश के साढ़े सात करोड़ मतदाताओं ने लगातार चौथी बार भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही भरोसा जताया और राजग की झोली में विधानसभा की 243 में से 125 सीटें डाल दीं। इससे यह भी साबित हो गया कि बहुमत के दिल में राजग के प्रति भरोसा अभी कायम है और झंझावात में भी नीतीश कुमार के विकास फार्मूले में खरोंच तक नहीं आई। यह भी कि 15 वर्ष पहले प्रदेश की तरक्की के लिए बना रोडमैप अभी भी पूरी तरह प्रासंगिक है। 

loksabha election banner

संसदीय चुनाव का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाया एनडीए

संसदीय चुनाव के महज डेढ़ वर्ष बाद भाजपा-जदयू की लगातार और शानदार जीत से महागठबंधन को जरूर सदमा लगा होगा, क्योंकि तीन दिन पहले एक्जिट पोल के अनुमान के सहारे सत्ता में वापसी के उनके अरमान पर पानी फिर गया है। तेजस्वी यादव के दस लाख नौकरियों, पुरानी पेंशन योजना और समान काम के बदले समान वेतन के वादे पर बहुमत ने यकीन नहीं किया और नीतीश कुमार के वादों-इरादों के साथ वास्तविक धरातल पर ही खड़ा रहा।

विधानसभा की स्थिति 

कुल सीटें : 243 

बहुमत के लिए चाहिए : 122 

किसके पास कितनी सीटें 

भाजपा : 74

जदयू : 43

हम : 4

वीआइपी : 4

कुल : 125

महागठबंधन 

राजद : 75

कांग्रेस : 19

भाकपा : 2

माकपा : 2

माले : 12

कुल : 110

अन्य : 8

किसके कितने प्रत्याशी 

महागठबंधन 

राजद : 144

कांग्रेस : 70

भाकपा : 06

माकपा : 04

माले : 19

राजग

जदयू : 115

भाजपा : 110

वीआइपी : 11 

हम : 07 

राजद के सामने लोजपा का अवरोध

राजग के रास्ते में लोजपा का अवरोध अगर नहीं आता तो जीत का फासला बड़ा हो सकता था। राजग की सीटों की संख्या बढ़ सकती थी। लोजपा के अड़ंगे के बावजूद राजग के दोनों बड़े दलों के शीर्ष नेतृत्व ने सूझबूझ से तालमेल बनाए रखकर कार्यकर्ताओं को उलझन में पडऩे से बचाया और जीत का मार्ग प्रशस्त किया। प्रचार अभियान की शुरुआत में कुछ भ्रम के हालात जरूर बने थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सघन और साझा प्रचार के जरिए एकजुटता का संदेश नीचे तक पहुंचाया, जिसका फायदा आखिर के दो चरणों में दोनों दलों के प्रत्याशियों को मिला। राजग को सबसे ज्यादा सीटें दूसरे और तीसरे चरण के इलाके में ही मिली हैं। पहले चरण में महागठबंधन को बढ़त थी। 

कई धारणाओं को साबित किया गलत

कोरोना के खतरों के बीच देश में पहली बार हो रहे बिहार के इस आम चुनाव ने कई तरह की धारणाओं को भी गलत साबित किया। विधानसभा के पिछले दो आम चुनावों की तुलना में इस बार ज्यादा मतदान हुआ। शहरों और गांवों के बूथों पर भी लंबी-लंबी कतारें देखी गईं। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया, जिससे राजग को बढ़त मिली। 

राजग में भाजपा और महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी

राजग में भाजपा को सबसे ज्यादा 74 सीटें मिली हैं, जबकि महागठबंधन में नेतृत्व की कमान राजद के पास है। उसे 75 सीटें मिली हैं। जदयू की झोली में 43 सीटें आई हैं। कांग्रेस 19 सीटें लाकर अपने चौथे स्थान को बरकरार रखे है। माले आश्चर्यजनक तरीके से 12 पर पहुंच गया है। पिछली बार उसे महज तीन सीटें ही मिली थीं। असदुद्दीन ओवैसी ने भी चौंकाया है। एआइएममआइएम को पहली बार बिहार में पांच सीटें मिली हैं। पिछले उपचुनाव में उसने एक सीट लाकर खाता खोला था। 

जीत के पांच फैक्टर

1. राजग की जीत की बड़ी वजह नीतीश कुमार का चेहरा रहा। लोजपा के पैतरे के बावजूद भाजपा नेतृत्व ने साफ कर दिया था कि सीटों की संख्या कोई मसला नहीं होगा। भाजपा को ज्यादा सीटें आने पर भी मुख्यमंत्री नीतीश ही बनेंगे। 

2. नीतीश कुमार का विकास मॉडल। युवाओं और महिलाओं का भरोसा अभी भी नीतीश कुमार के साथ है। जीविका दीदी, आशा कार्यकर्ता एवं विकास मित्र के रूप में राजग सरकार ने गांव-गांव में बड़ा नेटवर्क बना लिया है। 

3. प्रतिद्वंद्वी का कमजोर पक्ष। जीत के लिए अपनी मजबूती के साथ-साथ दुश्मन की कमजोरी भी जरूरी है। महागठबंधन में सीटों का बंटवारा सही नहीं हुआ। कांग्रेस को हैसियत से ज्यादा सीटें दी गईं। पिछली बार 41 मिली थी। अबकी 70  मिल गईं।  

4. लालू के वोट बैंक का ज्यादा मुखर हो जाना। दस लाख नौकरियों के वादे में आकर्षण था, लेकिन राजद के कोर वोटर जिस तरह से मुखर होने लगे, उससे अति पिछड़ी और सवर्ण जातियों में खौफ हो गया। लिहाजा दूसरी तरफ भी तेज गोलबंदी हुई। 

5. आग में घी का काम किया तेजस्वी यादव का डेहरी में दिया गया भाषण, जिसमें उन्होंने लालू राज की याद दिलाई और समर्थकों को समझाने की कोशिश की कि बाबू साहबों के सामने गरीब लोग सीना तानकर चलते थे। इससे भी सवर्ण भड़के। 

दिग्गज हुए ढेर 

मंत्री जो हारे-रामसेवक सिंह, लक्ष्मेश्वर राय, खुर्शीद अहमद, संतोष निराला, सुरेश शर्मा, जयकुमार सिंह, शैलेश कुमार, ब्रज किशोर बिंद,  

अन्य - अब्दुल बारी सिद्दीकी, उदय नारायण चौधरी, चंद्रिका राय, मुकेश सहनी

जीते 

स्पीकर विजय कुमार चौधरी, जीतनराम मांझी, प्रेम कुमार, विजय कुमार सिन्हा, प्रमोद कुमार, श्रेयसी सिंह, निशा सिंह, मीणा कामत। राजद के तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.