कई मायनों में खास होगा इस बार का विधानसभा चुनाव
चुनाव आयोग की बैठक के बाद इंतजार की घड़ियां आज खत्म हुईं। बिहार विधानसभा की चुनाव की तिथियों की घोषणा के साथ ही चुनावी रणभेरी बज गयी। इस बार का विधान सभा चुनाव कई मायनों में खास होगा। साथ ही इसमें कई तरह के रंग उभरकर सामने आए हैं।
पटना [ काजल]। चुनाव आयोग की बैठक के बाद इंतजार की घड़ियां आज खत्म हुईं । बिहार विधानसभा के चुनाव की तिथियों की घोषणा के साथ ही चुनावी रणभेरी बज गयी। इस बार का विधान सभा चुनाव कई मायनों में खास होगा। साथ ही इसमें कई तरह के रंग उभरकर सामने आए हैं।
आगामी विधानसभा चुनाव में पहली बार राजद, जदयू व कांग्रेस एक प्लेटफॉर्म पर दिख रहे हैं। कांग्रेस के खिलाफ पनपे व बढ़े समाजवादी दलों की कांग्रेस की इस दोस्ती को विपक्षी एनडीए सहित अन्य दल स्वार्थ को गठजोड़ करार दे रहे हैं।
इस चुनाव में जो दुश्मन थे वे आज दोस्त बन गए हैं तो जो दोस्त थे वे आज दुश्मनी निभाने के लिए तैयार हैं। जदयू के साथ गठजोड़ कर बिहार में दो विधानसभा चुनाव लड़ चुकी भाजपा आज उसकी दुश्मन है तो कांग्रेस व राजद की खिलाफत करने वाले नीतीश दोनों के साथ हैं।
इस चुनाव में एक बात और गौर करने लायक है कि इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। दोनों नेताओं की टकराहट जग-जाहिर है।
चुनाव का एलान भले में ही आज हुआ हो, बिहार चुनावी मोड में पहले से ही आ चुका है। चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले ही प्रधानमंत्री की चार रैलियां हो चुकी है। महागठबंधन के मंच पर भी सोनिया सहित कई बड़े नेता आ चुके हैं।
इस चुनाव में पहली बार बड़े पैमाने पर प्रचार के हाइटेक तरीके अपनाए गए हैं। बड़े-बड़े होर्डिंग्स व बैनर अपनी जगह कायम हैं, लेकिन नेता अब फेसबुक व ट्विटर पर जनसंपर्क कर रहे हैं।
बिहार में यह पहला चुनाव है, जिसमें भाषा की गरिमा का ख्याल किसी भी दल को नहीं दिख रहा। मंडल- कमंडल, विशेष राज्य का दर्जा ,विशेष पैकेज के साथ ही डीएनए को मुद्दा बनाकर लोगों को प्रभावित करने, वोटरों का दिल जीतने की कोशिश की जा रही है। इनमें अभी और तेजी आने की उम्मीद है।