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Bihar: 5 वर्षों में बिहार बोर्ड बना देश का नंबर 1 शिक्षा बोर्ड, मूल्यांकन के मात्र 26 दिनों में रिजल्ट जारी

Bihar Number 1 Education Board BSEB ने लगातार पांचवें वर्ष देश में सबसे पहले इंटर का परीक्षा परिणाम जारी कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। सीबीएसई की अभी बारहवीं की परीक्षा ही आयोजित की जा रही है। बिहार बोर्ड ने पांच वर्ष पहले सर्वश्रेष्ठ बोर्ड बनने का संकल्प लिया था।

By Jitendra KumarEdited By: Ashish PandeyPublished: Fri, 31 Mar 2023 01:34 PM (IST)Updated: Fri, 31 Mar 2023 01:34 PM (IST)
Bihar: 5 वर्षों में बिहार बोर्ड बना देश का नंबर 1 शिक्षा बोर्ड, मूल्यांकन के मात्र 26 दिनों में रिजल्ट जारी
5 वर्षों में बिहार बोर्ड बना देश का नंबर वन बोर्ड, मात्र 26 दिनों में इंटर का परीक्षा परिणाम जारी।

नीरज कुमार, पटना:  बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने लगातार पांचवें वर्ष देश में सबसे पहले इंटर की परीक्षा आयोजित कर और परिणाम जारी कर एक नया रिकार्ड बनाया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से अभी बारहवीं की परीक्षा ही आयोजित की जा रही है। बिहार बोर्ड ने पांच वर्ष पहले देश का सर्वश्रेष्ठ बोर्ड बनने का संकल्प लिया था। उसके तहत पूरी परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने को प्राथमिकता दी गई।

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समय पर परीक्षा का आयोजन एवं समय पर परिणाम की घोषणा बिहार बोर्ड का संकल्प सूत्र बना। इसके लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सबसे पहले नई तकनीक अपनाने का निर्णय लिया। साथ ही बोर्ड का संकल्प है कि हर साल इंटर एवं मैट्रिक की परीक्षा किसी भी स्थिति में फरवरी में आयोजित की जाएगी एवं उसका परिणाम मार्च में जारी कर दिया जाएगा।

जो परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में किसी कारण से शामिल नहीं हो पाते हैं, तो उनके लिए दो माह बाद विशेष परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। उसमें छूट हुए छात्रों के साथ कंपार्टमेंटल परीक्षा के छात्र भी शामिल हो सकते हैं। उसका भी परिणाम मई में जारी कर दिया जाएगा। बोर्ड की कोशिश है कि इंटर के परीक्षार्थियों में प्रतियोगी भावना विकसित किया जाए, ताकि वे किसी भी प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

बोर्ड का नया सॉफ्टवेयर बना वरदान

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर का कहना है कि बोर्ड द्वारा तैयार नए सॉफ्टवेयर का लाभ अब इंटर एवं मैट्रिक के छात्र-छात्राओं को मिलने लगा है। कम समय में परिणाम तैयार करने में बोर्ड का यह नया सॉफ्टवेयर काफी कारगर साबित हो रहा है। इंटर के परिणाम की इसी नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रोसेसिंग की गई। बिहार बोर्ड के पूर्व के सॉफ्टवेयर की तुलना में ये नया सॉफ्टवेयर 16 गुना अधिक क्षमता से काम कर रहा है।

इस नए सॉफ्टवेयर को बिहार बोर्ड ने स्वयं तैयार किया है और यह बोर्ड के लिए वरदान साबित हो रहा है। बोर्ड की ओर से इस वर्ष मूल्यांकन केंद्रों पर ही कॉपी जांच के उपरांत अंकों को फीड करने की व्यवस्था की गई थी। कॉपियों के मूल्यांकन के उपरांत कंप्यूटर के माध्यम से अंकों को अपलोड कर दिया गया। इससे परीक्षा का परिणाम तैयार करने में काफी सुविधा हुई। इस वर्ष बोर्ड की ओर से हर मूल्यांकन केंद्र पर ही अंकों को अपलोड करने की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए विशेष रूप से बोर्ड ने कंप्यूटर एवं ऑपरेटर की व्यवस्था की थी। जैसे-जैसे कॉपी की जांच होती जा रही थी, अंकों को भी अपलोड कर दिया गया। इससे परिणाम तैयार करने में काफी तेजी आई।

