Bihar Assembly Election: रघुवंश के दिए फॉर्मूला पर ही चल रहे लालू, घटक दलों को सीट के बदले थमना चाहते लालटेन
Bihar Assembly Election रघुवंश प्रसाद सिंह ने भले ही निधन के ठीक पहले आरजेडी छोड़ दिया था लेकिन पार्टी सुप्रीमो लालू यादव उनके फॉर्मूले पर चल रही है। क्या है मामला जानिए।
पटना, अरविंद शर्मा। Bihar Assembly Election 2020: दिग्गज समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का चार दशक का साथ भले ही छूट गया, लेकिन आज भी आरजेडी में उनकी नसीहतों को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है। खासकर लालू उनके फॉर्मूले को फिर आजमाने में जुटे हैं। लालू की कोशिश महागठबंधन (Grand Alliance) के घटक दलों को लालटेन (RJD Symbol) थमाने की है। यह फॉर्मूला उन्हें रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही दिया था, जिसे आरजेडी ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में आजमाया था। वरिष्ठ नेता शरद यादव (Sharad Yadav) को मधेपुरा में लालटेन थमा दी गई थी।
लोकसभा चुनाव की कहानी दुहराने की कोशिश
जनता दल यूनाइटेड (JDU) से अलग होकर शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल (LJE) नाम से नई पार्टी बनाई थी। उनकी इच्छा थी कि आरजेडी से गठबंधन करके एक-दो सीटें प्राप्त कर लें, किंतु लालू ने उन्हें लालटेन थामने के लिए विवश कर दिया था। विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की कहानी दुहराने की कोशिश की जा रही है।
सीट बंटवारे को लेकर बेताब नहीं आरजेडी-कांग्रेस
महागठबंधन खेमे की गतिविधियों की पड़ताल से साफ है कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर आरजेडी और कांग्रेस में कोई बेताबी नहीं है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन खेमे में चुनाव की तैयारियों में जितनी शीघ्रता देखी जा रही है, महागठबंधन के बड़े घटक दल उतने ही सुस्त नजर आ रहे हैं। कांग्रेस में थोड़ी-बहुत तैयारी दिख भी रही है, लेकिन आरजेडी में इस मोर्चे पर कोई हलचल नहीं है। सब इत्मीनान में हैं।
सीट बंटवारे पर दो महीने की स्थिति में ही बात
सीट बंटवारे पर बात जहां दो महीने पहले थी, वहीं आज भी है। रांची जेल अस्पताल में लालू सबसे मिल रहे हैं, लेकिन अपने घटक दलों के साथियों से कन्नी काट रहे हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) प्रमुख मुकेश सहनी की लोकसभा चुनाव के बाद से लालू से कोई मुलाकात नहीं हुई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मिल-मुलाकात से परहेज कर रहे हैं।
कोई न कोई अड़ंगा लगा कर टरका देते जगदानंद
बात-मुलाकात के लिए तेजस्वी ने आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अधिकृत कर दिया है। आए दिन भेंट भी होती है, लेकिन आरजेडी की ओर से बार-बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दिया जा रहा है। अब इस सूची में वामदल भी जुड़ गए हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और माले के प्रतिनिधि नेताओं को लगभग प्रत्येक दिन आरजेडी कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। जगदानंद सिंह उनसे मिलते हैं। चाय पिलाते हैं। अच्छे माहौल में बातें भी करते हैं, लेकिन और कोई न कोई अड़ंगा लगाकर टरका देते हैं। पहले कहा कि अपने चिह्नित सीटों का ब्योरा लाइए। फिर संभावित प्रत्याशियों की सूची भी मांग ली गई। आरजएलएसपी ने सबकुछ जमा भी कर दिया। किंतु बात फिर भी आगे नहीं बढ़ सकी है।
आरजेडी-कांग्रेस के रवैये से घटक दलों में बेचैनी
आरजेडी-कांग्रेस के इस रवैये से अन्य घटक दलों में बेचैनी है। लालू प्रसाद की मंशा को भांपकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने पहले ही खुद को महागठबंधन से अलग कर लिया। जो बचे हैं, वे लालू के चक्रव्यूह में फंसे हैं।
क्या है रघुवंश प्रसाद सिंह का फॉर्मूला, जानिए
रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि छोटे दलों की कोई आदर्श विचारधारा नहीं होती है। बड़े दलों से सटकर उनके वोट बैंक के सहारे कुछ सीटें जीत लेते हैं और चुनाव बाद मंत्री पद के लिए इधर-उधर सौदा करने लगते हैं। इसलिए ऐसे दलों को सीटें देकर स्वतंत्र नहीं करना चाहिए, बल्कि हैसियत के हिसाब से उनके बड़े नेताओं को सिंबल देकर नियंत्रित रखना चाहिए।