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Bihar Assembly Election: करीबी मुकाबले वाली सीटों ने बढ़ाई धुकधुकी, पिता व पति के प्रताप भी नहीं आ सके काम

Bihar Assembly Election पिछले चुनाव में कई विधायक कम वोटों से जीते थे तो कई दिग्‍गज हार भी गए थे। पिता अथवा पति के बल पर जीत की उम्‍मीद काम नहीं आई थी। इस बार वे चिंता में हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 03:47 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 10:07 PM (IST)
Bihar Assembly Election: करीबी मुकाबले वाली सीटों ने बढ़ाई धुकधुकी, पिता व पति के प्रताप भी नहीं आ सके काम
Bihar Assembly Election: करीबी मुकाबले वाली सीटों ने बढ़ाई धुकधुकी, पिता व पति के प्रताप भी नहीं आ सके काम

पटना, अरविंद शर्मा। Bihar Assembly Election: विधानसभा के पिछले चुनाव में कम वोटों से जीते विधायकों की इस बार धुकधुकी बढ़ गई है। 2015 में राज्य के 243 में से आठ विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे, जिनपर एक हजार से भी कम वोटों के अंतर से हार-जीत का फैसला हुआ था। कई दिग्गजों को भी हार का सामना करना पड़ा था। पिता अथवा पति का प्रताप भी जीत में मददगार नहीं बन पाया। बाहुबली नेता सुनील पांडेय की पत्नी को भी जीत नसीब नहीं हुई। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह को भी एक हजार से कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

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ज्‍यादा अंतर से सर्वाधिक सीटें हारा एनडीए

सबसे ज्यादा मतों से हारने वाली अगर 45 सीटों का विश्लेषण करें तो उनमें से ज्यादातर सीटें राजग के हिस्से की थीं। उनमें भी लोजपा, हम और रालोसपा के हिस्से की सर्वाधिक सीटें थी। मतलब साफ कि बड़े दलों की तुलना में सहयोगी दलों ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया और अपने हिस्से की सीटें आसानी से हार बैठे। सबसे ज्यादा अंतर से हारने वाली दस सीटों में से चार लोजपा के खाते में गई थी। हम की दो और रालोसपा की भी एक सीट शामिल थी।

तरारी में मात्र 272 वोटों से मिली थी मात

बिहार की सबसे छोटी हार तरारी में हुई, जहां माले के सुदामा प्रसाद ने लोजपा की गीता पांडेय को हरा दिया। गीता बाहुबली सुनील पांडेय की पत्नी हैं। उन्हें मात्र 272 वोटों से मात मिली। दूसरी करीबी जीत शिवहर में जदयू के सर्फुद्दीन को नसीब हुई। उन्होंने हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (हम) की प्रत्याशी लवली आनंद को मात्र 461 वोटों से हराया था। इसी तरह चनपटिया में जदयू के एनएन शाही को 464 वोटों से भाजपा के प्रकाश राय ने हराया।

पित की परंपरागत सीट हार गए पुत्र नीतीश मिश्रा

बरौली में राजद के मो. नेमतुल्ला ने भाजपा के रामप्रवेश राय को 504 वोटों से पीछे छोड़ दिया। आरा में भाजपा के अमरेंद्र प्रताप शाही को मात्र 666 वोटों से राजद के नवाज आलम से हार का सामना करना पड़ा। चैनपुर में भाजपा के ब्रजकिशोर बिंद ने मो. जमा खान को 671 वोटों से हराकर बिहार में बसपा का खाता नहीं खुलने दिया। बनमनखी में भाजपा के कृष्ण कुमार ऋषि ने राजद के संजीव पासवान का रास्ता 708 वोटों से रोक दिया। जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश कुमार भी अपने पिता की परंपरागत सीट झंझारपुर में राजद के गुलाब राय से 834 वोटों से हार गए।

ये रहीं कुछ सबसे बड़ी जीत

पिछली बार छह प्रत्याशियों ने 50 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराया। सबसे बड़ी जीत वारिसलीगंज में जदयू के अशोक कुमार को नसीब हुई। उन्होंने लोजपा के चंद्रशेखर राय को 58 हजार से भी ज्यादा मतों से पराजित किया। दूसरी बड़ी जीत जोकीहाट में सरफराज खान को मिली। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय रंजीत यादव थे, जो 53 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए। सोनबरसा में रत्नेश सदा ने लोजपा की सरिता देवी 53 हजार से ज्यादा मतों से हराया। त्रिवेणीगंज में जदयू की बीमा भारती ने भी 52 हजार से ज्यादा मतों से लोजपा के अनंत कुमार को हराया। अमौर में जदयू के अब्दुल जलील मस्तान ने भाजपा के एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी सबा जफर को 52 हजार के अंतर से विधानसभा नहीं पहुंचने दिया। सिंहेश्वर में जदयू के रमेश ऋषिदेव, उजियारपुर में राजद के आलोक मेहता, फुलवारीशरीफ में जदयू के श्याम रजक को भी 45 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत नसीब हुई।


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