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Bihar Election: अब नारों से गरमाती दिख रही बिहार की सियासत, कोशिश यह कि वोटर के दिल में उतर जाए बात

Bihar Assembly Election आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की बिसात पर सियासी नारों से गरमाहट आती दिख रही हैा राजनीतिक दलों की कोशिश यह है कि ये नारे वोटरों के दिलों में उतरकर सीधे वोट में तब्‍दील हो जाएं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 02:30 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 02:30 PM (IST)
Bihar Election: अब नारों से गरमाती दिख रही बिहार की सियासत, कोशिश यह कि वोटर के दिल  में उतर जाए बात
मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव। बिहार चुनाव में सत्‍ता पक्ष व विपक्ष के चेहरे।

पटना, सुनील राज। Bihar Assembly Election 2020: बिहार में चुनावी रंग चढ़ने लगा है। तमाम राजनीतिक दल एक ओर जहां आंतरिक तैयारियों में जुटे हैं वहीं दल के दिग्गज से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक इन दिनों अपनी उर्जा का बड़ा हिस्सा नारे (Political Slogans) गढ़ने में लगा रहे हैं। कोशिश है कि नारे ऐसे बने कि बस एक बार में मतदाता के दिल-दिमाग तक उतर जाएं। नारों के मामले में कोई दल किसी से पीछे नहीं है। कभी भाजपा नारों में आगे होती है तो कभी जदयू। राजद-कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं। सड़कों के किनारे लगे होर्डिंग-बैनर में कहीं 'न्याय के साथ तरक्की-नीतीश की बात पक्की'  जैसे नारे चमचमाने लगे हैं तो कहीं 'दो हजार बीस, हटाओ नीतीश' जैसे जवाबी नारे भी हैं।

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नारों में आरोप-प्रत्यारोप पर खूब जोर

फिलवक्त तक जो नारे पोस्टर-बैनर में जगह बनाने में सफल हुए हैं उनमें आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा हैं। इस मामले में कोई किसी से पीछे नहीं। भाजपा के समर्थन में जदयू के नारे-पोस्टर आते हैं तो राजद के समर्थन में कांग्रेस के नारे आते हैं। आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में जदयू नारा देता है कि 'बिहार के विकास में छोटा सा भागीदार हूं, हां मैं नीतीश कुमार हूं' तो राजद भी जवाबी कार्रवाई करते हुए नारा बुलंद करता है 'कर लिया है विचार, हमें चाहिए तेजस्वी सरकार।' अगर जदयू '15 साल बनाम 15 साल' का नारा उछालता है तो तेजस्वी की पार्टी जोड़ती है 'बदलो बिहार।'

इस मामले में कांग्रेस भी पीछे नहीं

आरोप-प्रत्यारोप का यह खेल सभी दलों में समान रूप से चल रहा है। कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं। कोरोना के दौरान अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों की परेशानी, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस प्रदेश की सरकार पर हमलावर होती है और नारा बुलंद करती है 'बिहार बदलो, सरकार बदलो।' सरकार के विरोधियों में शामिल प्रमुख लोगों में एक पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी भी अपने नारों के जरिए सरकार पर हमलावर होती है। पप्पू यादव की पार्टी का नारा है 'जन अधिकार से बदलेगा बिहार।' 

नारों के जरिए सियासी एजेंडे की बात

राजनीतिक पार्टियों के नारे सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप तक की सीमित नहीं। नारों में पार्टियों का सियासी एजेंडा भी झलकता है। हाल ही भाजपा ने नारा दिया 'भाजपा है तैयार, आत्मनिर्भर बिहार।' भाजपा के इस नारे ने साफ कर दिया है कि पार्टी का एजेंडा बिहार को आत्मनिर्भर बनाने का है। एक ऐसा राज्य जो किसी पर आत्मनिर्भर रहने की बजाय अपने पैरों पर खड़ा हो। जदयू के नारे भी उसका सियासी एजेंडा साफ करते हुए कहते हैं 'क्यूं करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार।' मायने यह है कि बिहार की जनता नीतीश कुमार के साथ है ऐसे में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की दरकार ही क्या है।

राजद-कांग्रेस के नारे भले जवाबी लगें, लेकिन इन नारों में इन दलों का सियासी एजेंडे भी झलकते हैं। राजद अपने नारे 'कर लिया है विचार हमें चाहिए तेजस्वी सरकार' से जहां जदयू-भाजपा की एनडीए सरकार पर हमले करता है तो वहीं पार्टी इसके माध्यम से सियासी एजेंडा भी बताता है कि उसका मकसद प्रदेश की सरकार को इस चुनाव हटाकर राजद की सरकार बनाना है। कांग्रेस और जन अधिकार पार्टी के नारे भी कुछ ऐसे ही इशारे करते हैं। लोक जनशक्ति पार्टी नारों की इस जंग में सीधे बिहार की बात करती है। लोजपा ने अपने नारे 'बिहार फर्स्‍ट- बिहारी फर्स्‍ट' और 'ना धर्म ना जात, सबकी बात' जैसे नारों से यह जताने की कोशिश की है कि उसका एजेंडा सबको साथ लेकर चलने और बिहार के साथ बिहारी को आगे बढ़ाना है। इन नारों के बीच ही पार्टी एक शेर के जरिए भी अपना एजेंडा साफ करती है कि 'वो लड़ रहे हम पर राज करने के लिए और हम लड़ रहे बिहार पर नाज करने के लिए।'

अभी तो आगाज है अभी और गढ़े जाएंगे नारे

बहरहाल चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने नारे गढऩे शुरू कर दिए हैं। यह तो अभी आगाज है अभी जैसे-जैसे सियासी पारा चढ़ेगा, चुनाव का रंग गाढ़ा होगा वैसे-वैसे नए नारे आएंगे किसी पार्टी पर हमले को तो कभी अपने दिल और दल की कहानी बताने। इस मामले में कोई भी दल पीछे नहीं। भाकपा माले जैसी पार्टी 'लूट-झूठ की सरकार को सबक सिखाओ-बिहार में वैकल्पिक सरकार बनाओ तो भाकपा जैसे दल भाजपा की पुकार, समावेशी विकास गरीबों की सरकार जैसे नारे गढ़ रही है। नारे अभी और आएंगे तब तक हम यहीं कहेंगे हम थे जिनके सहारे वे हुए नारों के हवाले।

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