मूल्यांकन के मात्र 26 दिनों में जारी हुआ रिजल्ट

बिहार बोर्ड ने कॉपियों के मूल्यांकन के मात्र 26 दिनों के अंदर इंटर का रिजल्ट जारी कर दिया।  इस वर्ष बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित इंटर की परीक्षा में 13,04,586 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इन परीक्षार्थियों की कुल 68 लाख कॉपी एवं 68 लाख ओएमआर शीट की जांच करने की चुनौती बिहार बोर्ड के समक्ष थी। बोर्ड ने इस चुनौती को गंभीरता से लेते हुए मूल्यांकन कार्य सही समय पर पूरा कर लिया।

बोर्ड ने परीक्षा प्रणाली में सुधार करते हुए 50 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर ओएमआर शीट के माध्यम से लिया। ओएमआर शीट जांच करने में बहुत कम समय लगा और इससे बोर्ड का आधा काम हल्का हो गया। 68 लाख ओएमआर शीट की जांच महज कुछ घंटों में हो गई। उसके बाद 68 लाख कॉपियों की जांच परीक्षकों से कराई गई। बोर्ड ने कॉपी जांच के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की व्यवस्था पहले से ही की थी। शिक्षकों ने भी कॉपियों की जांच में काफी गंभीरता दिखाई और यह काम समय पर पूरा कर लिया गया।

100 प्रतिशत विकल्प का मिला परीक्षार्थियों को लाभ

बिहार बोर्ड द्वारा इंटर के परीक्षार्थियों के लिए प्रश्नों के 100 प्रतिशत विकल्प देने की व्यवस्था की गई थी। प्रश्न चाहे वस्तुनिष्ठ हो या विषयनिष्ठ। दोनों तरह के प्रश्नों के लिए विकल्प की व्यवस्था की गई थी। उसी का नतीजा रहा है कि पिछले वर्ष से इस वर्ष रिजल्ट में 3.55 प्रतिशत सुधार हुआ है। बोर्ड को उम्मीद है कि अगले वर्ष इसमें और सुधार होगा। इससे टॉपरों की रैंक में भी काफी सुधार हुआ।

ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था

बोर्ड की ओर से स्कूलों में ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से की जाती है। इससे बोर्ड को सबसे बड़ा लाभ मिलता है कि नामांकन के समय ही अधिकांश डाटा मिल जाता है। उसी समय से बोर्ड अपनी तैयारी में जुट जाता है। नामांकित छात्र ही सबसे पहले पंजीयन कराते हैं। उसके बाद परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति दी जाती है। इस पर भी बोर्ड की नजर रहती है। बोर्ड छात्रों की संख्या के अनुसार अपने डाटा को भी अपडेट करता रहता है।

नेपाल एवं छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधिमंडल ने देखी कार्यप्रणाली

बिहार बोर्ड की कार्यप्रणाली को देखने के लिए हाल ही में पड़ोसी देश नेपाल का एक प्रतिनिधिमंडल आया था। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी बोर्ड कार्यालय पहुंचकर परीक्षा में किए गए सुधारों का अध्ययन किया। परीक्षा प्रणाली में सुधार को लेकर बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर को केंद्र सरकार भी सम्मानित कर चुकी है।

एक लाख से अधिक विद्यार्थी CBSE स्कूलों से आए

सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों से दसवीं की परीक्षा पास करने वाले एक लाख से अधिक विद्यार्थी बिहार बोर्ड से इंटर की परीक्षा दिए हैं। वर्ष 2022 की परीक्षा में केवल सीबीएसई से 95,204 के परीक्षार्थी इंटर की परीक्षा में शामिल हुए हैं। इसके अलावा 18 हजार से अधिक विद्यार्थी आइसीएसई बोर्ड के हैं। कई विद्यार्थी राज्य बोर्डों से भी आकर बिहार बोर्ड के स्कूलों से इंटर कर रहे हैं।

इसकी मुख्य वजह बोर्ड द्वारा प्रश्नों के पैटर्न में किए गए व्यापक बदलाव को माना जा रहा है। वर्ष 2018 में 47,421 सीबीएसई के विद्यार्थी बिहार बोर्ड से इंटर की परीक्षा में शामिल होने आए थे, लेकिन हर वर्ष इसमें लगातार वृद्धि होती जा रही है।


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